बेटीयां देते ठेकेदार
पुराने दौर में उच्च सामाजिक व आर्थिक प्रतिष्ठा के लिए कुछ लोग अपनी बेटीयों की शादी सामतों व राजा महाराजाओं से कर देते थे। ऐसे ही राजनैतिक फायदे के लिए कुछ राजा अपनी बेटियां मुगलो को दिया करते थे।
ठीक इसी तरह जाट समाज के कुछ धनाड़ चौधरी अपनी बेटियां गैर जाट धन्ना सेठों के पुत्रों को दे रहे हैं। ये एक व्यक्ति का मानवीय व लोकतांत्रिक हक है की वो कहां शादी करे, पर ये लोग निर्लज इतने हैं की फायदे के लिए तो जाट बन जाते हैं और फ़ायदा निकलने पर ज्ञान पेलते हैं की हम जाट वाट कुछ नहीं मानते ।
राजस्थान में जाट समाज के ऐसे दो ठेकेदार हैं जिनके दामाद बड़े धन्ना सेठ हैं । ये शादी को व्यक्तिगत मैटर बता कर इसे प्यार मोहब्बत के कपड़े पहना देते हैं। हालांकि इनके बच्चों को सिर्फ अमीरपति से प्यार होता है और शिक्षित मध्यम वर्गीय जाट इनके लिए अछूत हैं।
कुल मिला कर बात ये है की जाति के रूप में जाट अपनी पहचान खो देंगे। नई पीढ़ी को समझाना तकरीबन असंभव होगा। जाट समाज का धनिक वर्ग आर्थिक हित के लिए बेटीयां देकर अपनी जाट पहचान खोने को तत्पर है।
इसलिए सबसे जरूरी कदम यही होगा जाट को हम धार्मिक विचारधारा का रूप दे क्योंकि विचार ही जिंदा रह सकता है। जाट को एक धर्म के रूप में स्थापित करने की जरुरत है।