Akhand Bharat

From Jatland Wiki
अखंड भारत
लेखक - दयाराम महरिया, कूदन(सीकर)

हंगरी के बुडाटेस्ट में संपन्न विश्व एथलेटिक्स प्रतियोगिता,2023 में भारत के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता।

पाकिस्तान के असरद नदीम ने रजत पदक जीता। पोडियम पर तिरंगा फहराने और राष्ट्रगान के बाद नीरज जश्न में डूबे हुए थे। इस बीच कैमरामैन को पोज देने के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया । नीरज ने अपने प्रतिद्वंद्वी और अक्सर हर मंच पर उनके सामने रहने वाले पाकिस्तान के रजत पदक विजेता खिलाड़ी अरशद नदीम को पोज देने के लिए बुलाया तो वे भी दौड़े-दौड़े आए मानो वे इस बुलावे का इंतजार कर रहे थे ।उन दोनों ने तिरंगे के साथ पोज देखकर महान खिलाड़ी भावना का परिचय दिया। अरशद भी नीरज के साथ खुशी के साथ झूम रहे थे। इस ऐतिहासिक भावनात्मक क्षण ने टोक्यो ओलंपिक ,2020 में हुई एक घटना की याद दिला दी। उस समय नीरज का भाला छूने की वजह से अशरद विवादों में आ गए थे ।उस समय नीरज ने बड़ा दिल दिखाते हुए अशरद का सपोर्ट कर और नीरज विश्व पटल पर छा गए थे।

कहते हैं पानी से पतला ख़ून होता है। ।नीरज-अशरद की दोस्ती का भी यही रहस्य है । वैसे भी दोनों एक ही प्रांत(अखंड भारत के पंजाब )के रहने वाले हैं । बालक की प्रथम गुरु मां होती हैं।

अशरथ एवं नीरज को उनके माता-पिता ने भी ऐसे ही संस्कार दिए हैं। नीरज की माता श्रीमती सरोज देवी का 28अगस्त,2023 को स्वर्ण पदक जीतने के बाद पानीपत में उनका पत्रकारों ने साक्षात्कार लिया । साक्षात्कार के दौरान एक पत्रकार ने प्रश्न किया कि आपके पुत्र ने पाकिस्तानी खिलाड़ी को हराकर स्वर्ण पदक जीता है। आपको कैसा लग रहा है ?इस पर सरोज ने बहुत ही उम्दा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि- 'खिलाड़ी तो खिलाड़ी होता है ।मैदान में सब खेलने आते हैं। इनमें एक जीतेगा और एक हारेगा। ऐसे में पाकिस्तान और हरियाणा पर सवाल पूछना सही नहीं है ।नीरज की जीत बहुत खुशी की बात है लेकिन वह पाकिस्तानी भी जीत तो भी खुशी होती ।' इसी तरह अरशद के पिता ने एक इंटरव्यू में कहा कि अरशद के जब चोट लगी तो उसने नीरज का वीडियो यूट्यूब पर देखकर अपने आप को तैयार किया।

मित्रों !भाला एक हथियार है जो आदि मानव ने सर्वप्रथम अपनी सुरक्षा के लिए काम में लिया था। बाद में भाला शिकार करने के भी काम में भी लिया जाने लगा परंतु यहां तो भाला खंड-खंड भारत को अखंड बनाने के काम में लिया जा रहा है । इस संबंध में पाठकों से में स्वर्गीय 'वाहिद अली वाहिद 'की एक कविता साझा करना चाहूंगा - तू भी है राणा का वंशज , फेंक जहां तक भाला जाए।

कब तक बोझ संभाला जाए,
द्वंद्व कहां तक पाला जाए ।
दूध छीन बच्चों के मुख से ,
क्यों नागों को पाला जाए ।
दोनों और लिखा हो भारत ,
सिक्का वही उछाला जाए ।
तू भी है राणा का वंशज
फेंक जहां तक भाला जाए
इस बिगडै़ल पड़ोसी को तो,
फिर शीशे में डाला जाए।
तेरे -मेरे दिल पर ताला,
राम करे यह ताला जाए।
'वाहिद' के घर दीप जले तो ,
मंदिर तलक उजाला जाए ।
कब तक बोझ संभाला जाए ,
युद्ध कहां तक टाला जाए ।
तू भी राणा का वंशज ,
फेंक जहां तक भाला जाए।

धन्यवाद है पंजाब के उन दोनों लाडलों को जिन्होंने बुडापेस्ट से भाला हिंदुस्तान, पाकिस्तान व बंगला देश की सीमाओं पर फेंक दिया है ।


Back to Daya Ram Maharia