
Originally Posted by
dndeswal
Someone has forwarded the following short-story to me on WhatsApp. Sharing with all of you. Not sure whether it is already posted in this forum.
एक बंदूकधारी जाट घोड़े पर सवार हो कर अपनी यात्रा के दौरान एक जगह चाय पीने के लिये रुका।
उसने अपना घोड़ा चाय के होटल के पास एक पेड़ से बांध दिया और अंदर चाय पीने चला गया।
जब वह लौटा तो पाया कि उसका घोड़ा जगह पर नहीं है। किसी ने उसे चुरा लिया था। जाट ने बंदूक से एक हवाई फायर दागा और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा - "जिसने भी मेरा घोड़ा चुराया है वो सुन ले! मैं एक चाय और पीने अंदर जा रहा हूं। इस बीच अगर मेरा घोड़ा वापस जगह पर नहीं मिला तो याद रखना ..। इस जगह का वही हाल करूंगा जो घोड़ा चोरी होने पर मैंने जयपुर में किया था!"
चाय पीकर जाट जब लौटा तो उसका घोड़ा अपनी जगह पर वापस बंधा था।
वह उस पर सवार होकर चलने लगा। तभी होटलवाले ने आवाज देकर उसे रोका - "चौधरी साहब, जरा वो किस्सा तो सुनाते जाओ । जयपुर में आखिर आपने क्या किया था ?"
जाट :- "करना क्या था! वहां से पैदल ही चला आया था !!"
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