जिधर देखो हर दूसरा आदमी इस देश में इतिहासकार बना घूम रहा है| सारे फसाद की जड़ एक फिल्म है जो एक राजपूत महारानी पद्मावती के जीवन पर आधारित है| ऐसा फ़िल्मकार संजय लीला भंसाली दावा करते है| हालाँकि इतिहासकरो की राय जुदा है| पूरा विवाद एक सोची समझी रणनीति के तहत है| आजकल हिन्दू इतिहास से खेलने की आदत से बनी हुई है बॉलीवुड के फिल्मकारों में| इसके फायदे भी है| मुफ्त का प्रचार| कहा जाता है प्रचार सकरात्मक या नकरात्मक नहीं होता| यह होता है तो बस होता है|

वैसे भी देश आजकल धर्म को लेकर असहिष्णु बना हुआ है| आप के मुंह से कुछ निकला नहीं कि बवाल शुरू| अब कोई पूरी पिक्चर ही बना दी ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर तो फिर तो शोर मचेगा ही| पहले पीके मूवी पर भी ऐसा ही हंगामा मचा था| इसी हंगामे के बीच वो अब तक की सबसे बड़ी हिंदी फिल्म बन गयी| रिकॉर्डतोड़ कमाई की| फिल्म रिलीज़ भी हुई| लोगो ने जमकर देखी| फिल्मकार संजय लीला भंसाली भी शायद पीके से कुछ ज्यादा ही प्रेरणा पा गए लगते है| इससे पहले उनकी भी एक फिल्म के शीर्षक को लेकर खूब हंगामा हुआ था| रणवीर और दीपिका की जोड़ी वाली रामलीला| विवाद होने के बाद फिल्म का नाम गोलियों की रासलीला रामलीला रखा गया| फिल्म ने बम्पर कमाई की| वही कहानी दोहराई गयी बाजीराव मस्तानी के वक़्त| नतीजा साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म| अब ऐसा लगता है भंसाली साहब वही हिट फार्मूला दोहराना चाहते है| फिल्म को कंट्रोवर्सी में डालकर|

अब आते है विरोध करने वालो पर| एक राजपूत सेना है जो बवाल काटे हुए है| लगता है दुनिया जहाँ के इतिहासकार और ज्योतिषी इसी सेना में भरे पड़े है| बिना फिल्म देखे इसे राजपूत विरोधी करार दे दिया| वैसे ही जैसे कोई बिना प्रश्नपत्र देखे परीक्षाओ का बहिष्कार कर दे| कि आउट ऑफ द सिलेबस आया है| कुछ ऐसा हाल है इन विरोध करने वालो का| कोई नाक काटने की बात करता है कोई गर्दन|

यहाँ तक तो सब ठीक था| लेकिन इतना बड़ा बवाल हो और इसमें राजनीति न हो ऐसा भला हो सकता है| तो बीजेपी के एक मुख्यमंत्री ने पद्मावती को राजमाता का दर्जा दे दिया| जनाब किसी से पूछ तो लिया होता| कितने राष्ट्रपिता और राजमाता याद रखेगी जनता| पंजाब, यूपी, एमपी सब जगह बैन कर दी गयी फिल्म| वो भी देखे बिना| इस अंधविरोध की कोई सीमा है क्या| कोई बताएगा|