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Thread: जाट तो आजकल निठ्ठले ही हो गए हैं!

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  1. #1

    जाट तो आजकल निठ्ठले ही हो गए हैं!

    जाट तो आजकल निठ्ठले ही हो गए हैं:

    1) पहले जाट अपनी आर्यसमाजी परम्परा के तहत जो ढोंग-पाखंड-आडंबर का भांडा फोड़ने का काम किया करते थे वो आजकल दलित और फिल्मों वाले कर रहे हैं| जाट तो बल्कि आज अपना आर्यसमाजी स्वाभिमान और अभिमान छोड़, इसके उल्ट चौकियों-जगरातों-भंडारों में जा फंसे हैं|
    2) पहले जो जाट, समाज के आपसी झगड़े निबटवाया करते थे, वो आजकल टीवी डिबेटों वाले निबटा रहे हैं (नहीं शायद निबटवाने का ढोंग करके और ज्यादा पेचीदा उलझा रहे हैं)| जाट तो बस आरक्षण की लड़ाई लड़ने तक ही सिमट कर रह चुके हैं|
    3) पहले जो जाट-खाप सामाजिक सुधार के आंदोलन और मूवमेंट चलाया करते थे वो आजकल जाट बनाम नॉन-जाट के मुद्दे तक पर भी खुलकर राय रखने से घबराते हैं| खुद की जाट-ब्रांड को ही सुरक्षित रखने में समर्थ साबित नहीं हो रहे, पूरे समाज की ब्रांड की तो अब बात करना ही सपना लगने लगी है|
    4) जो जाट शिक्षा के लिए खुद आगे बढ़ के कहीं जाट स्कूल तो कहीं जाट कॉलेज तो कहीं आर्य गुरुकुल बनवाया करते थे वो आजकल यह चंदा माता की चौकी और अंधभक्ति वालों के भीतर में उतार रहे हैं| क्या कहीं सुना है कि 'जाट कम्युनिटी' के नाम पर नए जाट कॉलेज या स्कूल निर्माण हेतु विगत दो दशकों से तो खासकर जाटों ने एक भी नई ईंट लगाई हो?
    5) खापें अगर चाहें तो एक पल में 36 बिरादरी की महापंचायत करके राजकुमार सैनी, मनोहरलाल खट्टर और रोशनलाल आर्य जैसों को एक पल में सामाजिक मंच से उनकी समाज को तोड़ने की बातें (कभी जाटों को ले के तो कभी हरयाणवियों को ले के कंधे से ऊपर कमजोर जैसे बयान) करने पे माफ़ी मांगने को विवश कर दें, परन्तु वो यह कह के चुप बैठ जाती हैं कि हम सब बिरादरियों के प्रतिनिधि हैं, कोई बुरा मान गया तो? कमाल है समाज को तोड़ने वालों को आगाह करने से भला कौन बुरा मानेगा?

    तो ऐसे में जाटों का सामाजिक रुतबा सिकुडेगा नहीं तो और क्या होगा? जाट समाज की 40 से 60 साल और 20 से 40 साल की दोनों पीढ़ियों को सोचने की गंभीर जरूरत है कि आप लोग किधर से किधर निकल आये हैं| क्या रुतबा आपके पुरखों ने हासिल किया था| हालत यह होती जा रही है कि उसमें नया जोड़ने की बजाये जो वो दे गए थे उसको संभालने और बरक़रार रखने भर में ही आज के जाट के पसीने छूट रहे हैं|
    जय यौद्धेय! - फूल मलिक
    One who doesn't know own roots and culture, their social identity is like a letter without address and they are culturally slave to philosophies of others.

    Reunion of Haryana state of pre-1857 is the best way possible to get Jats united.

    Phool Kumar Malik - Gathwala Khap - Nidana Heights

  2. The Following 5 Users Say Thank You to phoolkumar For This Useful Post:

    dndeswal (September 12th, 2017), lrburdak (February 26th, 2016), op1955 (December 19th, 2015), SALURAM (September 25th, 2017), sukhbirhooda (December 28th, 2015)

  3. #2
    Nithalle seriously....then place me on top of the list .

    Jat na toh apne sath chal sakte na hi kissi aur ke sath........

  4. The Following User Says Thank You to rekhasmriti For This Useful Post:

    SALURAM (September 25th, 2017)

  5. #3
    कमाल करो सो भाईसाब आप नै बैरा कोणी हम modern होगे सैं

  6. The Following User Says Thank You to kannumix For This Useful Post:

    SALURAM (September 25th, 2017)

  7. #4
    साँच बोल्या सा चिंतन मनन की जरूरत है

  8. The Following User Says Thank You to Ramlaljat For This Useful Post:

    SALURAM (September 25th, 2017)

  9. #5
    Quote Originally Posted by kannumix View Post
    कमाल करो सो भाईसाब आप नै बैरा कोणी हम modern होगे सैं
    Bolo Jai Mata Di!!

    Ambe hai meri maa, durge hai meri maa!!

    ab rang mein rang milane hi padte hain, nahin to bahar to hum apni maaon ko bhool hi jaayenge

  10. The Following User Says Thank You to neel6318 For This Useful Post:

    SALURAM (September 25th, 2017)

  11. #6
    Quote Originally Posted by phoolkumar View Post
    जाट तो आजकल निठ्ठले ही हो गए हैं:

    1) पहले जाट अपनी आर्यसमाजी परम्परा के तहत जो ढोंग-पाखंड-आडंबर का भांडा फोड़ने का काम किया करते थे वो आजकल दलित और फिल्मों वाले कर रहे हैं| जाट तो बल्कि आज अपना आर्यसमाजी स्वाभिमान और अभिमान छोड़, इसके उल्ट चौकियों-जगरातों-भंडारों में जा फंसे हैं|
    2) पहले जो जाट, समाज के आपसी झगड़े निबटवाया करते थे, वो आजकल टीवी डिबेटों वाले निबटा रहे हैं (नहीं शायद निबटवाने का ढोंग करके और ज्यादा पेचीदा उलझा रहे हैं)| जाट तो बस आरक्षण की लड़ाई लड़ने तक ही सिमट कर रह चुके हैं|
    3) पहले जो जाट-खाप सामाजिक सुधार के आंदोलन और मूवमेंट चलाया करते थे वो आजकल जाट बनाम नॉन-जाट के मुद्दे तक पर भी खुलकर राय रखने से घबराते हैं| खुद की जाट-ब्रांड को ही सुरक्षित रखने में समर्थ साबित नहीं हो रहे, पूरे समाज की ब्रांड की तो अब बात करना ही सपना लगने लगी है|
    4) जो जाट शिक्षा के लिए खुद आगे बढ़ के कहीं जाट स्कूल तो कहीं जाट कॉलेज तो कहीं आर्य गुरुकुल बनवाया करते थे वो आजकल यह चंदा माता की चौकी और अंधभक्ति वालों के भीतर में उतार रहे हैं| क्या कहीं सुना है कि 'जाट कम्युनिटी' के नाम पर नए जाट कॉलेज या स्कूल निर्माण हेतु विगत दो दशकों से तो खासकर जाटों ने एक भी नई ईंट लगाई हो?
    5) खापें अगर चाहें तो एक पल में 36 बिरादरी की महापंचायत करके राजकुमार सैनी, मनोहरलाल खट्टर और रोशनलाल आर्य जैसों को एक पल में सामाजिक मंच से उनकी समाज को तोड़ने की बातें (कभी जाटों को ले के तो कभी हरयाणवियों को ले के कंधे से ऊपर कमजोर जैसे बयान) करने पे माफ़ी मांगने को विवश कर दें, परन्तु वो यह कह के चुप बैठ जाती हैं कि हम सब बिरादरियों के प्रतिनिधि हैं, कोई बुरा मान गया तो? कमाल है समाज को तोड़ने वालों को आगाह करने से भला कौन बुरा मानेगा?

    तो ऐसे में जाटों का सामाजिक रुतबा सिकुडेगा नहीं तो और क्या होगा? जाट समाज की 40 से 60 साल और 20 से 40 साल की दोनों पीढ़ियों को सोचने की गंभीर जरूरत है कि आप लोग किधर से किधर निकल आये हैं| क्या रुतबा आपके पुरखों ने हासिल किया था| हालत यह होती जा रही है कि उसमें नया जोड़ने की बजाये जो वो दे गए थे उसको संभालने और बरक़रार रखने भर में ही आज के जाट के पसीने छूट रहे हैं|
    जय यौद्धेय! - फूल मलिक
    फूल कुमार जी इसके कई कारण हो सकते हैं मुख्यतः हम आजकल जाट समाज का साथ न देकर क्षेत्रवाद की और मुड़ रहे हैं, हरियाणा वाला हरियाणा वालों की बड़ाई में व्यस्त हैं और राजस्थान वाले राजस्थानी के चक्कर में घुन पीस रहे हैं,
    दूसरा मुख्य कारण कथित बाबाओं के चक्कर में पड़ना भी हैं कभी रामपाल कभी राम रहीम तो कभी निर्मल बाबा,
    रामपाल और राम रहीम के भक्तों में सबसे बड़ी संख्या जाटों की हैं.. हम जाटों में टूट का परिणाम हैं कि राजस्थान में आजतक कोई जाट मुख्यमंत्री नहीं बना और हरियाणा में खट्टर जैसे लोगों का हरियाणा की राजनीती के शिखर पर पहुंचना भी जाट एकता की टूट और कुछ जाट नेताओं का स्वार्थ भी हैं...
    खापों का अस्तित्व भी कुछ स्वार्थी जाटों के कारण ही खतरे में हैं,
    जय भारत

  12. #7
    फूल कुमार जी बात तो आपने बहुत अच्छी की है लेकिन इसके पीछे भी बहुत से कारण है आज एक घर में बेटा बाप का और बाप बेटे का कहना नहीं मानते तो खाप और जाट समाज का क्या कहना मानेगे और खापो में भी आज कल राजनितिक लोग आने लगे है जिनको ना तो खाप से और ना ही जाट समाज से कोई मतलब वो सिर्फ अपनी राजनीति करते है खापो के माध्यम से एक और आज के मॉडर्न समाज में खापे भी उतनी जल्दी से अपने आप को समाज के साथ बदल नहीं पाई है जिसकी वजह से खापे पिछड़ी जा रही है

  13. The Following 2 Users Say Thank You to pardeepmoun For This Useful Post:

    neel6318 (September 27th, 2017), SALURAM (September 26th, 2017)

  14. #8
    Quote Originally Posted by pardeepmoun View Post
    फूल कुमार जी बात तो आपने बहुत अच्छी की है लेकिन इसके पीछे भी बहुत से कारण है आज एक घर में बेटा बाप का और बाप बेटे का कहना नहीं मानते तो खाप और जाट समाज का क्या कहना मानेगे और खापो में भी आज कल राजनितिक लोग आने लगे है जिनको ना तो खाप से और ना ही जाट समाज से कोई मतलब वो सिर्फ अपनी राजनीति करते है खापो के माध्यम से एक और आज के मॉडर्न समाज में खापे भी उतनी जल्दी से अपने आप को समाज के साथ बदल नहीं पाई है जिसकी वजह से खापे पिछड़ी जा रही है
    आजकल खापों में ही नहीं हर जगह राजनितिक लोगों का बोलबाला बढ़ा हैं। .. वो लोग ऐसी संस्थाओं का सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए उपयोग करते हैं उनको सामाजिक हितों के रक्षा की कोई फ़िक्र नहीं होती हैं। सर्व प्रथम ऐसे लोगों की विदायगी होनी चाहिए।
    रही बात खापों के समय के साथ बदलाव की तो जैसे जैसे समय और जमाना बदलता हैं खापों में भी बदलाव की जरूरत हैं।
    वैसे आजकल हर कोई पश्चिमी चकाचौंध के पीछे भाग रहा है उससे हमारे समाज को किस तरह बचाया जाय इसके लिए जाटलैंड जैसे मंचों पर चर्चा की सख्त जरूरत हैं।
    जय भारत

  15. #9
    सीधे तो आजकल साधु भी नहीं रह रहे हैं... हम तो फिर भी जाट हैं...
    Click image for larger version. 

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    जय भारत

  16. #10
    Quote Originally Posted by SALURAM View Post
    सीधे तो आजकल साधु भी नहीं रह रहे हैं... हम तो फिर भी जाट हैं...
    Click image for larger version. 

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    na! ye comparison accha nahi. Competition karo to kisi winner se, haarke bhi jeet haasil lagegi.

  17. The Following User Says Thank You to neel6318 For This Useful Post:

    SALURAM (October 9th, 2017)

  18. #11
    Quote Originally Posted by neel6318 View Post
    na! ye comparison accha nahi. Competition karo to kisi winner se, haarke bhi jeet haasil lagegi.
    ....................
    जय भारत

  19. #12
    Quote Originally Posted by SALURAM View Post
    ....................
    iska matlab, main bhi cheers karun kya? ......lekin brand India ki nahi honi chahiye

  20. The Following User Says Thank You to neel6318 For This Useful Post:

    SALURAM (October 9th, 2017)

  21. #13
    Quote Originally Posted by neel6318 View Post
    iska matlab, main bhi cheers karun kya? ......lekin brand India ki nahi honi chahiye
    मोदीजी तो मेक इन इंडिया का नारा लगा रहे हैं और आपको इंडिया से बाहर वाली ब्रांड चाहिए... चाइना वाली ब्रांड चलेगी क्या???
    Last edited by SALURAM; October 5th, 2017 at 11:44 PM.
    जय भारत

  22. #14
    जय जाट जय हिंदुत्व जय भारत

  23. #15
    mujhe aaj yaad aya ki hum nithalle hokar bhi kaam-kaaji kaise ban sakte hain........so I am busy online now!

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