दिनांक 7 फरवरी खाप पंचायतों के लिए सर्वोच्च न्यायलय द्वारा टिप्पणी शुभ संकेत का आगाज, आज सर्वोच्च न्यायलय की तीन न्यायधीश बेंच,माननीय मुख्य न्यायधीश,माननीय न्यायधीश चन्दर चुड़ और माननीय न्यायधीश श्री खल्विनकर द्वारा फैसले मैं कहा कि किसी भी दो वयस्कों को शादी करने से रोकने का का हक़ किसी का नहीं है लेकिन हर जगह नाम सिर्फ खाप का ही घसीटा जाता है यह सरा-सर गलत है बे वजह से खाप पंचायतों का नाम बिलकुल नहीं घसीटा जायेगा न ही इन्हे बदनाम किया जायेगा. इनके खिलाफ ऐसे कोई सबूत नहीं पाए गए हैं. खाप को विभिन्न नामों से बदनाम करने कि साजिश के तहत एक एन. जी. ओ. शक्ति-वाहिनी ने रिट पिटीशन(केस न.231 जून 2010 ) में डाली. हालाँकि शक्ति-वाहिनी के प्रमुख रविकांत ने बताया कि हमारा उद्देश्य खाप प्रणाली को ठेश पहुँचाना कतई नहीं था. खापों द्वारा लम्बी लड़ाई के बाद अंतत खाप जीत कि दहलीज तक पहुंची और अपनी इस स्वच्छ प्रणाली को बदनाम होने से बचने में सफल रही. अपना पक्ष रखते हुए सीनियर वकील नरेंदर हुड्डा, जनरल डी. पी. वत्स, सुरेश देसवाल ने बताया कि खाप कभी भी समाज को तोड़ने का काम नहीं करती खाप हमेशा समाज को जोड़ने का काम करती हैं.बल्कि खाप तो अंतर्जातीय विवाह का हमेशा समर्थन करती रही हैं. खाप तो सिर्फ एक गोत्र व् एक गावं को बचाने कि पक्षधर हैं. इस लड़ाई में मुख्यत कुलदीप ढांडा, दरियाव् सैनी, इन्दर ढुल-जींद, जयसिंह अहलावत, केदार कादयान, भूप दलाल, कप्तान मान सिंह-झज्जर. महेंद्र नांदल, रामकरण हुड्डा, इंद्र हुड्डा, सुरेश देसवाल, सुरेंदर दहिया, रामकरण सोलंकी, दीवान सिंह, फूल मलिक खापलैंड.इन के सदस्य आदि ने मुख्य भूमिका निभाई.