Ahri
Ahri (अहरी) village is located in Jhajjar tehsil and district of Haryana.
Location
Neighbouring villages are Subana and Khudan.
Origin
History
गाँव अहरी के कालीरावणों की इस खंडर हवेली से चौ० छोटूराम का नाता रहा है! यह खंडर हवेली गाँव अहरी, ज़िला झज्जर के चौ० दयाकिशन कालीरावण की हवेली है। अहरी गाँव कालीराणा/कालीरावण/कालीरमन/रमन/राणा गोत के जाटों का गाँव है। इनका एक बुज़ुर्ग सिसाय गाँव से भिवानी के पास कोंट गाँव में बसा, वहाँ से फिर वो यहाँ इस इलाक़े में आ गए। गाँव अहरी कैसे बसा, कैसे इसका नाम अहरी पड़ा इसका भी एक दिलचस्प क़िस्सा है जिस बारे में फिर कभी लिखेंगे।
चौधरी दयाकिशन इस इलाक़े के बड़े ज़मींदार थे। उनके पाँच बेटे थे, मंशाराम, फूल सिंह, कान्हाराम, रामजीलाल, सुभाचंद। ब्रिटिश भारत में बड़े ज़मींदारों, जो टैक्स देते थे, को ही वोट का अधिकार था। पाँचों भाई बड़े ज़मींदार थे, सो पाँचों को ही वोट का अधिकार था। यह इलाक़ा उस समय पंजाब का हिस्सा था और यहाँ से यूनियनिस्ट/ज़मींदारा/इतिहाद पार्टी से चौधरी सर छोटूराम चुनाव लड़ते थे और उनके सामने बहु झोलरी गाँव का एक बनिया चुनाव लड़ता था। अहरी गाँव के इन पाँचों भाइयों का वोट ज़मींदारा पार्टी यानी चौ० छोटूराम को ही जाता था। चौधरी छोटूराम जब भी इस इलाक़े में आते थे तो इसी हवेली में दो-दो तीन-तीन दिन ठहरते थे। इस परिवार से चौधरी छोटूराम का बहुत मेल मुलाहिजा था।
1937-38 में पंजाब असेम्ब्ली में किसान-कामगारों के हित में कई बिल पास हुए, जिन्हें पंजाब के इतिहास में गोल्डन बिल्ज़ के नाम से जाना जाता है। इन गोल्डन बिल्ज़ में क़र्ज़ माफ़ी और मुजारा ऐक्ट भी थे। इनके पास होने से न सिर्फ़ महाजन वर्ग के साहूकारों का नुक़सान हुआ बल्कि जाट ज़मींदार वर्ग के साहूकारा करने वालों का भी भारी नुक़सान हुआ था, और यही जाट ज़मींदार वर्ग चौधरी छोटूराम और यूनियनिस्ट पार्टी का मुख्य वोटर होता था। गोल्डन बिल्ज़ के पास होने से ख़ुद तत्कालीन पंजाब सरकार के प्रीमियर चौधरी सिकंदर हयात खान, जोकि ख़ुद एक बड़े जाट ज़मींदार थे, का भी पाँच लाख का नुक़सान हुआ था।
इन क़ानूनों के लागू होने के बाद जब चौधरी छोटूराम अहरी गाँव की इस हवेली में आए तो चौधरी मंशाराम ने बड़े ख़फ़ा अन्दाज़ में चौधरी छोटूराम से कहा- चौधरी साहब, थामनै या के करी? थारे तै न्यू ए वोट दी थी के कि थाम हामनै ही मार दियों? म्हारा तो साहूकार का काम भी गया और ज़मीन के मुज़ारे भी। चौधरी छोटूराम ने मंशाराम जी को समझाते हुए कहा, भाई मंशाराम मैंने ये क़ानून अपनी क़ौम को उठाने के लिए बनाए हैं। अपनी क़ौम में बड़े ज़मींदार साहूकार का काम करने वाले कितने प्रतिशत लोग हैं? सरल शब्दों में कहूँ तो यूँ समझो कि सो गायें हत्थे में बंद हैं, अगर इनमें से किसी एक गाये के कटने से निनयानवे गाये बचती हों तो उस एक गाय का ही कटना सही या सो की सो कटवा दी जाए? चौधरी मंशाराम बोले, फिर तो उस एक ही का कटना सही है। चौधरी छोटूराम बोले, मंशाराम जी अपनी क़ौम हत्थे में बंद सो गायें समझ लो और वो एक गाय आप (बड़े जाट ज़मींदार) समझ लो। चौधरी छोटूराम के समझाने पर वहाँ मौजूद चौधरी मंशाराम व सभी लोगों ने सहमती जताई।
दरअसल हर किसान कामगार को चौधरी छोटूराम पर पूर्व विश्वास था कि ये जो भी करेंगे देहात किसान कामगारों क़ौम की भलाई के लिए ही करेंगे, इसीलिए गोल्डन बिल्ज़ के पास होने से होने वाले नुक़सान के बाद भी सभी ने चौधरी छोटूराम का दिलो जान से साथ दिया। उस ज़माने में जो टैक्स देते थे सिर्फ़ उनको ही वोट का अधिकार था, और ज़मींदारा पार्टी के सभी वोटर्ज़ और काउन्सिल के सदस्य बड़े ज़मींदार थे, परंतु उन लोगों ने ख़ुद का निजी स्वार्थ ना देखते हुए क़ौम के सबसे निचले पायदान के व्यक्ति के हित का ख़्याल किया कि अपने उस भाई को भी मुफ़लिसी से निकाला जाए, उसे उसके अधिकार देकर पूँजीवादी जाल के चुंग़ल से सुरक्षित रखा जाए।
(जानकारी के लिए चौधरी मंशाराम के सबसे छोटे भाई चौधरी सुभाचंद के पोत्र सुधीर कालीरमण का आभार।)
लेखक - यूनियनिस्ट राकेश सिंह सांगवान
Jat Gotras
Population
Notable Persons
Ahri in Hathras
- Another Ahri village is also mentioned in Jat Itihas Chapter-VIII (Regarding Thenua dynasty) - http://www.jatland.com/home/Jat_Itihas/Chapter_VIII See Aharai (अहराई).
External Links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 248)
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