क्या हरियाणवी समाज मानसिक गुलाम है ? -3
6% लोगों ने 94% हरियाणा के मूल निवासियों पर ऐसा मानसिक दबाव बनाया हुआ है कि यदि कोई मूल हरियाणवी इनकी किसी गलती पर उंगली उठाएँ तो खुद मूल हरियाणवी ही अपने हरियाणवी भाई को गलत बताएँगे |
मुख्यमंत्री खट्टर ने हरियाणा वालों को कंधो से ऊपर कमजोर बताया , किसी मूल हरियाणवी को व मूल हरियाणवी राजनेताओं को कोई परेशानी नहीं हुई ! पर एक मूल हरियाणवी ने इसके जवाब में खट्टर को जवाब दिया तो खुद मूल हरियाणवी चौधरी सम्पत सिंह , रणदीप सिंह सुरजेवाला , धर्मवीर सिंह , कैप्टन अजय सिंह यादव आदि जैसे नेता उल्टा अपने ही हरियाणवी भाई को गलत ठहरा रहे है , समाज को तोड़ने का आरोप लगा रहे है ! ताज्जुब है इनको सांगवान के बयान पर तो दर्द हुआ पर खट्टर के बयान पर कोई दर्द नहीं हुआ ?
खट्टर हरियाणवी समाज पर चुटकी ले कोई दिक्कत नहीं ? पाकिस्तान मूल का कोई हिन्दू पंजाबी (अरोड़ा-खत्री) हमारी खापों के खिलाफ कोर्ट जाए समाज को कोई खतरा नहीं ? टीवी , फिल्म , मीडिया में आए दिन हरियाणवी बोली हरियाणवी संस्कृति पर ये लोग मखोल बनाएँ , समाज को कोई खतरा नहीं ? हिन्दू पंजाबी (अरोड़ा-खत्री) समाज का ही एक अखबार जाट-बनाम पंजाबी ,जाट-बनाम बनिया , जाट बनाम फलाना पर धारावाहिक लेख निकाले , जाट-गैर जाट की बात करे समाज को कोई खतरा नहीं ? अगर इस पर कोई मूल हरियाणवी इन्हें जवाब दे तो समाज को भाईचारे को खतरा ?
हमारे नेताओं पर इन 6% लोगों का दबाव देखिये वो इनकी मेहनत का गुणगान करने को मजबूर है ! अगर ये मेहनत करके ऊपर गए तो क्या हमारे पुरखे कामचोर थे ? या उनकी मेहनत के मायने नहीं ? इन्होने ऐसी क्या मेहनत की कि ये लोग तरक्की कर गए और हमारे लोग आज भी मिट्टी में मिट्टी हो रखे है , अत्महत्या कर रहे है ? क्या कभी इन हिन्दू पंजाबियों (अरोड़ा-खत्री) को हम हरियानवीयों की मेहनत का गुणगान करते सुना है ? उल्टा ये तो यह कहते है कि हरियाणा वालों को खाना-पीना -पहनना-बोलना हमने सिखाया ! इन सबसे साफ है कि हमारे नेता भी इनके इस कद्र मानसिक गुलाम हो रखे है कि हमारे समाज के बारे में , संस्कृति के बारे में , बोली के बारे में कोई कुछ बोले मखोल बनाए कोई दिक्कत नहीं पर कोई इनके बारे में ना बोले , इससे समाज भाईचारा खतरे में आ जाएगा !
यह मानसिक गुलामी की निशानी नहीं तो और क्या है ?