Originally Posted by
abhisheklakda
मुझे लग रहा है की ये फोरम मेरे मतलब का नहीं है, सबसे बड़ी बात तो ये की ये जाटों को धरम के नाम पर डिवाइड करता है, मई जब हिंदू था तो मुझे ये बकवास बढ़िया लगती थी, पर अब मुझे नई लगता की मुझे यहाँ अब रुकना चाहिए, क्योकि मई भगत सिंह, सर छोटूराम का अनुयायी हु , और उनकी बातों को अपने जीवन में उतारने में विश्वास करता हु , हमारे पूर्वज धोती कुरता पहनते थे जरुरी नहीं की मई भी धोती कुरता पहनू ,, हमारे पूर्वजो ने जो किया आज वो इतिहास ह , आज हम जो कर रहे ह वो कल इतिहास होगा , हमे कल को सुधारना ह, इसमें इतिहास हमारी मदद करता ह, जो गलती हमारे पूर्वजो ने की , जरुरी नहीं की हम दोहराये , हो सकता ह हमरे पूर्वजो ने कुछ गलत किया हो, जरुरी नहीं की हम भी करे,,
अरे भाई हमे भी तो सोचने का मौका दो,भगत सिंह अगर आपकी वेबसाइट पर होता तो तुम क्या कहते,? शायद यही की तुम नास्तिक हो, तुम्हारे पूर्वज हिन्दू थे, तुम भी हिन्दू बनो, , पर आज दुनिया में भगत सिंह के करोडो पढ़ने वाले ह, उसकी सोच की दुनिया कायल ह, करतार सिंह सरभा को क्यों भूल जाते हो वो भी तो फांशी पर चढ़ गया था १९ साल की उम्र में, क्या वो भी धरम के लिए चढ़ा था?? नहीं, धरम से उसको कोई लेना देना नहीं था, क्योकि धरम का न तो नैतिकता से सम्बद्ध ह, न संस्कृति से, और कौम से तो बिलकुल भी नहीं , पर यहाँ इस फोरम पर रूढ़िवादी कट्टरपंथी सोच के लोग ज्यादा ह , कुछ तो मॉडरेटर ह, मुझे ये भी पता ह की मेरी पोस्ट जरूर डिलीट की जाएगी, पर फिर भी सोचा की एक लास्ट मैसेज छोड़ना चाहिए , ताकि मेरी इस बात पर भी कुछ विचार हो, एक सुझाव जाट इतिहासकारो को भी देना चाहूंगा की , इतिहास को ज्यादा से ज्यादा साइंटिफिक बनाने की कोशिश करे.
धन्यवाद