(पार्टीं मीटिंग ... प्रारम्भ )
-बधाई हो जी ... डिग्री मिल गई !
-कैसी बधाई .. हम तो ये चाहते थे कि डिग्री ना मिले ओर हम खबरों में रहने के लिये मसाला बनाते रहें ! बने बनाये मुद्दे का सत्यानाश कर दिया !
-तो अब हम क्या करेंगे ?
-वही जो हमेशा करते आये है .. अब फ़िर से कोई नई तरकीब निकालनी होगी जनता तो उल्लू बनाने की !
-तो क्या हम लोग डिग्री के बारे में शोर मचाना बंद कर दे अब ?
-तुम लोग अच्छी तरह से डिग्री की जांच करो ओर दिग्गी अंकल की तरह कोई नया पैंतरा निकालो !
-मरवाओगे क्या ? दिग्गू तो सठिया गया है जो उसे तेरह ओर तीस में फ़र्क करना नहीं आता !
-तो कोई ओर नई बात ढूंढ्कर लाओ !
-क्या उत्तर पुस्तिकाऒ में हेर फ़ेर का आरोप लगाना शुरू करें ?
-आरोप तो ठीक लगता है लेकिन इस मामले तो ओर घसीटा तो जनता हमें घसीटने लग जायेगी !
-लेकिन तुम ही तो मामले की तह तक जाना चाह्ते थे !
-तुम्हे कब अक्ल आयेगी ? हमारा काम सिर्फ़ आरोप लगाना है मामले की तह तक जाना नहीं !
-हाँ, वो तो जेतली वाले केस के बाद समझ आ गया था !
-वो तो लगाना पङा था मजबूरी में ! लेकिन मोदी पर आरोप लगाने से ज्यादा फ़ूटेज मिलती है !
-एक आइडिया है, क्यों न मोदी का बर्थ सर्टिफ़िकेट माँग ले ! वो तो अब मिलना मुश्किल है !
-जनता इतनी भी बेवकूफ़ नहीं है जितना हम समझते है !
-तो अब क्या करें ?
-तुम सारे के सारे निकम्मे हो, सारा उलटा दिमाग मुझे ही लगाना पङता है ! कभी दिमाग भी लगा लिया करो !
-दिमाग तो योगेन्द्र यादव ने लगाया था, हमें क्या मरना है दिमाग लगाकर लगाकर !
-शट अप ! जाओ ओर बयान दो कि सोनिया को गिरफ़्तार करने की हिम्मत नहीं है मोदी में !
-लेकिन पत्रकार पूछ्ते हैं कि शीला दीक्षित कौन सी जेल में बंद है ।
-इन पत्रकारों की तो ..... ओर ये विपक्ष के सारे मुख्यंमंत्री भी निकम्मे है उनके हिस्से के आरोप भी मुझे ही लगाने पङते हैं !
-वो शायद कुछ काम भी करते होंगे !
-क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या मै कुछ काम नहीं करता ?
-नही ... मेरा मतलब ... मैं .... वो ...... बस ....
-खामोश ! अभी जाओ ओर मुझे कुछ नया पैंतरा सोचने दो ! तब तक ट्वीटर पर कुछ ना कुछ लिखते रहो !
( मीटिंग अस्थायी रूप से स्थगित ... अगले आरोप का इंतजार )