तू राजा की राज दुलारी मैं सिर्फ़ लंगोटे आला सुं
भांग रगड़ के पिया करूँ मैं कुण्डी सोट्टे आला सुं
तू राजा की छोरी सै म्हारे एक भी दास्सी दास नहीं
शौल दुशाल्ले ओढ़न आली म्हारे कम्बल तक भी पास नहीं...
तू बागन की कोयल सै याडैय बर्फ पडे हरी घास नहीं
किस तरियां जी लाग्गे तेरा शतरंज चौपड़ ताश नहीं
किसी साहूकार सै ब्याह करवाले मैं खालिस टोटे आला सुं
तू राजा की राज दुलारी मैं सिर्फ़ लंगोटे आला सुं
भांग रगड़ के पिया करूँ मैं कुण्डी सोट्टे आला सुं
मैं धूने में तप्या करूँ तू आग देख कै डर ज्यागी
राख घोल कै पिया करूं मेरे भाग देख कै डर ज्यागी
सौ सौ सांप पड़े रहें गल सांप देख कै डर ज्यागी
तांडव नाच करे बन मैं रंग राग देख कै डर ज्यागी
तन्नै जुल्फां आला छोरा चाहिए
तन्नै जुल्फां आला छोरा चाहिए मैं लाम्बे चोट्टे आला सुं
भांग रगड़ कै पिया करूँ मैं कुण्डी सोट्टे आला सुं.
( इस हरियाणवी रागनी (गीत ) को हाल ही में रिलीज़ हुई हिन्दी फ़िल्म लक्की ओये, ओये लक्की में प्रस्तुत लिया गया है, मूल रूप से ये हरयाणवी रागनी है जिसमे भगवान शिव देवी पार्वती को ये समझा रहे हैं की वो उनसे शादी न करे क्यूं कि वो एक फक्कड़ साधू हैं और वो राजा की बेटी है, दोनों का मेल नही हो सकता। इस गीत को फ़िल्म में हालाँकि ज्यादा प्रचार नही मिला लेकिन जो भी इसे सुनता है बार बार सुनना चाहता है, इसकी संगीत की मिठास कानो को सुकून देती है और बोल दिल को छू लेते हैं। फ़िल्म में इसे मास्टर महावीर ने गया है। )