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Thread: कुछ मस्ती भरी बातें मारवाड़ी में

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  1. #1

    कुछ मस्ती भरी बातें मारवाड़ी में

    परदेस गए अपने पति को उसकी प्रिय पत्नी धापुडी द्वारा लिखा गया प्रेम पत्र : --

    म्हारा हिवडा का हार,
    म्हारा सोलहा सिंगार,
    म्हारी पप्पूडी का पापा…
    थारी चौडी-चौडी राफा.!
    हे प्राणनाथ जी,
    गोपिया का नाथ जी,
    म्हार रूप का दास जी,
    त्रिलोकी का नाथ जी…
    थाको कोजो घणों साथ जी…..!
    हे म्हारी जलती ज्योत,
    करवा चौथ,
    धान का बोरा,
    उन्डोडा औरा…
    थाका एक दर्जन छोरी और छोरा..!
    भोमिया का स्वामी,
    म्हारी जामी सा थाकी,
    सत्यानाशी,
    कुल विनाशी,
    कालिया की मासी,
    चरणा की दासी,
    थार प्राणा की प्यासी,
    थाकी पाताल फोड लाडली,
    धापुडी का पगा लागणा मानज्यों…
    और हो सक तो आखा-तीज पर घरा पधारज्यों…।।

    आगे समाचार एक बाचज्यों कि–
    सुसरो जी ने हिडकीयों कुत्तों खायगों…
    और चौथियों चौथी मैं चौथी बार फेल आयगों.!
    सुसरो जी तो हिडक्यो होर मरग्या…
    पण मरता मरता सासू जी न हिडक्या करग्या…..!
    सासू जी मरा मौत, कु-मौत, कुत्त की मौत और
    सासू जी न मरता देख म्हारो भी मरणा सू मन फाटग्यों है…
    जीतियों नाई काल स्वर्ग सिधारगों और
    बीको तियो पंडत गरूड्यों करायग्यों है.।
    गीतूडी के करमडा में है ना
    जुआ पडगी है…
    और सीतूडी क काना की एक बाली गमगी है…..!
    थाकी काणती काकी काल
    छाछ खातर घरा आर लडगी…
    और म्हारी बडकी सेठानी
    घीनाणी सु पानी ल्याती पडगी…..!
    भुवाजी रोजीना ही गुन्द का लाडू खावै…
    और नानूडा की लुगाई में
    मंगलवार की मंगलवार पीतर जी आवै…।।
    पपीयों,गीगो,लाल्यों और
    राजिया की लुगाई चलती री,
    पण थे तो जाणो ही हो
    राम के आगे किको बस चाल है…
    और होणी न कुण टाल है…..!
    हे म्हारा बारहा टाबरा का बाप…
    थानै लागै शीतला माता को श्राप..!
    थे आदमी हो या हरजाई…
    थे मनै अठै ऐकली छोडगा थान शरम कोनी आई.!
    थे आ पूरी पलटन म्हारै वास्तै छोडगा…
    एक इंजन मैं बारह डब्बा जोडगा..।
    इ बार सर्दी अणहोती पडे है,
    ई वास्तै टाबर घणा रोव है…
    दो चार दिना सु भूखा ही सोव है…!
    थाकि माय न
    अब भी थोडी घणी शरम बाकी होव तो
    पाछा कदै ही मत आइज्यों…
    पर पाँच हजार रूपिया हाथु हाथ भिजाज्यो..

    थांकी
    काळजा री कोर
    धापूड़ी
    जय भारत

  2. #2
    pure Rajasthani to sar ke upar se jaati hai

  3. #3
    Quote Originally Posted by neel6318 View Post
    pure Rajasthani to sar ke upar se jaati hai
    हा हा हा हा शुरू शुरू में ऐसा होता हैं। मुझे भी पहले हरियाणवी कुछ भी समझ नहीं आती थी। अब बात अलग हैं।
    जय भारत

  4. #4
    Quote Originally Posted by SALURAM View Post
    हा हा हा हा शुरू शुरू में ऐसा होता हैं। मुझे भी पहले हरियाणवी कुछ भी समझ नहीं आती थी। अब बात अलग हैं।
    Mujhe to ab aati hai.......seekh li......lekin sirf gusse mein istemal hota hai.....hehe......fir analyse karne mein vyast ho jaati hun ki kitni theek boli aur kitni aur acchi karni chahiye .....lekin sirf Haryanvi

  5. #5
    Quote Originally Posted by neel6318 View Post
    Mujhe to ab aati hai.......seekh li......lekin sirf gusse mein istemal hota hai.....hehe......fir analyse karne mein vyast ho jaati hun ki kitni theek boli aur kitni aur acchi karni chahiye .....lekin sirf Haryanvi
    थोड़ी राजस्थानी सीख लो , एकाध चुटकला हमारा भी पढोगे तो हंसने के काम आएगा। वर्ना ऐसे ही ऊपर से जाना ही हैं जैसे पहले मेरे भी हरयाणवी और कन्नड़ जाती थी।
    जय भारत

  6. #6
    Quote Originally Posted by SALURAM View Post
    थोड़ी राजस्थानी सीख लो , एकाध चुटकला हमारा भी पढोगे तो हंसने के काम आएगा। वर्ना ऐसे ही ऊपर से जाना ही हैं जैसे पहले मेरे भी हरयाणवी और कन्नड़ जाती थी।
    jaane do, saare helipads wahin se aate hain, rajdhani hoke chale jaate hain.

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