' आशिक ने किया युवती पर तेजाब से हमला '
यह घटना भोपाल की हैं , पत्रकार ने इस छिछोरे के लिए आशिक शब्द का इस्तेमाल तो ऐसे किया हैं जैसे कि यह छिछोरा राँझे की वंशावली से हैं | असल में ये पत्रकार भी इन छिछोरों को आशिक की पदवी दें इनका हौंसला बढ़ाते हैं | आशिक शब्द तो बड़ा ही पवित्र शब्द हैं , इसका संबंध इबादत से हैं और इबादत करने वाला कभी किसी का बुरा कैसे चाह सकता हैं ? आशिक़ी तो तप हैं जो त्याग मांगती हैं |
" फकीरों से सुना हैं , हमने हातिम ,
मजा जीने का मर जाने में देखा "
बात 2011 की हैं , आरक्षण की मांग के लिए जाटों ने हरियाणा में रेलवे ट्रैक जाम किए हुए थे | हम उस वक़्त जिला हिसार के गाँव रामायण के ट्रैक पर थे | हमने अपना डेरा गार्ड रूम के पीछे बनाया हुआ था , वहीं अपना हुक्का पीते रहते , एक दिन गार्ड रूम के कम्पाउण्ड की बाउंड्री वाल पर चार-पाँच छिछोरे किस्म के लड़के खड़े थे | मैंने उनकी हरकतें देख मेरे साथ बैठे जिला भिवानी के गाँव धनाना के एक साथी से कहा कि भाई आज तो आंदोलन में आशिक भी आए हुए हैं ! वो भाई गाँव का सीधा सादा किसान आदमी पर उसने बात बड़ी गहरी कही कि " भाई , ये आशिक नहीं छिछोरे हैं , आशिक के पास तो माशूक खुद चल कर आती हैं |"
ऐसी घटिया किस्म की हरकते करने वाले छिछोरों के लिए आशिक शब्द का इस्तेमाल करना भी आशिक शब्द का अपमान हैं | कूल्हों तक की जींस पहन कर और बाइक पर गेड़े मारने से कोई आशिक नहीं बन जाता | आजकल तो इन छिछोरों की बाढ़ सी आ रखी हैं | हमारी बहन बेटियों को खतरा आशिक से नहीं इन छिछोरों से हैं | मीडिया को ऐसी गिरि हुई घटिया हरकत करने वालों के लिए आशिक शब्द का नहीं छिछोरा या इससे भी कोई ज़लालत वाला शब्द हो उसका इस्तेमाल करना चाहिए |
' जय योद्धेय '