मेरा कैहा मान पिया

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मेरा कैहा मान पिया, बाड़ी मत बोइए;

सर पड़ेगी उघाई तेरे डंडा बाजै जाई,

पिया बाड़ी मत बोइए ।



भावार्थ


--' प्रियतम जी, मेरी बात मान लो, कपास मत बोओ । कर्ज सिर पर चढ़ जाएगा । सिर पर डंडे बजेंगे सो

अलग । प्रिय, मेरी बात मान लो, कपास मत बोऒ ।'


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