Page 4 of 4 FirstFirst 1 2 3 4
Results 61 to 74 of 74

Thread: Sanghi Refugee khattar is against Haryanvi people.

  1. #61
    Even if we forget the incumbency he has displayed so far, he does not even realizes what he should speak & what he should not. I hope BJP National unit takes a serious note of his abilities, performance so far & try to make amendments by finding a better solution. Quite possible that he might have forgotten that Jats guard the country & provide the everyday food. Ideal situation would be that he himself realizes his behavior issues & prejudices at an early stage. One cannot hate Jats & still represent them administratively.
    Jat Balwaan\n Jai Bhagwaan

  2. #62
    what one can expect from a chief of rollback govt. of course rollback of statements. its in their DNA.

  3. #63
    खट्टर को पाकिस्तानी मूल का क्यों कहना पड़ा?
    -हवासिंह सांगवान, पूर्व कमांडेंट, मो. 94160-56145

    मैं हमारे समाज को याद दिलाना चाहूंगा कि पिछले चुनाव में करनाल की एक रैली में नरेंद्र मोदी ने साफ-साफ कहा कि दबंगों की दबंगई नहीं चलने दी जाएगी। ये शब्द वही थे, जो समाचार-पत्र जाटों के विरोध में काफी समय से इस्तेमाल करते आए तथा हमारे विरोधियों के बयान के आधार पर एनसीबीसी की रिपोर्ट पर जाटों को दबंग कहा गया। इसके बावजूद भी जाट समाज के काफी लोग मोदी की धमकी को नहीं समझे और उन्होंने भावुकता में बहकर भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया। भाजपा ने किस प्रकार केंद्र और राज्य में हमारे आरक्षण की सुरक्षा की, यह सबके सामने है।
    अभी सितंबर में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने बयान दिया कि जाट तो सब कुछ लाठी के बल पर लेना चाहते हैं। यह सरासर जाट समाज के साथ छेडख़ानी थी और एक कटाक्ष भी था, जो मेरे जैसे व्यक्ति को हजम नहीं हुआ और मैनें तुरंत बयान दिया कि यदि जाट लाठी के बल से ही सब कुछ लेते, तो खट्टर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर न होकर कोई जाट ही होता। उस समय खट्टर ने एक और असहनीय बयान दिया कि हरियाणा के लोग कंधे तक मजबूत होते हैं, ऊपर कमजोर होते हैं। इस बयान से स्पष्ट था कि हम लोग दिमागी तौर पर दिवालिये हैं। यह किसी भी स्वाभिमानी हरियाणवी को हजम होने वाला बयान नहीं था। सबसे बढक़र उन्होंने तो विज्ञान के इस सिद्धांत को भी झुठला दिया कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग रहता है। उनका इशारा चाहे स्पष्ट तौर पर जाटों के लिए न हो, लेकिन यह सभी हरियाणवी मूल के लोगों के लिए अपमान था, जिसमें हम सभी शामिल हैं। हरियाणा जाट बाहुल्य प्रदेश है, इसलिए सबसे ज्यादा अपमान भी स्वाभाविक तौर पर जाटों का ही हुआ। हरियाणा राज्य की पहचान जाटों से ही है। मैंने स्वयं अनुभव किया कि हरियाणा के बाहर जाने के बाद किसी भी जाति का व्यक्ति अपने आप को जाट कहलाने पर ही ज्यादा गौरव अनुभव करता है। केवल हिंदू पंजाबियों को छोडक़र। खट्टर के बयान का अप्रत्यक्ष रूप से यह अर्थ निकलता है कि उनकी जाति हरियाणा में केवल छह प्रतिशत है और वे आज 94 प्रतिशत हरियाणवी मूृल के लोगों पर राज कर रहे हैं। यह स्पष्ट तौर पर हरियाणवी लोगों का दिवालियापन ही तो दर्शा रहा है।
    मैं निजी तौर पर स्वाभिमानी व्यक्ति हूं। मुझे याद है कि हमारी ट्रेनिंग के दौरान सन् 1970 में मेरे एक साथी बिहारी ने हरियाणा के नाम पर गाली दी, तो मैंने अपने उल्टे हाथ से उसके मुंह पर उल्टा थप्पड़ मारा तो उसकी आंखें सूज गईं, जिसे देखकर हमारे उस्ताद को पता चल गया और हम दोनों को एक दिन के पि_ू की सजा दी गई। इसी प्रकार सन् 1996 में ऑफिसर मैस में बैसाखी की रात की पार्टी में मेरे कमांडेंट ने, मैं द्वितीय कमान अधिकारी होते हुए हरियाणा के बारे में कुछ अपशब्द कहे, जिस पर मैंने उसे बुरी तरह लताड़ा, तो वह पार्टी छोडक़र भाग खड़े हुए और दूसरे दिन प्रात: मुझसे माफी मांगी। मेरे कहने का अर्थ है कि यह स्वाभिमान का प्रश्र होता है। कुछ लोगों की चमड़ी मोटी होती है, जो सहन कर जाते हैं, लेकिन मेरे जैसे लोग इसे अनादर समझकर कभी भी चुप नहीं बैठ सकते।
    इसलिए मैंने मीडिया के सामने स्पष्ट बयान दिया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर पाकिस्तानी मूल के हैं, लेकिन मीडिया ने पाकिस्तानी---पाकिस्तानी कहकर इस मुद्दे को पूरा गर्मा दिया, लेकिन मूल कारण, जिस पर मुझे ये बयान देना पड़ा, दरकिनार कर दिया। मनोहर लाल खट्टर व उसके समाज वाले बिल्कुल भी हरियाणवी नहीं हैं। इस बात की सच्चाई खट्टर के स्वयं के 14 अगस्त के कुरुक्षेत्र में दिए गए बयान से भी साबित होती है, जिसमें उन्होंने अपने समाज की सभा में सभी पंजाबियों को हरियाणवी बनने का आह्वान किया, जिससे स्पष्ट है कि आज तक 68 साल के बाद भी हरियाणवी पंजाबी हरियाणवी नहीं बन पाए। इसी कारण हरियाणवी लोगों को दिमागी तौर पर तुच्छ समझते हैं। कुछ लोगों का यह कहना सरासर गलत है कि ये लोग पाकिस्तान बनने से पहले ही यहां आ गए थे। सच्चाई तो यह है कि ये लोग वहां से आए नहीं थे, बल्कि विशेष कारणों से वहां से मारपीट कर भगाए गए थे, जिसका वर्णन मैं कभी बाद में करूंगा, लेकिन याद रहे, 15 अगस्त, 1947 से पहले इनके लिए कोई भी शरणार्थी कैँप नहीं लगाया गया था। पहला बड़ा शरणार्थी कैंप करनाल में ही लगा था, जहां से इनके छोटे-छोटे शरणार्थी कैंप पंजाब और दिल्ली में लगाकर वहां भेजा गया था। दूसरा याद रहे, अपने ही देश में कभी कोई शरणार्थी नहीं होता, उसे विस्थापित कहा जाता है। जैसे कि आजकल कश्मीरी पंडित और त्रिपुरा में रियांग जाति आदि को। एक हरियाणवी नेता ने मेरे बयान पर अपना बयान दिया कि उसकी मां भी पाकिस्तान से आई थी। इस नेता ने हिंदू पंजाबियों की सहानुभूति बटोरने के लिए बयान दिया था। लेकिन उनको पता होना चाहिए कि यदि उनकी मां पकिस्तान से आई और शरणार्थी कैंपों में रही तो वह भी पाकिस्तानी मूल की ही कहलाएगी। लेकिन ये भी याद रहे कि हमारे काफी लोगों के पाकिस्तान के मिंटगुमरी क्षेत्र में जमीन के मुरब्बे मिले हुए थे, जो पाकिस्तान बनने पर वापिस अपने घर आ गए और उनको मुरब्बे भी यहां मिल गए। यदि ये हिंदू पंजाबी लोग शुरू से ही भारतीय थे, तो फिर भारत के संविधान में इनके लिए अलग से अनुच्छेद 6 की आवश्यकता क्यों पड़ी? अंतर्राष्ट्रीय कानून भी बड़ा स्पष्ट है कि यदि ये लोग पाकिस्तान जाना चाहें, तो वहां जा सकते हैं और इनको दोनों देशों की नागरिकता रखने का भी अधिकार है।
    कुछ लोगों ने तर्क दिया कि मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में पैदा हुए, इसलिए वे हरियाणवी हैं। ये भी अनुचित है। क्योंकि हरियाणा में लगभग ढ़ाई लाख बिहारी आदि बाहरी मजदूरी रहते हैं, जिनके सैंकड़ों बच्चे हरियाणा में पैदा होते हैं, उन्हें हरियाणवी मूल का नहीं कहा जा सकता। इसलिए कानूनी तौर पर और सिद्धांतिक तौर पर मनोहरलाल खट्टर पाकिस्तानी मूल के हैं और रहेंगे। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन लोगों ने अपने पूर्वजों की जन्मभूमि सरजमीन पाकिस्तान को सम्मान करने की बजाय उससे अपनी नफरत दिखलाई।
    जब मैंने बयान दिया तो कई लोगों ने बयान दिए कि मुझे मेरे बयान पर माफी मांगनी चाहिए। इस पर मैंने बयान दिया था कि माफी तो वे लोग मांगें, जिन्होंने और जिनके पूर्वजों ने संयुक्त पंजाब के सदन में मंडी एक्ट की बहस पर कहा था कि ये कानून पास होने पर रोहतक का दो धेले का जाट लखपति पंजाबी बनिये के बराबर जा बैठेगा। इससे भी बढक़र जिन लोगों ने नारे लगाए थे : सर सिकंदर छोटू कंजर। इसलिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा उनके समाज के सभी लोगों को मुझसे माफी मांगनी चाहिए क्योंकि मेरे पुतले जलाने से मनोहर लाल खट्टर का मूल बदली नहीं हो सकता है और न ही पुतला जलाने वालों का।
    कुछ लोगों ने कहा कि मेरा ऐसा कहने से हरियसाणा की एकता पर असर पड़ता है तो मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि जब से हरियाणा बना है, उसके बाद भी हरियाणा में जगह-जगह पंजाबी सभाएं और पंजाबियत की बात की जाती ही है, तो एकता पर असर क्यों नहीं पड़ा? आश्चर्यजनक बात ये रही कि हमारे ही कुछ आदमी मेरे बयान पर दुकानदारी करने लग गए और मुझसे पूछने लगे कि मेरे बयान से क्या फायदा और नुकसान हुआ? तो मेरा कहना है कि स्वाभिमान के साथ कभी सौदेबाजी नहीं की जा सकती है। यदि ऐसा ही होता तो शहीदे आजम भगतसिंह भी संसद भवन में कभी बम नहीं फोड़ते। वह सरासर भारतीय स्वाभिमान का मसला था। यहां हरियाणवी स्वाभिमान का मसला है। अंतर केवल गुलामी और आजादी का है। मेरे बयान से यह भी स्पष्ट हो गया है कि हमारे समाज में भी बहुत से लोग पत्तल उठाने वाले हैं, लेकिन याद रहे ये पत्तल उठाने वाले लोग पत्तल उठाकर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति तो कर सकते हैं, लेकिन कभी भी समाज की नहीं। वैसे भी मुख्यमंत्री खट्टर से किसी प्रकार की उम्मीद करना नासमझी होगी क्योंकि वे स्वयं भी पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ इंसाफ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आज तक उन्होंने केवल अपनी ही जाति खत्री के लोगों को बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त किया है, लेकिन अपनी सह जाति अरोड़ा पंजाबी से एक भी नहीं। तो फिर जाट या कोई दूसरा हरियाणवी उनसे क्या उम्मीद कर सकता है?
    पूरा जाट समाज देख रहा है कि किस प्रकार जाट अधिकारियों को अच्छे अच्छे पदों से हटाकर कम महत्व के पद दिए जा रहे हैं तथा हरियाणा की सबसे बड़ी जाति जिसकी जनसंख्या हरियाणा में 30 प्रतिशत है, केवल दो मंत्री हैं, जबकि अग्रवाल चार प्रतिशत हैं तो उनके भी दो मंत्री हैं, अहीर पांच प्रतिशत हैं तो उनके भी दो मंत्री हैं और खत्री पंजाबियों की जनसंख्या मात्र तीन प्रतिशत है(अरोड़ा पंजाबी छोडक़र), स्वयं मुख्यमंत्री, एक मंत्री और एक और कैबिनेट रैंक के मंंत्री का दर्जा प्राप्त मुख्य एडवोकेट जनरल शामिल हैं। हरियाणा के आज तक के प्रजातांत्रिक इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। भजनलाल को जाट विरोधी कहा जाता रहा, लेकिन उनके मंत्रीमंडल में कभी पांच से कम जाट मंत्री नहीं हुए। इससे भी बढक़र हरियाणा में किसानों की जो दुर्गति हो रही है, जिसमें अधिकतर जाट किसान ही हैं, इसके बावजूद भी जाट सोता रहा तो आने वाले समय में उसके अस्तित्व का भी प्रश्र पैदा हो जाएगा, जिसे हमें नहीं भूलना चाहिए।
    इससे भी बढक़र भारत वर्ष के 28 राज्यों में उसी के मूल निवासी और भाषाई मुख्यमंत्री हैं, केवल हरियाणा इसका अपवाद है। देश में दो राज्य ऐसे हैं, जो जाति/नस्ल के आधार पर बने हैं, 14 राज्य भाषा के आधार पर बने हैं, शेष 12 राज्य क्षेत्र के आधार पर बने हैं। पंजाब और हरियाणा उन राज्यों में से हैं, जो भाषा के आधार पर बने हैं। पंजाबियों के लिए पंजाब बना और हरियाणवी मूल के लोगों के लिए हरियाणा। फिर हरियाणा में पंजाबी मुख्यमंत्री होने का क्या तर्क है?- यह सरासर सिद्धांतिक और नैतिक तौर पर अनुचित है और हरियाणवी मूल के लोगों का सरासर अपमान है। जाटो का सबसे ज्यादा अपमान है क्योंकि यह जाट बाहुल्य राज्य है। यदि बात को समझते हैं, तो !
    -----००-----
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  4. #64
    Jat samaj/leaders should approach jat ministers and MLAs for taking some suitable corrective measures

  5. #65
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  6. #66
    Mr. Khattar is not a politician or any no knowledge about social activities.So., that BJP May change some other person in the interest of Party/Haryana progress.

  7. #67
    हरियाणवी धरती माता को कब्रगाह बनने से बचाया जाए : सांगवान
    राष्ट्रीय दलित पिछड़ा एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान ने एक प्रेस बयान में कहा कि कुरुक्षेत्र में सन् 1947 में जो हिंदू पाकिस्तान में मारे गए, उनके लिए एक स्मारक बनने जा रहा है, जिसका हरियाणा की धरती पर बनाए जाने का कोई भी औचित्य नहीं है क्योंकि इन हिंदुओं का हरियाणा से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं था। यदि फिर भी इनके लिए स्मूारक बनना आवश्यक है, तो उसे पाकिस्तान या पंजाब में बनाया जाए क्योंकि वे सभी पंजाबी थे। यदि हरियाणा में ही ऐसा कोई स्मारक बनाना है तो उन हरियाणवी मुसलमान भाईयों के लिए बनाना चाहिए, जिनको हमने भावुकता में आकर सन् 1947 में शहीद कर दिया था।
    सांगवान ने आगे बतलाया कि इस पर तुरंत काम बंद कर दिया जाए वर्ना हरियाणवी लोगों को आंदोलन करना पड़ेगा। यदि हरियाणा सरकार फिर भी इसे बनाने में सफल होती है, तो इससे प्रमाणित होगा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणवी को दिमागी तौर पर कमजोर बतलाकर सच्चा बयान दिया है। सांगवान ने यह भी बतलाया कि 80 के दशक में पंजाब में उग्रवाद के समय पंजाब की हिंदू जनसंख्या पांच प्रतिशत घटी। वह सारे की सारी हरियाणा की भूमि में राष्ट्रीय राजमार्ग एक के साथ-साथ कस्बों और शहरों में बस गई, जिस कारण आज आधा हरियाणा मिनी हिंदू पंजाब बन चुका है। परिणामस्वरूप, हरियाणा के सीमित संसाधन भारी दबाव में हैं। सांगवान ने जोर देकर कहा कि ये आश्चर्यजनक बात है कि पंजाब के नेता तो अपने भाषणों में बार-बार पंजाबियत का उल्लेख करते रहते हैं, लेकिन हमारे हरियाणवी नेताओं को अपने हरियाणवी होने का जरा भी गर्व क्यों नहीं है? ये प्रश्र आने वाले समय में हरियाणवी जनता इन नेताओं से अवश्य पूछेगी कि ये कायरता क्यों?
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  8. The Following User Says Thank You to RavinderSura For This Useful Post:

    ManjeetS (November 7th, 2015)

  9. #68
    हरियाणवी नेताओं को बिहारी नेताओं से सीखना होगा : सांगवान
    राष्ट्रीय दलित पिछड़ा एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व कमांडेंट हवासिंह सांगवान ने एक प्रेस बयान में कहा है कि बिहार के नेताओं ने महागठबंधन बनाकर अभी हाल के चुनावों में बाहरी और बिहारी के नारे के साथ बिहार में चुनाव लड़ा और भारी जीत हासिल की। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, जो पाकिस्तानी मूल के हैं, ने साफ-साफ हरियाणवी लोगों को चैलेंज करते हुए बयान दिया कि हरियाणवी लोगों के दिमाग कमजोर होते हैं। इसके बावजूद भी अभी तक किसी हरियाणवी नेता ने इस पर अपना कोई एतराज दर्ज नहीं जताया। इससे लगता है कि हरियाणवी नेताओं का स्वाभिमान मर चुका है।
    सांगवान ने आगे बतलाया कि हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां किसान की हालत वर्तमान में सबसे अधिक दयनीय है। लेकिन हरियाणवी नेता ये सब सहन करते जा रहे हैं और हरियाणवी लोगों के दिमाग में ये बात डाल दी गई है कि उन्हें इस सरकार को पांच साल के लिए सहन करना ही होगा। जबकि चुनाव अवश्य पांच साल के लिए होते हैं, लेकिन यदि सरकार लोगों की अपेक्षाओं पर खरी नही उतर रही हो, तो उसे बदलने का प्रयोजन करना नेता लोगों का काम है, इसलिए विपक्ष के सभी हरियाणवी नेताओं को त्यागपत्र देकर दोबारा से चुनाव करवाकर कोई हरियाणवी नेता को मुख्यमंत्री बनाएं, वर्ना इन्हें भी हरियाणवी जनता माफ करने वाली नहीं है।
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  10. #69
    "कर्म हैं जिसका भगवान, कौम वतन पर हैं जो कुर्बान |
    पगड़ी का जो रखे मान सच्चे जाट की यह पहचान ||


    कुछ हमारे संग चले आये गे .कुछ देख के रंग ढंग चले आये गे .बाकी बचे होके तंग चले आये गे !

  11. The Following User Says Thank You to RavinderSura For This Useful Post:

    rohittewatia (December 26th, 2015)

  12. #70

    खट्टर सरकार का नारा '' सबका साथ सबका विकास ...मूल हरियानवीयों का करो यहाँ से निकास "
    हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है .... लो जी अब तो अखबारों ने भी बोलना शुरू कर दिया है | यहाँ पर जाट-गैर जाट का नारा संयुक्त महा पंजाब के समय से लगता रहा है और इस मुद्दे को अगर सही तरीके से किसी ने भुनाया था तो वो चौधरी भजन लाल ने , इसी कारण जाट चौधरी भजन लाल से खफा रहते थे हालांकि चौधरी भजन लाल ने इस मुद्दे को सि
    र्फ वोट लेने तक सीमित रखा था पर भाजपा की खट्टर सरकार ने तो इस मुद्दे को दिली रूप से अंजाम दिया | लोग खट्टर को ईमानदार बता रहे है और खट्टर साहब सरेआम जातिवाद पर उतारू है , कमाल की परिभाषा है इनकी ईमानदारी की भी ! बात जाट - गैर जाट की भी नहीं छोड़ी यहाँ तो बात हरियाणवी बनाम हिन्दू पंजाबी अरोड़ा खत्री कर दी पर क्या मजाल 96% हरियानवीयों में से कोई चूँ भी करे ! खट्टर को देश का पहला पंजाबी मुख्यमंत्री बता प्रचार कर रहे है , अगर खट्टर देश का पहला पंजाबी मुख्यमंत्री है तो फिर पंजाब प्रदेश का मुख्यमंत्री क्या बंगाली है ?
    #JaiYoddhey
    " जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
    जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से
    |"

    " इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
    डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
    ...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण

  13. #71
    मनोहर लाल खट्टर सरे आम जातिवाद पर उतारू है , चाहे वो कुलपतियों की नियुक्ति का मामला हो , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्राण्ड एम्बेसडर का मामला हो या अब हाल ही में हवाई अड्डे के नामकरण के लिए मंगल सेन के नाम की सिफ़ारिश का मामला हो ! सब जगह चुन चुन कर हिंदू पंजाबी अरोड़े खत्री लगाए जा रहे है पर कमाल की बात तो ये है कि भाजपा में जो लोग है उनमें से कोई चूँ भी नहीं कर रहा ! मतलब साफ़ है कि ग़ुलाम थे ग़ुलाम रहेंगे !
    वैसे मोदी जी ने पहले ही कह दिया है कि हमें और भगत सिंह नहीं चाहिए शा
    यद इसी कारण मंगल सेन का नाम सुझाया है , वैसे भी भगत सिंह जैसे नास्तिक धर्म के लिए ख़तरा होते है ! यदि भगत सिंह जैसे लोगों के बारे में प्रचार हिंदुत्व के लिए हिंदू राष्ट्र के लिए ख़तरा है इसलिए ऐसे लोगों का इतिहास मिटा देना ही अच्छा है !!!!
    वैसे ये मंगल सेन था कौन ? शर्तिया बात है अगर हरियाणा के रोहतक से बाहर और हिंदू पंजाबी अरोड़े ख़त्रियों के सिवाएँ इसका कोई नाम भी जानता हो । पहले भी कहा था कि ख़ाकी कच्छे सिलवा लो और चुप चाप काले अंग्रेज़ों की ग़ुलामी स्वीकार कर लो .... जो कबूतर राष्ट्रवादी होने का दम भरते थे वे कबूतर राष्ट्रवादी सरकार में भगत सिंह को शहीद का दर्जा तो छोड़ो किसी संस्था का नाम ही इनके नाम करवा के दिखा दें ....

    ‪#‎JaiYoddhey‬
    " जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
    जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से
    |"

    " इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
    डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
    ...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण

  14. The Following 2 Users Say Thank You to raka For This Useful Post:

    op1955 (December 26th, 2015), rohittewatia (December 27th, 2015)

  15. #72
    **********
    Last edited by amitbudhwar; February 18th, 2016 at 03:57 PM.

  16. #73
    This apartheid against JATS is a national pogrom. The road ahead is fairly difficult one, but just as said that when the going gets tough, the tough who gets going. Communal politics is one of the tools to misguide the JATS, and therefore, JATS must espouse secular approach. The religion baggage carried by JATS has been the major cause of sufferings. JATS were more Buddhists in their religious outlook in ancient times. And, there is merit in BABA Saheb's approach to deal with discrimination in Indian political scenario.
    Last edited by Ambijat; December 26th, 2015 at 05:10 PM.
    Keep a bigger heart than than what you had yesterday!

  17. The Following 2 Users Say Thank You to Ambijat For This Useful Post:

    lrburdak (February 23rd, 2016), op1955 (December 26th, 2015)

  18. #74
    If Baba Saheb Ambedkar was in favour of Buddhism there was a strong point in it. If the so called protectors of Hinduism are against Jats then why Jats are in Hinduism ? Can somebody tell advantage and disadvantage of Jats in Hinduism?
    Laxman Burdak

  19. The Following User Says Thank You to lrburdak For This Useful Post:

    amitbudhwar (February 24th, 2016)

Posting Permissions

  • You may not post new threads
  • You may not post replies
  • You may not post attachments
  • You may not edit your posts
  •