कुछ शरारती किस्म के लोगों के लिए सोश्ल मीडिया सिर्फ खुराफात का ही जरिया हैं | ऐसे लोग सिर्फ झूठी बेबुनियादी अफवाह फैलाने के लिए ही इसका इस्तेमाल करते हैं , यह नहीं सोचते की इन अफवाहों के नतीजे क्या हो सकते हैं | कल (30-5-15) सोश्ल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई की राजस्थान के नागौर जिले के बासनी गाँव में तीन सो गायों का कत्ल कर दिया गया , बाद में पता चला की ये मास गऊ का नहीं दूसरे पशुओं का हैं जिसको ठेकेदार शहर के बाहर इकट्ठा करता हैं | 300 गायों की तादाद बहुत होती हैं ऐसा तो हैं नहीं की इतनी गायों का कत्ल मिनटों में कर दिया गया हो ! लोगों ने इस पर बिना सोच विचार करे ऐसी पोस्टों को शेयर करना शुरू कर दिया , खासकर जाटों ने , और अपील करनी शुरू कर दी के ज्यादा ज्यादा लोग वहाँ पहुंचे ! जाटों की तो माता हैं गऊ , गऊ की मौत की खबर आ जाओ जाट चिंतित हो उठते हैं जैसे की वे अब अनाथ हो गए ! वो अलग बात हैं कि आज के समय 99% जाट भैंस या अमरीकन गाय का दूध पीते हैं , इस माता का नहीं |
नागौर के मृत पशुओं की हड्डियों का यह ठेका भी एक दिन जाटों को ले कर बैठेगा | 2 मई 2015 को एक ट्रक इन मृत पशुओं की हड्डियाँ राजस्थान के नागौर से उत्तरप्रदेश के हापुड़ ले जा रहा था कि हरियाणा के चरखी दादरी शहर में कुछ मूर्खों ने अफवाह फैला दी की ट्रक में गौ मास जा रहा हैं , बस फिर क्या था वहाँ भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई और बिना जांच पड़ताल के उस ट्रक को आग लगा दी | अगले दिन नागौर प्रशासन ने लिखित में दादरी पुलिस को सूचना दी कि इस ट्रक में गौ मास नहीं पशुओं की हड्डियाँ जा रही थी | अब इसमे 40 लाख के नुकसान की बात कहीं गई हैं जिसकी भरपाई ट्रक फुकने वालों से की जाएगी | जब लोगों पर इसके लिए मुकदमे हुए तो अगले दिन मुकदमे वापिस लिए जाने के लिए शहर बंद रखा गया | पहले तो अफवाहों पर विश्वास कर किसी की संपति को नुकसान पहुंचाया अब जब अगले ने अपने नुकसान की भरपाई चाही तो शहर बंद ! अब पुलिस ट्रक को आग लगाने वालों की जांच कर रही हैं जिनसे नुकसान की भरपाई की जाएगी |
हम जाट आरक्षण के लिए पिछले 8 साल से आंदोलन छेड़े हुए हैं , गाँव गाँव जा कर प्रचार करते हैं तब भी जाट हैं कि घर से निकलने का नाम ही नहीं लेते और इसके उलट गौ के नाम पर अफवाह मात्र से ही हजारों की संख्या में जाट घरों से निकल हिंसा पर उतारू हो जाते हैं , अजीब बावली कौम हैं ! इन हालातों को देख मैं तो यहीं सोचता हूँ कि अब जब भी जंतर मंतर या रेल ट्रैक जहां भी आंदोलन करना हो तो इन जगह पर दो चार मृत पशुओं की हड्डियाँ डाल अफवाह उड़ा देनी चाहिए की फला जगह गऊ की हत्या कर दी गई , बस फिर जाट आपने आप बिना किसी प्रचार गाड़ी भाड़े के वहाँ पहुँच जाएंगे | ऐसी बावली कौम हैं कि अगली पीढ़ी के भविष्य से ज्यादा गऊ की फिक्र हैं !
हिन्दू धर्म के नेता कहे जाने वाले ब्राह्मण कहते हैं कि देश में ब्राह्मणों की आबादी सबसे ज्यादा हैं पर देखने में आता हैं कि जब भी देश में कोई ऐसी घटना घटती हैं जिसका संबंध धर्म आस्था से हो वहाँ ये सबसे ज्यादा आबादी वाले धर्म के नेता नाम मात्र के ही नजर आते हैं , ऐसा क्यों ? बावले जाटों अकेले ही धर्म का सारा बोझ ना उठाओ थोड़ा बोझ धर्म के इन नेताओ को भी उठाने दो , आबादी में भी ये अपने आप को हमसे ज्यादा बताते हैं ! जाग जट्टा जाग , अपने दुश्मन को पहचान , ये सब उसकी सजीशे हैं हमें अपने असल मुद्दों से भटकाने के लिए , इनसे बच |
' जय योद्धेय '