बनिया बुद्धि


जब तेल के भाव गिरे थे तो चाचा नसीब सिंह ने इतराते हुए इसे अपने नसीब से जोड़ा था , पर अब तेल के भाव वापिस से आसमान छूने लगे हैं लगता हैं चाचा का नसीब फूट गया हैं !


आजकल देखने में आता हैं कि छोटे कस्बे हो या शहर सब जगह ब्याज का काम करने वालों यानि फुटकर फ़ाइनन्सरों की बाढ़ सी आ रखी हैं | ये लोग बाज़ार में बैठे बड़े साहूकारों से 1-1.50 रुपया सैकड़ा पैसा उठाते हैं और उसे आगे 5-10 रुपया सैकड़ा देते हैं , साल में ही लाख के तीन-चार लाख बना लेते हैं | इन फ़ाइनन्सरों को देख मुझे समझ आया की चाचा नसीब सिंह ने 'जन धन योजना' क्यों शुरू की और जहां भी छोटे मुल्कों में जाते हैं उन्हे पैसा क्यों बाँट आते हैं | दरअसल चाचा नसीब सिंह ने कुर्सी पर बैठते ही सबसे पहला काम ज़मीन अधिग्रहण पर अध्यादेश लाने का किया था पर उस पर काफी हल्ला हुआ , इसे देखते हुए चाचा नसीब सिंह ने गुजराती बनिया बुद्धि चलाई और यह जापान , अमरीका जैसे बड़े मुल्कों से पैसा लें आगे छोटे मुल्कों को ब्याज पर देने की तरकीब सूझी | अब ना ही विदेशी कंपनियों के लिए ज़मीन अधिग्रहण का टंटा , और ब्याज का जो पैसा आएगा उसे ' जन धन योजना ' के तहत जनता के खाते में डाल दिया जाएगा , हल्दी लागे न फिटकड़ी रंग आवे चोखों | आप लोगों के 15 लाख भी आगे ब्याज पर चढ़ा दिये गए हैं इसलिए जब तक ब्याज ना आता हैं तब तक मेहरबानी करके कोई चीखे चिल्लाए नहीं | आप लोगों को पहले ही कह दिया गया था कि आपको ' कड़वी दवाई ' पीनी होगी , वो अलग बात हैं कि कुछ किसान भाइयों ने भूल से एकस्पाइर डेट की कड़वी दवाई पी ली थी जिस कारण उनकी मृत्यु हुई , सो मेहरबानी करके ' कड़वी दवाई ' पीते वक़्त एक बार उसकी तारीख (एकस्पाइर डेट) जरूर देख लें |


:- किसान भाइयों को सरकार के मंत्रियों की तरफ से पहले ही हिदायत दी जा चुकी हैं कि '' सवारी अपने समान (जान) की खुद ज़िम्मेवार हैं |


' जय योद्धेय '