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Thread: आओ बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जी की जन्मजयंतì

  1. #1

    आओ बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जी की जन्मजयंतì

    आओ बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जी की जन्मजयंती पर जानें कि "जाटू-सभ्यता" किसको कहते हैं:

    बाबा का अवतार धारण दिवस 6 अक्टूबर, 1935 पर विशेष!
    सलंगित फोटो से वैसे तो सम्पूर्ण भारतीय समाज, उसमें भी आज का जाट-युवा खासतौर पर समझे कि कैसे हर धर्म का नुमाइंदा बाबा टिकैत की महफ़िल में सजदा करता था| कैसे और कितने विशेष स्नेह के साथ बाबा टिकैत का मुंह ताकता था| देखो इस फोटो में क्या मुस्लिम, क्या हिन्दू, क्या सिख हर कोई बाबा टिकैत को घेरे बैठा है|
    और यही रीत सर छोटूराम, सर सिकन्दर हयात खा, सर फज़ले हुसैन, सरदार प्रताप सिंह कैरों (छोटे छोटूराम) व् चौधरी चरण सिंह ने चलाई थी| जिसको बाबा टिकैत ने आगे बढ़ाया| परन्तु ऐसा लगता है बाबा के 2011 में चले जाने के बाद से यह रीत अपने उत्तराधिकारी की बाट ही जोह रही है| इन लोगों ने धर्म के पीछे लगने की बजाय, हर धर्म को मानवता की राह दिखाई और उस पर चला के, एक झंडे नीचे खड़ा किया| किसी अन्य भारतीय जाति के पुरखों के खाते नहीं है यह शाहकार| जातियों को जोड़ने वाले तो अन्य जातियों में भी मिल जायेंगे, परन्तु यूँ सभी धर्मों को एक खूंटे बाँधने वाले सिर्फ जाट पुरखे हो के गए हैं|

    आज के दिन कट्टरता-साम्प्रदायिकता में भ्रमाये सर्वसमाज के युवा के साथ-साथ जाट युवा समझे कि जाट, कट्टरता पर आधारित धर्म को फॉलो करने के लिए नहीं बना, जाट बना है सब धर्मों को एक साथ ले के मानवता को धर्म से ऊपर रख के पालने के लिए| इस फोटो में जो दृश्य दिख रहा है इसी को "जाटू-सभ्यता" कहते हैं| सुख-दुःख, आपदा-विपदा-हर्ष का वक्त आता जाता रहता है; आज अगर जाट पर जाट बनाम नॉन-जाट को झेलने की विपदा पड़ी है तो ख़ुशी-ख़ुशी झेलो, परन्तु वह राह मत छोडो जो आपके पुरखे देवता थमा गए, दिखा गए|

    क्यों किसी के बहकावे में आ के सिर्फ एक कट्टरता, जातिवाद और सम्प्रदायवाद पर आधारित धर्म-विशेष को पोषने की खुद से ही जिद्द बाँध बैठ हो| सर्वधर्म को पालो, मानवता को पालो; हर धर्म की अच्छी बात को प्रणाओं और बुरी को तिलांजलि दो| क्यों व्यर्थ अपने ही डी.एन.ए. से जद्दोजहद कर रहे हो; अंतिम दिन हारोगे अपने ही डी.एन.ए. से और वापिस आओगे अपने पुरखों की दिखाई राहों पर|
    जोर लगाना है तो अपने पुरखों के लेवल का इंटेलेक्ट खुद में पैदा करने में लगाओ, इन छद्म फंडी-पाखंडियों के पीछे जूतियां चटकाने या तुड़वाने से कुछ नहीं मिलने वाला| वैसे भी सभ्यताएं और मानवताएं बिना बलिदान दिए नहीं सँजोई जाया करती और असली बलिदान की राह है मानवता को पालना|
    जय यौद्धेय! - फूल मलिक


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    One who doesn't know own roots and culture, their social identity is like a letter without address and they are culturally slave to philosophies of others.

    Reunion of Haryana state of pre-1857 is the best way possible to get Jats united.

    Phool Kumar Malik - Gathwala Khap - Nidana Heights

  2. #2
    बाबा महेंद्र सिंह टिकैत जी की जयंती पर शत शत नमन।

    Laxman Burdak

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