नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप का दोषी नाबालिग तीन साल की सजा पूरी होने से एक हफ्ते पहले ही रिहा हो सकता है। दरअसल दिल्ली सरकार उसे पब्लिक और मीडिया अटेंशन से दूर रखना चाहती है। सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि कहीं भीड़ उस पर हमला न कर दे। दूसरी ओर, इस लड़के को भी शेल्टर होम के बाहर जाने में डर लग रहा है।

15 दिसबंर से पहले ही रिहा हो सकता है नाबालिग

एक अंग्रेजी अखबार ने एक सरकारी अफसर के हवाले से बताया, “वह 15 दिसंबर को रिहा होने वाला है लेकिन हम जानते हैं कि उस दिन सारी अटेंशन उस पर ही होगी। उसकी सुरक्षा के लिए हमने उसे एक हफ्ते पहले रिहा करने की सलाह दी है।” हालांकि सूत्रों का कहना है कि तय तारीख से पहले रिहा करने के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की परमिशन लेने होगी।

मां को सौंपा जाएगा लड़का

सूत्रों का कहना है कि मजनूं का टीला शेल्टर होम के बाहर नाबालिग (जो कि अब 20 साल का हो चुका है) को उसकी मां को सौंप दिया जाएगा, जो कि उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। इस प्रोसेस की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। परिवार को 20 हजार रुपए दिए जाएंगे और फिर उन्हें एक अज्ञात जगह ले जाया जाएगा।

पहले से ही डरा हुआ है लड़का

मीडिया की खबरों के मुताबिक जुलाई में ही शेल्टर होम के स्टाफ ने यह बताया था कि लड़का अपनी सिक्युरिटी को लेकर परेशान है। इसी वजह से वह शेल्टर होम नहीं छोड़ना चाहता। काउंसलरों का कहना है कि वह धार्मिक हो गया है उसने अपनी दाड़ी बढ़ा ली है और दिन में पांच बार नमाज पढ़ने लगा है।

लड़के पर जिहाद का साया

इस मामले पर इंटेलीजेंस ब्यूरो की भी नजर है। बता दें कि लड़के को दिल्ली हाईकोर्ट ब्लास्ट मामले में पकड़े गए एक नाबालिग के साथ रखा गया था। इसके बाद ही इंटेलीजेंस ब्यूरो ने यह आशंका जताई थी कि लड़के को जिहाद के लिए उकसाया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने केंद्र को दी रिपोर्ट में कहा है दोनों लड़कों को साथ जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के ऑर्डर पर ही एक साथ रखा गया था।

स्वामी ने लिखा पीएम को खत

इन खबरों के आधार पर कि लड़के को हाईकोर्ट ब्लास्ट मामले में पकड़े गए जुवेनाइल के साथ रखा गया है बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को एक खत लिखा था जिसके बाद आईबी ने एक जांच की थी। दोनों जुवेनाइल आईबी जांच से पहले ही एक साल से ज्यादा समय साथ गुजार चुके थे। वैसे खास बात यह भी है कि शेल्टर होम के स्टाफ ने भी दोनों को अलग-अलग करने की सलाह दी थी।

दूसरे कमरे में शिफ्ट करने की सिफारिश

दिल्ली सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड चाहता था कि लड़का किसी बेहतर कमरे में शिफ्ट कर दिया जाए जिसमें टीवी भी हो। रिपोर्ट में उन अफसरों के भी नाम हैं जिनकी निगरानी में उसे दूसरे कमरे में शिफ्ट किया गया। इसमें 7 सुपरीटेंडेंट्स, चार वेलफेयर ऑफिसर, काउंसलरों और नर्स का भी नाम शामिल है। यह सभी लोग यहां पिछले तीन सालों के दौरान यहां पोस्टेड रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि शेल्टर होम के स्टाफ को मामले की खबर थी। स्टाफ ने दोनों लड़कों को अलग रखने के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को हर जानकारी दी।

क्या है मामला?

नाबालिग को 16 दिसंबर 2012 की रात को 23 साल की लड़की के साथ रेप और उसका मर्डर करने के मामले में दोषी ठहराया गया था। इस मामले में पांच बालिग आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, इनमें से एक की तिहाड़ जेल में संदिग्ध हालात में मौत हो चुकी है। इस गैंगरेप की घटना के विरोध में देशभर में लोग सड़कों पर उतर आए थे। इस घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए एक सख्त कानून भी बनाया गया था।

http://www.bhaskar.com/news/c-271-41908-re0072-NOR.html