Gst के लागू होने से पहले मीडिया में जितना इसका गुणगान किया गया उसकी अब धीरे धीरे परतें खुल रही हैं। विपक्ष ही नहीं सत्तापक्ष के ही कई लोग अब खुलकर gst के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
लगातार gdp में गिरावट और देश मे मंदी का भंयकर दौर चल रहा है। त्यौहारों की सीजन खासकर दिवाळी की सीजन के बावजूद सभी बाजार खाली हैं। पहले नोटबंधी और उसके तुरंत बाद gst लागू होने से व्यापारी वर्ग में भारी निराशा का माहौल है। क्या सरकार ने कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी में gst लागू किया हैं ? जबकि अब तक तीन महीने बीत जाने के बावजूद रिटर्न्स भरने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हैं।