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Thread: जाट उलाहना देने की आदत ना डालें, किसी को कोस&a

  1. #1

    जाट उलाहना देने की आदत ना डालें, किसी को कोस&a

    जाट उलाहना देने की आदत ना डालें, किसी को कोसने पर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें:

    कल यूँ ही विकिपीडिया पर जा के हरयाणा के पेज पर झाँकनेँ का मौका मिला| देश-राज्यों में जैसे सरकारें बदलते ही उनके रवैये भी बदल जाते हैं ऐसे ही विकिपीडिया पेज पर जब देखा तो करीब 30% जनसंख्या का हिस्सा रखने वाले, शहादत-शौर्य-खेती-खेल-बिज़नेस में 70% से 30% तक की पैठ रखने वाले जाट समाज का नगण्य जिक्र है| पिछली सरकार थी तो इस पेज पर सब कुछ भिन्न था, ऐसा लगता है यह सरकार आते ही ना सिर्फ धरातल पर जाट से भेदभाव हुआ अपितु विकिपीडिया को आदेश दिया गया कि हरयाणा के पेज से और खासकर इसके "इतिहास और ऐतिहासिक हीरो" सेक्शन से जाटों का नाम तो बिलकुल ही मिटा दो| और वही हुआ पड़ा है, गूगल पे जाएँ विकिपीडिया हरयाणा डाल के देखें और पढ़ें|

    सोच में पड़ गया कि जब मुझे इसको पढ़के धक्का लगा तो आम जाट युवा इसको पढ़ेगा तो बिफरेगा| तो ऐसे में जो सबसे बढ़िया समझ आया वो यही कि हमें किसी को उलाहना नहीं देना, किसी को नहीं कोसना अपितु हमें अपनी कौम के भीतर इंटेलिजेंस और इनफार्मेशन नेटवर्क को खुद ही मजबूत रखना होगा| वैसे भी भारत में पैदा हुए उन्नीसवीं सदी के ब्रिटिश मूल के नरवैज्ञानिक (anthropoligist) आर. सी. टेम्पल के अनुसार बाकी भारत में सिर्फ "मंडी-फंडी अधिनायकवाद थ्योरी" चलती आई है, रही है जबकि हरयाणा में इसको "जाटू सोशल थ्योरी" ने टक्कर दी है| तो ऐसे में यह तो अपना फर्ज निभाएंगे ही, जहाँ मौका मिलेगा वहाँ से जाटू थ्योरी और जाट को मिटायेंगे ही|

    स्वाभाविक है कि जब जाट-खाप की सोच और थ्योरी मंडी-फंडी से भिन्न रही है तो मंडी-फंडी वर्ग के लेखक व् बुद्धिजीवी उतना ही और उसी हिसाब से जाट-खाप का इतिहास लिखे होंगे या लिखेंगे, जितने से इनको फायदा रहा होगा या हो| और विकिपीडिया का हरयाणा पेज यह साबित करता है कि यह लोग आज भी इसी पथ पर अग्रसर हैं|

    और ऐसे में जब जाट-युवा पीढ़ी यह देखती है कि हमारे समाज के इतिहास व् इतिहास के महापुरुषों को इनकी लेखनी में वो तवज्जो नहीं दी गई है, जिसके हम अधिकारी और दावेदार हैं तो जाट युवा-युवती में बेचैनी और किसी मौके पर कुंठा भी होती है कि हमारा इतिहास क्यों छुपाया जा रहा है| सही भी है इन लोगों को इनकी थ्योरी पे चल के महान बनने वालों का इतिहास लिखने और गुणगान करने से फुर्सत हो तो हमारी सुध लेवें| और वो कब और क्यों लेंगे उसके बारे ऊपर बताया| वैसे मैं इनसे इसकी अपेक्षा भी नहीं करना चाहूंगा परन्तु विकिपीडिया ऐसी जगह नहीं कि जिसपे हरयाणा के बारे लिखा गया हो और जाट को ऐसे सिरे से ख़ारिज कर दिया गया हो|

    ऐसा होने का साफ़ स्पष्ट कारण है "मंडी-फंडी अधिनायकवाद थ्योरी" और "जाटू सोशल थ्योरी" में दिन-रात का अंतर| वाजिब है कि अगर यह "जाटू सोशल थ्योरी" के बारे व् इसकी वजह से बने इतिहास के बारे ईमानदारी से लिखेंगे तो फिर इनकी थ्योरी और हिस्ट्री ठहर ही नहीं पायेगी| या ठहरेगी तो उसका अलग स्थान और मकाम होगा और जाटू थ्योरी का अपना अलग| फ़िलहाल तो कोशिश यह है कि यह थ्योरी जाटू थ्योरी को इसका स्थान देने या छोड़ने की बजाय इसको खाने की फ़िराक में है|
    इन दोनों थ्योरियों को आप उस कंपीटिशन की तरह ले के चलें जिसको जीतने के लिए प्रतिभागियों के बीच कोई रेस होती है अथवा परीक्षा होती है| सामान्य सी बात है एक प्रतिभागी थोड़े ही अपने प्रतिध्वंधी को आगे निकलने देगा|

    शायद हमें एक ब्रिज की भी जरूरत है जो कि आजतक दोनों थ्योरियों के लोगों की तरफ से बनाने के नगण्य ही प्रयास हुए हैं| परन्तु ब्रिज से भी जरूरी है कि हम अपनी ऊर्जा को इनको कोसने व् उलाहना देने पर लगाने की बजाय अपने आध्यात्म, बौद्धिकता, इतिहास व् हेरिटेज को ज्यों-के-त्यों व् जहां संसोधन जरूरी हो वो आगे की पीढ़ियों को सौंपने के आधुनिक जरिये बना के अपने अंदर के अभिजात वर्ग को और सुदृढ़ व् सुनिश्चित करें| और इसको एक परम्परा में ढाल दें|

    आपस में विचार और जानकारी का आदान-प्रदान करते रहें और उसको आधुनिक टेक्नोलॉजी से संकलित करते रहें| बेझिझक हो "जाटू सोशल थ्योरी" पर वर्कशॉप व् सेमिनार आयोजित करने की शुरुवात करें| हमें यह समझ के चलना होगा कि हमें इन मामलों बारे इनपे भरोसा करने की बजाये हमारे खुद के समाज के अभिजात वर्ग, इंटेलेक्चुअल वर्ग को आगे बढ़ाना होगा, उनका प्लेटफार्म बनाना होगा, अन्यथा यह लोग ना हमें छोड़ेंगे और ना ही हमारे इतिहास को|

    इनको कभी धर्म के नाम पर, कभी दान के नाम पर दान देने बारे भी जाट समाज को सोचना होगा, क्योंकि इस दान दिए धन से यह लोग लेखन करते आये हैं| और जब धन दे के भी यह हमारे हिस्से का इतिहास नहीं संजो रहे हमारे लिए तो फिर इनको काहे का दान? बेहतर होगा कि जाट समाज अपने धन की दिशा इनको दान देने से पहले अपने इन कार्यों को पुख्ता करने और रखने में लगावे, जिनको यह हमसे धन ले के भी नहीं कर रहे|

    सोर्स: https://en.wikipedia.org/wiki/Haryana

    जय यौद्धेय! - फूल मलिक
    One who doesn't know own roots and culture, their social identity is like a letter without address and they are culturally slave to philosophies of others.

    Reunion of Haryana state of pre-1857 is the best way possible to get Jats united.

    Phool Kumar Malik - Gathwala Khap - Nidana Heights

  2. The Following 2 Users Say Thank You to phoolkumar For This Useful Post:

    vijay (November 15th, 2015), vishalsunsunwal (November 15th, 2015)

  3. #2
    One of my fav......

    Bura jo dekhan mei chala bura na milya koi , apan aapa dekhya toh mujhse bura na koi .

  4. #3
    Really? अब वो भगत कहाँ डूब के मरेंगे जो दिन-रात कांग्रेस को कोसते नहीं थकते? तभी तो कहता हूँ प्यारे, यह पॉलिटिक्स और धर्म किसी के नहीं होते, सिर्फ अपने समाज, कल्चर और कौम को प्रायोरिटी पे रखो| - फूल मलिक

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    One who doesn't know own roots and culture, their social identity is like a letter without address and they are culturally slave to philosophies of others.

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  5. The Following User Says Thank You to phoolkumar For This Useful Post:

    vishalsunsunwal (November 15th, 2015)

  6. #4
    Quote Originally Posted by phoolkumar View Post
    Really? अब वो भगत कहाँ डूब के मरेंगे जो दिन-रात कांग्रेस को कोसते नहीं थकते? तभी तो कहता हूँ प्यारे, यह पॉलिटिक्स और धर्म किसी के नहीं होते, सिर्फ अपने समाज, कल्चर और कौम को प्रायोरिटी पे रखो| - फूल मलिक

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    Very true my brother[Phool] - Khud uthao pehle, baad mein saab uth janyge.
    जाट के हाथ के नीचे ताज -९८९९६८६६६१
    साफा बांध ले तुर्हे दार |
    अचकन पहर ले धारी दार |
    पजामा पहर ले चूड़ी दार |
    जूती पहर ले तिल्ले दार |
    तलवार टांग ले चमक दार |
    मूछ राख ले घुंडी दार |

    सही कही भाई फौज दार |

    THIS FAUJDAR IS ALWAYS ON WAR COZ I AM SINSINWAR

  7. The Following User Says Thank You to vishalsunsunwal For This Useful Post:

    phoolkumar (November 15th, 2015)

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