Asa Ram Tyagi

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Asa Ram Tyagi

Asa Ram Tyagi (Major) (02.01.1939 - 25.09.1965) was from village Fatehpur in .... Tehsil of Ghaziabad district in Uttar Pradesh. Major Asha Ram Tyagi fought 1965 Indo-Pak war (Battle of Dograi) in which he was awarded Veer Chakra for his bravery. Unit - 3 Jat Regiment (Dograi Batallion). He was found with six bullets in him. He had captured two Pakistani Tanks. He died with a smiling good bye to the second in command. He was awarded MVC posthumously.[1]

मेजर आसा राम त्यागी का परिचय

मेजर आसा राम त्यागी

02-01-1939 - 25-09-1965

महावीर चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 3 जाट रेजिमेंट (डोगराई पलटन)

डोगराई की दूसरी लड़ाई

ऑपरेशन रिडिल

भारत-पाक युद्ध 1965

मेजर आसा राम त्यागी का जन्म 02 जनवरी 1939 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के फतेहपुर गांव में श्री सगुवा सिंह त्यागी एवं श्रीमती बसंती देवी के परिवार में हुआ था। 17 दिसंबर 1961 को उन्हें भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में कमीशन प्राप्त हुआ था।

21 सितंबर 1965 की रात को 3 जाट बटालियन को पाकिस्तान के लाहौर के निकट डोगराई गांव में दुश्मन के ठिकानों पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। मेजर आसा राम त्यागी के नेतृत्व में आधी रात बाद अल्फा कंपनी डोगराई के पूर्वी किनारे पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ी, जिसे दुश्मन कंपनी ने टैंकों, रिकॉइललेस गन और पिल बॉक्स से भलीभांति किलेबंद सुरक्षित किया हुआ था। मेजर त्यागी ने दुश्मन की तैनाती और उसके पास उपलब्ध संसाधनों का आकलन करने के बाद अपनी कंपनी की सबसे आगे की प्लाटून के साथ नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ने का निर्णय किया।

दुश्मन के ठिकानों पर हमला करते हुए मेजर त्यागी को दांएं कंधे में दो गोलियां लगीं। परंतु वह अपने सैनिकों को गोली चलाते हुए आगे बढ़ने का निर्देश देते हुए स्वयं आगे बढ़ने रहे। मेजर त्यागी ने देखा कि दुश्मन के टैंक उनकी अग्रगति के लिए सबसे बड़ा खतरा थे और उन्हें निष्क्रिय करना आवश्यक था। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते हुए मेजर त्यागी ने दो टैंकों पर हथगोले से हमला किया और उनके चालक दल के सदस्यों को ढेर कर उन टैंकों निष्क्रिय कर दिया। परिणामस्वरूप दुश्मन के दो टैंकों पर कब्जा कर लिया गया और कंपनी की अग्रगति में बाधा बन रहा एक बड़ा खतरा समाप्त हो गया। तत्पश्चात उन्होंने एक पाकिस्तानी मेजर पर गोलियां चलाई और उस पर संगीन से हमला किया। इसी बीच अत्यंत निकट से उन्हें दो गोलियां लगीं और एक पाकिस्तानी सैनिक ने उनके पेट पर संगीन से हमला किया जिससे उनका पेट फट गया। जैसे ही वे अपने पेट को पकड़ कर गिरे, तभी उनके साथी हवलदार राम सिंह ने एक बड़ा पत्थर उन्हें संगीन घोंपने वाले पाकिस्तानी सैनिक के सिर पर मारकर उसे ढेर कर दिया।

अचेत होकर गिरने तक वह अपने सैनिकों के साथ आगे बढ़ते रहे। उनकी वीरता और अनुकरणीय नेतृत्व से प्रेरित होकर, उनके सैनिकों ने दोहरे जोश के साथ लड़ाई लड़ी और लक्ष्य पर कब्जा करने में सफल रहे। मेजर आसा राम को अस्पताल में भर्ती करवाया गया तो अंतिम समय तक वे युद्ध के बारे में जानकारी लेते रहे। उन्होंनें सैन्य अधिकारियों और उपचार कर रही मेडीकल टीम से कहा कि उनके घर से जो भी आए, विशेषकर उनकी मां को बताया जाए कि आसा राम ने पीठ पर नहीं, छाती पर गोलियां खाई हैं। इसलिए कोई मेरा शोक ना मनाएं। उनके विवाह को मात्र तीन महीने हुए थे। 25 सितंबर 1965 को मेजर त्यागी वीरगति को प्राप्त हो गए। उनका पार्थिव शरीर चार दिन बाद फतेहपुर गांव पहुंचा तो उनके अंतिम दर्शनों के लिए जनसमूह उमड़ पड़ा था।

मेजर आसा राम त्यागी को उनके असाधारण साहस, लड़ाई की अडिग भावना, उत्कृष्ट नेतृत्व एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया।

मेजर आसा राम त्यागी के बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र युगों युगों तक स्मरण रखेगा।

जय हिंद!! जय जवान!!

गैलरी

स्रोत

External links

References

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