Page 2 of 3 FirstFirst 1 2 3 LastLast
Results 21 to 40 of 52

Thread: Killing of honor is also crime

  1. #21
    Agar baat Naam ki hai to
    Wajeer naam bhi jato mein aam paya jata hai joki muslim naam hai
    Sikh namo ki to bharmar hai
    Naam se ye kehna thoda mushkil hai ki ham Hindu hi hain

    Sikh kaum to hindu nahi unka kisne kya ukhad liya Hindu hamari dhal nahi hamari kamjori ban raha hai.
    Dream is not what you see while sleeping. Dream is that which won't let you sleep

  2. #22
    Quote Originally Posted by raka View Post
    उपेंदर भाई फिर अपने यहाँ कुछ पढ़ा ही नहीं | हैं | और जो यह thread में honour killing वाला जिक्र चल रहा हैं उसकी भी जड़ भी आपका hindu marriage act हैं | अगर जाट हिन्दू हैं तो फिर क्यों इसकी मुखालफत कर रहा हैं अपने दक्षिणी हिन्दू भाइयों का बनाया हुआ कानून क्यों नहीं मानता ? पहले सारा इतिहास पढ़ लो अपने आप ज्ञान हो जायेगा | बाकी ये thread धर्म पर नहीं honour के नाम पर हैं |
    Rakesh ji ..
    dont know much bout Jatt background.... so no comments on that part...

    but the best thing i like is ur signature... simply superb
    Navdeep Khatkar
    मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय

  3. #23
    Quote Originally Posted by rakeshsehrawat View Post
    Agar baat Naam ki hai to
    Wajeer naam bhi jato mein aam paya jata hai joki muslim naam hai
    Sikh namo ki to bharmar hai
    Naam se ye kehna thoda mushkil hai ki ham Hindu hi hain

    Sikh kaum to hindu nahi unka kisne kya ukhad liya Hindu hamari dhal nahi hamari kamjori ban raha hai.
    भाई, बात केवल नाम की नहीं है, बल्कि सभी हिंदू रीति-रिवाजों की है...वजीर, महताब इत्यादि नाम हिंदुओं में महज अपवाद हैं...वजीरुल्लाह या वजीरुद्दीन टाइप नाम हिंदुओं में नहीं मिलेंगे...मुस्लिम जाट अमूमन हिंदू नाम नहीं रखते हैं (यहां गौत्र की बात नहीं हो रही है)...सिखों ने अपने नाम को थोड़ा बदल दिया है...विंदर टाइप...और चूंकि सिख धर्म एक हिंदू गुरु नानक द्वारा स्थापित धर्म है तो सिख हिंदुओं से ज्यादा अलग नहीं हैं, भले ही उनमें से कुछ ऐसा सोचते हों...वैसे तथाकथित 'जाट धर्म' को मानने वाले (हा..हा..हा...जो कि इस दुनिया में बस उंगलियों पर गिने जा सकने वाले हैं) हिंदू धर्म का तिरस्कार करते हैं, इस धर्म को ब्राह्मणों का पाखंड करार देते हैं, लेकिन जब शरीर की आग जलाने लगती है और विवाह करने के लिए अंतर्मन तड़प उठता है तो उसी ब्राह्मण से विवाह के मंत्र पढवाने में कोई गुरेज नहीं करते...यह दोगलापन क्यों? सिख जाटों का पिता गुरु नानक है...मुस्लिम जाटों का पिता पैगंबर मोहम्मद है...जाट धर्म (हा...हा...हा...जाट धर्म) को मानने वालों का पिता कौन है...क्या कोई भी नहीं...हा...हा...हा...सिख जाटों का भक्ति स्थल गुरुद्वारा है...मुस्लिम जाटों का मस्जिद...लेकिन जाट धर्म को मानने वालों का क्या है...??? अगर जाटों पर धर्म हावी नहीं होता तो फिर क्यों 'खालिस्तान' की मांग की गई तथाकथित जट्टों द्वारा...??? जब कायर कांग्रेस सरकार द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार में हमारे लगभग 2000 सिख जाट भाई गोलियों से उड़ा दिए गए...तब वे स्वर्ण मंदिर (सिखों का भक्ति स्थल) में क्या कर रहे थे...??? जब दिल्ली में 1984 के दंगों में लगभग 5000 सिखों का कत्ले-आम कर दिया गया और उसका आरोप जाटों पर लगा तो ऐसा क्यों हुआ??? जाट तो धर्म आदि में विश्वास ही नहीं करते...
    जाट धर्म को मानने वाले या तो हिंदू धर्म को पूरी तरह से त्याग दें या फिर इस महान हिंदू धर्म का सम्मान करें, मेरा मतलब बस यही था...हिंदू होने का लाभ भी लेते रहो और इसी धर्म को गाली भी बकते रहो...यह जाटों को शोभा नहीं देता...जाट जिस थाली में खाता है, उसमें छेद नहीं करता...बाकी सबके अपने-अपने विचार हैं...मैं हिंदू धर्म का खुद पर अहसान स्वीकार करता हूं और एक हिंदू जाट होने में गर्व का अहसास करता हूं...कोई और मुसलमान बनना चाहे या सरदार बनना चाहे...मेरी बला से...यह फोरम विचारों के आदान-प्रदान के लिए है...विचारों का टकराव तो यहां होगा ही...

  4. #24
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, बात केवल नाम की नहीं है, बल्कि सभी हिंदू रीति-रिवाजों की है...वजीर, महताब इत्यादि नाम हिंदुओं में महज अपवाद हैं...वजीरुल्लाह या वजीरुद्दीन टाइप नाम हिंदुओं में नहीं मिलेंगे...मुस्लिम जाट अमूमन हिंदू नाम नहीं रखते हैं (यहां गौत्र की बात नहीं हो रही है)...सिखों ने अपने नाम को थोड़ा बदल दिया है...विंदर टाइप...और चूंकि सिख धर्म एक हिंदू गुरु नानक द्वारा स्थापित धर्म है तो सिख हिंदुओं से ज्यादा अलग नहीं हैं, भले ही उनमें से कुछ ऐसा सोचते हों...वैसे तथाकथित 'जाट धर्म' को मानने वाले (हा..हा..हा...जो कि इस दुनिया में बस उंगलियों पर गिने जा सकने वाले हैं) हिंदू धर्म का तिरस्कार करते हैं, इस धर्म को ब्राह्मणों का पाखंड करार देते हैं, लेकिन जब शरीर की आग जलाने लगती है और विवाह करने के लिए अंतर्मन तड़प उठता है तो उसी ब्राह्मण से विवाह के मंत्र पढवाने में कोई गुरेज नहीं करते...यह दोगलापन क्यों? सिख जाटों का पिता गुरु नानक है...मुस्लिम जाटों का पिता पैगंबर मोहम्मद है...जाट धर्म (हा...हा...हा...जाट धर्म) को मानने वालों का पिता कौन है...क्या कोई भी नहीं...हा...हा...हा...सिख जाटों का भक्ति स्थल गुरुद्वारा है...मुस्लिम जाटों का मस्जिद...लेकिन जाट धर्म को मानने वालों का क्या है...??? अगर जाटों पर धर्म हावी नहीं होता तो फिर क्यों 'खालिस्तान' की मांग की गई तथाकथित जट्टों द्वारा...??? जब कायर कांग्रेस सरकार द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार में हमारे लगभग 2000 सिख जाट भाई गोलियों से उड़ा दिए गए...तब वे स्वर्ण मंदिर (सिखों का भक्ति स्थल) में क्या कर रहे थे...??? जब दिल्ली में 1984 के दंगों में लगभग 5000 सिखों का कत्ले-आम कर दिया गया और उसका आरोप जाटों पर लगा तो ऐसा क्यों हुआ??? जाट तो धर्म आदि में विश्वास ही नहीं करते...
    जाट धर्म को मानने वाले या तो हिंदू धर्म को पूरी तरह से त्याग दें या फिर इस महान हिंदू धर्म का सम्मान करें, मेरा मतलब बस यही था...हिंदू होने का लाभ भी लेते रहो और इसी धर्म को गाली भी बकते रहो...यह जाटों को शोभा नहीं देता...जाट जिस थाली में खाता है, उसमें छेद नहीं करता...बाकी सबके अपने-अपने विचार हैं...मैं हिंदू धर्म का खुद पर अहसान स्वीकार करता हूं और एक हिंदू जाट होने में गर्व का अहसास करता हूं...कोई और मुसलमान बनना चाहे या सरदार बनना चाहे...मेरी बला से...यह फोरम विचारों के आदान-प्रदान के लिए है...विचारों का टकराव तो यहां होगा ही...

    phewwww........
    Navdeep Khatkar
    मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय

  5. #25
    Quote Originally Posted by upendersingh View Post
    भाई, बात केवल नाम की नहीं है, बल्कि सभी हिंदू रीति-रिवाजों की है...वजीर, महताब इत्यादि नाम हिंदुओं में महज अपवाद हैं...वजीरुल्लाह या वजीरुद्दीन टाइप नाम हिंदुओं में नहीं मिलेंगे...मुस्लिम जाट अमूमन हिंदू नाम नहीं रखते हैं (यहां गौत्र की बात नहीं हो रही है)...सिखों ने अपने नाम को थोड़ा बदल दिया है...विंदर टाइप...और चूंकि सिख धर्म एक हिंदू गुरु नानक द्वारा स्थापित धर्म है तो सिख हिंदुओं से ज्यादा अलग नहीं हैं, भले ही उनमें से कुछ ऐसा सोचते हों...वैसे तथाकथित 'जाट धर्म' को मानने वाले (हा..हा..हा...जो कि इस दुनिया में बस उंगलियों पर गिने जा सकने वाले हैं) हिंदू धर्म का तिरस्कार करते हैं, इस धर्म को ब्राह्मणों का पाखंड करार देते हैं, लेकिन जब शरीर की आग जलाने लगती है और विवाह करने के लिए अंतर्मन तड़प उठता है तो उसी ब्राह्मण से विवाह के मंत्र पढवाने में कोई गुरेज नहीं करते...यह दोगलापन क्यों? सिख जाटों का पिता गुरु नानक है...मुस्लिम जाटों का पिता पैगंबर मोहम्मद है...जाट धर्म (हा...हा...हा...जाट धर्म) को मानने वालों का पिता कौन है...क्या कोई भी नहीं...हा...हा...हा...सिख जाटों का भक्ति स्थल गुरुद्वारा है...मुस्लिम जाटों का मस्जिद...लेकिन जाट धर्म को मानने वालों का क्या है...??? अगर जाटों पर धर्म हावी नहीं होता तो फिर क्यों 'खालिस्तान' की मांग की गई तथाकथित जट्टों द्वारा...??? जब कायर कांग्रेस सरकार द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार में हमारे लगभग 2000 सिख जाट भाई गोलियों से उड़ा दिए गए...तब वे स्वर्ण मंदिर (सिखों का भक्ति स्थल) में क्या कर रहे थे...??? जब दिल्ली में 1984 के दंगों में लगभग 5000 सिखों का कत्ले-आम कर दिया गया और उसका आरोप जाटों पर लगा तो ऐसा क्यों हुआ??? जाट तो धर्म आदि में विश्वास ही नहीं करते...
    जाट धर्म को मानने वाले या तो हिंदू धर्म को पूरी तरह से त्याग दें या फिर इस महान हिंदू धर्म का सम्मान करें, मेरा मतलब बस यही था...हिंदू होने का लाभ भी लेते रहो और इसी धर्म को गाली भी बकते रहो...यह जाटों को शोभा नहीं देता...जाट जिस थाली में खाता है, उसमें छेद नहीं करता...बाकी सबके अपने-अपने विचार हैं...मैं हिंदू धर्म का खुद पर अहसान स्वीकार करता हूं और एक हिंदू जाट होने में गर्व का अहसास करता हूं...कोई और मुसलमान बनना चाहे या सरदार बनना चाहे...मेरी बला से...यह फोरम विचारों के आदान-प्रदान के लिए है...विचारों का टकराव तो यहां होगा ही...
    Bichlawe na re bhai Upender


    Shareer ki aag thandi ho jati hai to admi ko chita par letaya jata hai Jat bhi chita par let-ta hai aur iske alawa bahut sare dharmo mein Antim sanskar ke liye agni ka hi paryog kiya jata hai par Us agni mein hindu Uple yaani gobar ko apvitra mante hain jabki jato mein aisa nahi hai.
    Hamare yahan pitro ki pooja hoti hai Bhaiyan naam ki ek centralized worship hamare yahan hai jisme koi bhagwan aadi ka naam nahi hai Teej hinduo ko tyohar nahi hai. Aur baaki rahi baat sardaro wali to unhone apna alag desh manga tha ham to sirf apna dharam mangenge (ye sabse mushkil hai kyonki hame hi nahi pata ki jat ek dharm hai)
    Dream is not what you see while sleeping. Dream is that which won't let you sleep

  6. The Following User Says Thank You to rakeshsehrawat For This Useful Post:

    ravinderjeet (June 22nd, 2011)

  7. #26
    Quote Originally Posted by rakeshsehrawat View Post
    Bichlawe na re bhai Upender


    Shareer ki aag thandi ho jati hai to admi ko chita par letaya jata hai Jat bhi chita par let-ta hai aur iske alawa bahut sare dharmo mein Antim sanskar ke liye agni ka hi paryog kiya jata hai par Us agni mein hindu Uple yaani gobar ko apvitra mante hain jabki jato mein aisa nahi hai.
    Hamare yahan pitro ki pooja hoti hai Bhaiyan naam ki ek centralized worship hamare yahan hai jisme koi bhagwan aadi ka naam nahi hai Teej hinduo ko tyohar nahi hai. Aur baaki rahi baat sardaro wali to unhone apna alag desh manga tha ham to sirf apna dharam mangenge (ye sabse mushkil hai kyonki hame hi nahi pata ki jat ek dharm hai)
    जाट अंतिम संस्कार के समय लकड़ी नहीं उपलों को प्रयोग में लाते हैं, इसलिए जाट हिंदुओं से अलग हो गए... ये तो कोई बात नहीं हुई...अधिकतर जाट फूल चुगकर हरिद्वार गंगाजी में बहाने क्यों जाते हैं...क्यों 13वीं इत्यादि करते हैं...खैर, इस तरह की विभिन्नताएं तो प्रत्येक धर्म में मिल जाएंगी...मुसलमानों में ही शियाओं और सुन्नी में मतभेद है...इस दुनिया में मुट्ठी-भर सरदार हैं, उन्हीं में मतभेद है...मुसलमानों की तरह भाप्पे आपस में चाचा-ताऊओं के बच्चों की शादी कर देते हैं...एक गौत्र में शादी कर देते हैं, जबकि जट्ट ऐसा नहीं करते...डेरा सच्चा सौदा में अलग ही खेल चलता है...रही बात ये पितरों को पूजने की तो ऐसा भी लगभग सभी धर्मों में होता है...ऐसे छोटे-छोटे अंतरों से कोई अलग धर्म नहीं बन जाता...
    बाकी एक बात को और समझना...हरियाणा में फिलहाल 90% हिंदू हैं...जिनमें जाट भी शामिल हैं...यदि जाट खुद को अलग धर्म घोषित कर देते हैं तो समीकरण इस प्रकार बैठेंगे...हिंदू लगभग 70%, जाट लगभग 20%, अन्य 10 %...ऐसे में सरकार बनेगी 70 % हिंदुओं की...और एक बात यह कि आम इंसान के विचारों के कोई मायने नहीं है...वो जीवन की समस्याओं में ही इतना उलझा होता है कि उसे धर्म, कर्म, जाति वगैरह की बातें बकवास लगती हैं और वो इस विषय में कुछ विषाक्त राय ही देता है...जिसे आम लोगों ने अपना नेता चुना होता है, उसकी बात के कोई मायने होते हैं...
    ...और भाई एक आखिरी बात और...अब कुछ दिनों बाद कांवड़ लाने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है...जिस भाई को 'जाट धर्म' की चिंता हो (चाहे वो हरियाणा का हो, उत्तर प्रदेश का हो या राजस्थान का या कहीं और का)...जाटों को रोक लेना...कांवड़ लाने वालों में जाटों की काफी बड़ी तादाद होती है...उसके बाद हिंदुओं के अन्य रीति-रिवाज मानने से भी रोक लेना...
    Last edited by upendersingh; June 22nd, 2011 at 06:04 PM.

  8. #27
    Now I know why "religion is the opium of the masses"...

  9. #28
    Very nicely said upendra ji ..........really a very nice point u have mentioned .

    I agree with u ................

  10. The Following User Says Thank You to ashishsehrawat9 For This Useful Post:

    upendersingh (June 24th, 2011)

  11. #29
    Uppu bhai ....... Rahen de....na thodi der mei Shiv ji bhi Jat proove ho jaga.
    The word "EQUAL" has no meaning in human life

  12. The Following User Says Thank You to akshaymalik84 For This Useful Post:

    upendersingh (June 24th, 2011)

  13. #30
    Quote Originally Posted by kapdal View Post
    Now I know why "religion is the opium of the masses"...
    And India has perhaps the largest number of 'religious addicts', which includes a good number of the so called 'educated'.
    Last edited by singhvp; June 22nd, 2011 at 08:48 PM.

  14. #31
    भाई उपेंदर पी के लिखा करे अक होश में न्यू तो बता दे , यहाँ आपका चरित्र प्रमाण पात्र किसने माँगा हैं
    फालतू तो के बहस करू मैं , मैंने पहले भी कहा था के आपका यह हिन्दू शब्द ही मुसलमानों का दिया हुआ हैं थोड़ा इतिहास पढ़ ले के जोर आवे स | अब ये और बता दे की जाटों में यह कावड वाली प्रथा शुरू हुए कितना वक़्त हुआ हैं ? रही शादी में फेरो की बात तो उस वक़्त भी यहाँ हरियाणा में पंडित यह सवाल जरूर करता हैं की फेरे कौनसी विधि के करवाने हैं ? आर्य समाज में पंडित जाति का फेरे करवाए यह जरूरी नहीं उसमे किसी भी जाति का फेरे करवा सकता हैं हरिजन भी और उनके फेरो की विधि आपके हिन्दू धर्म वाली से अलग हैं | ऐसे संकड़ो तर्क मिल जायेंगे हमारे समाज में जो हिन्दू रीती रिवाजो से मेल नहीं खाते गाँव में आता जाता रहा कर और थोड़ा गौर करा कर |
    बाकी या बात कसुती कही के हिन्दू धर्मी होने का फायेदा मिल रहा हैं भगवान कसम या सुनके मेरे कान भी हांसे
    और भाई ना ही मेरे त ढिल्लों साहब या जून साहब यहाँ भुलाये जा अगर गलती त आ भी गए तो तेरे पाँव पकड़ लेंगे और मांफी मांग लेंगे अपनी लिखी हुई लेखनी पर
    " जाट हारा नहीं कभी रण में तीर तोप तलवारों से ,
    जाट तो हारा हैं , गद्दारों से दरबारों से
    |"

    " इस कौम का ईलाही दुखड़ा किसे सुनाऊ ?
    डर हैं के इसके गम में घुल घुल के न मर जाऊँ || "
    ...........................चौ.छोटूराम ओहल्याण

  15. #32
    Three cheers for Mr. Sangwan. Rightly said. Jats have been away from religion. " Jat is a Jat by blood",,no religion holds him anywhere. " "J= Justice, A= Action, T=Truth".
    I hope these values carry on in Jat blood for generations to come. I hope we are able to support our own blood in the time of need and not be bounded by religion, place, jealousy or any other petty issue.

  16. #33
    Dear Sukhbir bhai,, ,,tell me
    1. Which other community is sitting at the forefront of " Bharat", for ages? from Afghanistan till northwest India...it has been Jat tribes/clans.
    So in the name of a country they are the first one to kill and get killed. most of the Jats in Pakistan and Afghanistan converted to Islamic religion, Islam is only 1500 years old, where as Jats have existed for thousands of years as different tribes.Still our people join army and kill the same blood across the border.
    2. Jats have been agriculturists for long times, with changing economic conditions,,tell me where will the village people go? U have seen, what is happening in the villages, less land more kids, small jobs, young men with no marriage prospects as there are less girls.

    Any race which gets itself killed for others is stupid, is it not? People still exploit Jats as Jats have a big " ME FIRST" attitude, so the first person a JAT makes enemy is another JAT. A Jat rarely helps other Jat, where as he is the first one to help others.

  17. The Following User Says Thank You to kelleherr For This Useful Post:

    ravinderjeet (June 23rd, 2011)

  18. #34
    भाई उप्पू आप २ अलग अलग चीजों को आपस में मिला के बात कर रहे हो. एक जाट या कोई भी और आदमी जो जी करे वो वही धरम या पंथ का अनुसरण कर सकता हे.

    पहले हमें ये हिन्दू शब्द को समजना होगा. हिन्दू शब्द का पहले मतलब होता था हिंदुस्तान में रहने वाला आदमी चाहे वह किसे भी धरम का हो. बाद में इसे गैर-मुसलमानों के लिए पर्योग किया जान लगा. इस हिन्दू धरम में सिख और बोद्ध भी आते थे. और हमारे संविधान ने भी इसी परिभाषा को अपना लिया था इसलिए हिन्दू विवाह कानून सिखों पर भी लागु होता था. पर सिख कहने लगे वो हिन्दू नहीं हे और अलग कानून की मांग करने लगे. अब इसकी परिभाषा फेर बदल दी गयी हे और अब सिख कहते हे वो हिन्दू नहीं हे जो ही एक तरेह से सही भी हे अगर हिन्दू को एक religion की तरेह देखो तो.

    अब जाट का कोई धरम हे के नहीं? ये प्रशन शयद ऐसे पूछा जाना चाहिए " क्या जाट धम्रिक हे'? तो इसका उतर होगा 'आमतोर पर नहीं'. में जितने मुस्लमान जट्टों को जनता हूँ उनमे से कोई ५ टाइम की नमाज नहीं पड़ता और सिख दारू भी पीते हें और बेद भाव भी करते हे जाती के अनुसार. मेने ऐसे सिख भी देखे हे जो अखाड़े में बजरंग बलि का नाम लिया करे हे

    बाकि अंग्रेजी वर्ड religious का मतलब थोडा अलग होता हे. यदि कोई अँगरेज़ आपसे पूछे "Are you religious " ? तो में कहूँगा नहीं कौनकी हाम(माहरे घरके) ना तो मंदिर जवां हर ना माता के दर्शन करण हर ना कiवड लान. पर फेर भी ऊपर आली परिभाषा के अनुसार हम हिन्दू हे. माहरे घरके किसे पंथ का अनुसरण भी नहीं करते जैसे की आर्य समाज, सिख धरम या फेर राधा स्वामी. हर भाई ना में किसे के धरम का मजाक उड़ाया करदा. जो माने उसकी श्रधा, जो न माने व उसकी सोच. बाकि एक बात और बतादूँ मेने तो आज तक जितने भी ये धरम आले बन्दे मिले हे चाहे सिख हो चाहे मुस्लमान या आर्य समाजी साची बंदा कोई एक-आधा होया करे हे हर साची बंदा किसे भी धरम का हो वो फेर साची ए होया करे हे उसने कोई फरक ना पड़े के तू हिन्दू हे या मुसलमान. गुरु देव सिख धरम में एक "caste-less" सोसाइटी बनाना चाहते थे. लोग सिख तो बन गए पार आज भी सिख जाट, बप्पे, चम्मार आदि कहके एक दुसरे से नफरत करते हे. जाट (sikh) आज भी अपना गोत लगावे जबकि गुरूजी कही थी केवल सिंह और कौर का इस्तेमाल करो ताकि ये भेदभाव ख़तम हो सके. ऐसे ही इस्लाम धरम ने देख लो जितनी ऐयाशी हर जुलम मुगलां ने करे किसे ने नहीं करे होंगे. यो मुजरा देखना कौनसी कुरान में लिख रखा हे भाई. इस्लाम और ईसाई धरम "conversion ने बढावा देवे हे.

    भाई ये धरम-फ़रम आदमियां के बनाये ओड़े हे ये तमने के भागवान के दर्शन करवावे गे. तो इब बताओ ताम इन धरमां त कुकर संतुस्ट हो सको हो. भाई आपी तो कोई धरम नहीं मानते हर ना किसे भाई के धरम का मजाक उड़ाते. मेरी सलाह तो मेरे भाई यही हे के इन पंडा, मौल्वियाँ, बाबा त दूर इ रया करो. भगवान का नाम इ लेना हे तो आपके घरां ले लिया करो हर जे मन की सन्तूस्ती करनी हे तो किसे गरीब का भला कर दो आपे होजेगी. हर धरम पे आजकल पाखंडी लोगा का कब्ज़ा हे हर वहां सिर्फ राजनीती चलती हे, चाहे सिख धरम हो या हिन्दू या इस्लाम. ये सिर्फ आपका उल्लू सीधा करे स.

    इस धरम ने जाट के तीन फाड़ कर दिए हार जाट के हाथों जाट मरवा दिए. ताम इस धरम के फाड़ कर दो इसके घने चक्कर में ना पड़ो.
    Last edited by VirJ; June 23rd, 2011 at 08:39 AM. Reason: हरफ
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

  19. The Following 5 Users Say Thank You to VirJ For This Useful Post:

    anilsangwan (June 23rd, 2011), mittu (June 24th, 2011), prashantacmet (June 24th, 2011), ravinderjeet (June 23rd, 2011), spdeshwal (June 23rd, 2011)

  20. #35
    I am with Vipin , Rakesh and Raka Bhai!

    The fact that, there is no temple in my village, inhibited by about 3500 families and predominantly a Jat village .It belies the contention of Upender bhai regarding rituals performed at the time of marriage. Also, I don’t remember a single incident during my early 15 years that I spent in my village, a Jat bringing ‘kavar’

    It is beyond any doubt that the word Hindu does not connote Religion alone. According to Baragawa’s dictionary, the word Hindu means, a member or race of Hindustan. So, Hindu is a broader term, being used for time immemorial not as a religion alone but vast set of traditions and customs. Religious duties and rituals is part of those traditions and customs. Even that varies from place to place and region to region.

    It is explained in detail in the Wiki link:
    http://en.wikipedia.org/wiki/Honour

    The main topic of discussion is “ killing of Honor”
    I am not very sure or clear, what does the word ‘honor’ mean in the context of ‘honor killing/ killing of honor’.

    From a family/ society point of view, what is honor?
    Is honor, persons, parents or family’s social status/ standing?
    Is honor, persons, and parents or families collective self-esteem?


    What is that gets Killed, when we say, killing of honor?
    What is saved, when we say, killed for saving honor?
    Is honor saved, when part of you (son or daughter) is killed?

    May I request the members to concentrate on the topic and invite to answer these and related questions!

    Cheers!

    Sateypal

  21. #36
    Quote Originally Posted by raka View Post
    भाई उपेंदर पी के लिखा करे अक होश में न्यू तो बता दे , यहाँ आपका चरित्र प्रमाण पात्र किसने माँगा हैं
    हा...हा...हा...मन्नै इसे-इसे (जिसा आपनै अपणी उस पोस्ट मैं अनुमान लगाया था) जुमल्यां की आदत पड़ री सै...घणखरे फेर चरित्र प्रमाण पत्र ही मांगण लाग जा सै...

    Quote Originally Posted by raka View Post
    फालतू तो के बहस करू मैं , मैंने पहले भी कहा था के आपका यह हिन्दू शब्द ही मुसलमानों का दिया हुआ हैं थोड़ा इतिहास पढ़ ले के जोर आवे स |
    पढ्या तो था इतिहास...आपनै ही कोई जवाब नहीं दिया था... Link

    Quote Originally Posted by raka View Post
    अब ये और बता दे की जाटों में यह कावड वाली प्रथा शुरू हुए कितना वक़्त हुआ हैं ? रही शादी में फेरो की बात तो उस वक़्त भी यहाँ हरियाणा में पंडित यह सवाल जरूर करता हैं की फेरे कौनसी विधि के करवाने हैं ? आर्य समाज में पंडित जाति का फेरे करवाए यह जरूरी नहीं उसमे किसी भी जाति का फेरे करवा सकता हैं हरिजन भी और उनके फेरो की विधि आपके हिन्दू धर्म वाली से अलग हैं |
    कांवड़ प्रथा शुरू हुए कितना ही समय हुआ हो, लेकिन यदि सही तरीके से कांवड़ लाई जाए तो इस बहाने जो पैदल चलने में मेहनत लगेगी, जो कष्ट होगा, उसका तो लाभ मिलेगा ही ना...और ये क्या आर्य समाज, आर्य समाज लगा रखी है...आर्य समाज हिंदू धर्म में तब व्याप्त कुरीतियों को नष्ट करने के लिए एक गुजराती ब्राह्मण सन्यासी स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा शुरू किया गया एक आंदोलन ही तो था... (Link)
    यहां जितने भी विवाहित जाट हैं, उनमें कितने ऐसे हैं, जिन्होंने अपने विवाह में मंत्र किसी हरिजन से पढ़वाए थे? आपके फेरे किस विधि से फिरे थे, आप ये क्यों नहीं बताते?:o

    Quote Originally Posted by raka View Post
    ऐसे संकड़ो तर्क मिल जायेंगे हमारे समाज में जो हिन्दू रीती रिवाजो से मेल नहीं खाते गाँव में आता जाता रहा कर और थोड़ा गौर करा कर |
    गांव में खूब जाता हूं...हमारे गांव में कई मंदिर हैं...हमारे घर के आस-पास ही एक मंदिर है और एक शिवाला...बारात जाने से पहले जो लड़के की घुड़चढ़ी होती है, उसमें वह लड़का उस शिवाले में जाता है...यहां दिल्ली में भी जहां मैं रहता हूं वहां जाटों के बीसियों घर होंगे, जिनमें हरियाणा के जाट भी हैं...वे भी घुड़चढ़ी के दौरान मंदिर में जरूर जाते हैं...उनमें से कई कांवड़ भी लाए हैं...हरियाणा के जितने भी जाट परिवहन व्यवसाय से जुड़े हैं, उनमें से अधिकतर अपने टेंपो-ठेल्लों में भोले/हनुमान की तस्वीर लगाए रहते हैं...

    Quote Originally Posted by raka View Post
    बाकी या बात कसुती कही के हिन्दू धर्मी होने का फायेदा मिल रहा हैं भगवान कसम या सुनके मेरे कान भी हांसे
    और भाई ना ही मेरे त ढिल्लों साहब या जून साहब यहाँ भुलाये जा अगर गलती त आ भी गए तो तेरे पाँव पकड़ लेंगे और मांफी मांग लेंगे अपनी लिखी हुई लेखनी पर
    अगर हिंदू धर्म का फायदा नहीं मिल रहा तो फिर जहां-जहां भी जाटों को हिंदू लिखा गया है, वहां-वहां से उसे हटवाते क्यों नहीं...ये हिंदू नाम बदलते क्यों नहीं...अन्य हिंदू रीति-रिवाज त्यागते क्यों नहीं...मैंने तो प्रमाण दिया कि जाट हिंदू हैं...आप कोई प्रमाण (लिंक) क्यों नहीं देते, जिसमें जाटों को (हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली इत्यादि के जाटों के संदर्भ में) हिंदुओं से अलग बताया गया हो...?

  22. #37
    @Vipin

    भाई, आपने बहुत ही बढ़िया बातें लिखीं...दरअसल मेरा कहने का मतलब यह हर्गिज नहीं था कि जाटों को मंदिर जाना चाहिए, पूजा-अर्चना करनी चाहिए या अन्य हिंदू धार्मिक कर्म-कांड करने चाहिए...सबसे ज्यादा असरदार तो हमारी मेहनत, तपस्या और कर्म ही हैं...मेरे कहने का अभिप्राय बस यह था कि धर्म के बिना इंसान पशु के समान होता है...आखिर कोई तो बात होगी कि इस दुनिया में अधिकतर लोग कोई ना कोई धर्म अपनाए हुए हैं...यहां तक कि अमेरिकी और यूरोपियन भी...जीवन बहुत कठिन होता है...ऐसे में हमें समाज की, आपसी सहयोग की भी आवश्यकता होती है...धर्म इन चीजों को आसान बनाता है...तो मेरे कहने का मतलब यह था कि हिंदू जाट कहलाने वाले हमारे भाईयों में से सफल लोग ज्यादा निकलकर सामने आ रहे हैं...इससे सभी जाटों का और हिंदुओं का भी सम्मान बढ़ रहा है...तो ऐसे में हमें हिंदू रीति-रिवाजों के योगदान को भी भूलना नहीं चाहिए...यदि हम ऐसा करते हैं तो अन्य हिंदू भाईयों से कट जाएंगे, अलग-थलग से हो जाएंगे...उससे हमारा जीवन कठिन हो जाएगा...यदि कुछ लोग अलग-थलग होना ही चाहते हैं तो फिर हो ही जाएं...लेकिन दुनिया ऐसे लोगों को हिंदू मानने के भुलेखे में भी रहे और ऐसे लोग खुद को हिंदू समझते ही ना हों तो फिर यह कोई ज्यादा अच्छी बात नहीं है...
    एक बिना धर्म का जीवन कितना कठिन हो सकता है, हम कल्पना भी नहीं कर सकते...बच्चे स्कूल में पढ़ने जाएंगे तो वहां अन्य बच्चे भी पूछेंगे, यहां तक कि अध्यापक भी पूछ सकते हैं...ऐसे में जिसका कोई धर्म नहीं होगा तो वो क्या बताएगा? ऐसे में साथी बच्चे उसे परेशान करेंगे...इसके बाद कदम-कदम पर मुश्किलें आएंगी...हम में से अधिकतर भले ही ऐसा कह दें कि हम तो धर्म को मानते ही नहीं, लेकिन इसके बावजूद हमें धर्म का बहुत बड़ा लाभ मिल रहा होता है...हमें इस वजह से उस धर्म का सम्मान करना चाहिए...मैं अपने नजदीकी लोगों की निगाहों में एक हिंदू जाट हूं...अब मैं अपना नाम बदलकर 'उबेंगेर ढिंग' रख लूं तो सभी लोग मुझे अजीब समझने लगेंगे...आगे परिवार बनने पर दिक्कतें बढ़ती चली जाएंगी...अमूमन सब हिंदू जाटों के नाम हिंदू हैं, इसलिए उनके बच्चों को स्कूल में अन्य हिंदू बच्चे सताते नहीं हैं...इसी तरह की और भी कई बातें कही जा सकती हैं...तो इस बात को नकारना तो अर्थहीन होगा कि मुझे या अन्य हिंदू जाटों को हिंदू होने का लाभ नहीं मिल रहा...ऐसे में मैं तो मौका लगते ही इस धर्म की सराहना करूंगा, इसका खुद पर अहसान भी मानूंगा...कोई और ऐसा ना करना चाहे तो यह उसकी अपनी सोच है...सबको अपना जीवन अपने विचारानुसार जीने का हक़ है...
    Last edited by upendersingh; June 24th, 2011 at 04:55 AM.

  23. #38
    लगता हे आपके यहाँ हिन्दू-मुस्लिम का काफी झगडा हे भाई?
    Last edited by VirJ; June 24th, 2011 at 05:08 AM.
    जागरूक ती अज्ञानी नहीं बनाया जा सके, स्वाभिमानी का अपमान नहीं करा जा सके , निडर ती दबाया नहीं जा सके भाई नुए सामाजिक क्रांति एक बार आ जे तो उसती बदला नहीं जा सके ---ज्याणी जाट।

    दोस्त हो या दुश्मन, जाट दोनुआ ने १०० साल ताईं याद राखा करे

  24. #39
    Quote Originally Posted by spdeshwal View Post
    The fact that, there is no temple in my village, inhibited by about 3500 families and predominantly a Jat village .It belies the contention of Upender bhai regarding rituals performed at the time of marriage. Also, I don’t remember a single incident during my early 15 years that I spent in my village, a Jat bringing ‘kavar’
    Sateypal Sir, how many Hindu related things can u remove from the Hindu Jats? Your village can be an exception (as exceptions are always there). Can you claim that in Haryana, no village has any temple? Suppose it is true. Then why mostly Jats go to Haridwar after some family member's demise to shed the remains in Ganges water? Am I wrong in this regard too? Hadn't a Hindu Brahmin read the mantras in your marriage? As far as Kaanwad is concerned, I don't want to paste this sad link, but I am having to do so.
    23 pilgrims from Haryana were killed on Sunday when a truck in which they were travelling fell into a gorge in Uttarkashi district of Uttarakhand. Link
    Each year in heavy quantity people participate in Kaanwad Yatra including Haryanvi people. This unfortunate accident occured last year, though I am not sure which caste those unfortunate pilgrims belonged to. I fail to understand what problem some Jats have to be called as Hindu Jats? If you don't mind, can u please explain why have you changed the spellings of your name? It should be 'Satpal' or 'Satyapal'. What is the pronunciation of 'Sateypal'. Why have you changed it, sir. Is this not the reason that living abroad other Christians had started calling you 'Satey' or you yourself felt to change the spellings of your name so that the others feel you closer to them...? Though I may be wrong, but as you are a very good natured person so I hope you won't mind in explaining.:o

  25. #40
    Quote Originally Posted by VipinJyani View Post
    लगता हे आपके यहाँ हिन्दू-मुस्लिम का काफी झगडा हे भाई?
    ना भाई, बिलकुल भी ना है...इंटरनेट से क्या छिपा है? मुसलमान चुसक भी ना सकदे...ना तो म्हारे गाम मैं अर ना ही यहां दिल्ली मैं, जहां मैं रहूं हूं...
    Last edited by upendersingh; June 24th, 2011 at 05:33 AM.

Posting Permissions

  • You may not post new threads
  • You may not post replies
  • You may not post attachments
  • You may not edit your posts
  •