मैं हरियाणे का जाट प्यार की हामी भर ल्यूङ्गा ,
र तीन पाँच मत करियों , गोढ़्या नीचे धर ल्यूङ्गा ,
प्यार की बोली बोलेगा तेरे पानी भी भर द्यूङ्गा ....


गुरदास मान साहब ने सही कहा हैं , इस जाट को बहका कर चाहे इससे पानी भरवा लो और ब्राह्मण जाटों की इस रग को अच्छे से पहचानते हैं तभी तो बेतुकी बातों से जाटों को बहकाए रखते हैं और कुछ जाट उनकी बातों में बहक कर उनके पानी भरते रहते हैं | एक गुजराती ब्राह्मण आया उसने जाटों को 'जाट देवता' क्या कह दिया कि सारे जाट उसके पीछे हो लिए , तो कुछ ब्राह्मण कहेंगे की 'जाट से तो भगवान भी डरता हैं' , बस इतना सुनते ही जाट फूल कर कुपा हो जाते हैं कि देखा ब्राह्मण ने कहा हैं कि जाट से तो भगवान भी डरता हैं ...... यह नहीं सोचते की अगर जाट से भगवान भी डरता हैं तो फिर ये ब्राह्मण जाट को पतड़े , पोथी , पित्रों का डर दिखा कर क्यों डराते हैं ? दुनिया का दस्तूर हैं कि कमजोर अपने से तगड़े कि हाजरी बजाता हैं ना कि तगड़ा कमजोर की , तो फिर क्यों बावला जाट एक ब्राह्मण के कहने से अपने से कमजोर उस भगवान के घर उसकी हाजरी बजाने जाता हैं ?


ब्राह्मण हमेशा जाट के साथ तीन पाँच करता रहता हैं पर वह कभी इस बात का जाट को एहसास नहीं होने देता , उसे पता हैं कि यदि जाट को इस बात का एहसास हो गया तो तुझे गोढ़ो नीचे धर लेगा | यदि जब कभी कोई जाट इनकी इस तीन पाँच के खिलाफ बोलता भी हैं तो ये ब्राह्मण खुद आगे ना आ कर इनके पानी भरने वाले जाट को ही आगे कर देते हैं | उल्टा इल्जाम लगाएंगे कि ऐसा बोल कर समाज को बाँट रहे हो ! बड़े ताज्जुब की बात हैं कि ब्राह्मण की तीन पाँच के खिलाफ बोलने से , ब्राह्मण - गैर ब्राह्मण की बात करने से समाज को , देश को , धर्म को खतरा पैदा हो जाता हैं , पूरी ही कायनात को खतरा हो जाता हैं? जबकि ब्राह्मणवादी मीडिया सरेआम जाट - गैर जाट का खेल खेलती रहती हैं , ब्राह्मण सभा सरेआम जाट आरक्षण का विरोध करती हैं पर तब ना तो समाज को, ना देश को और ना ही धर्म को कोई खतरा होता ?


सही हैं कि प्यार की बोली बोलेगा तो जाट तेरे पानी भी भर देगा पर अब इस झूठे प्यार की आड़ में यह तीन पाँच नहीं चलेगा |


' जय योद्धेय '