Asarsar

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Asarsar (आसरासर) (Asrasar) is a medium-size village in Sujangarh tehsil of Churu district of Rajasthan.

Location

Gotras

Population

According to Census-2011 information: With total 214 families residing, Asarasar village has population of 1622 (of which 872 are males while 750 are females).[1]

History

1952 का आसरासर काण्ड

सुजानगढ़ के जागीरदारों की अनेक सनसनी खेज दुखान्तिकाएं हैं परन्तु आसरासर जैसा विभत्स काण्ड तो सभ्य समाज का सर शर्म से झुका देता है। सुजानगढ़ तहसील में सुजानगढ़ से 45 किमी पश्चिम में पारीक ब्राहमण बाहुल्य एक भरा पूरा गाँव था आसरासर, जिसमें आज काग बोलते हैं। आसरासर के जागीरदार कुंवर लक्ष्मणसिंह उन दिनों अपनी लम्पटता पूर्वक हरकतों के लिए कुख्यात थे।

इस प्रकरण में आसरासर के कुंवर ने एक खेत में काम कर रही ब्राहमण कन्या गाँव की बहू के साथ कुकृत्य किया। ब्राहमण बहू अपने किशोर देवर के साथ खेत में निनाण कर रही थी। उस समय कुंवर अपने एक गुलाम के साथ खेतों में निकला जब उसकी कुदृष्टि ब्राहमण बहू पर पड़ी। देवर को खेजडी के पेड़ से बाँध दिया और दोनों नर पिशाचों ने बारी-बारी ब्राहमण बहू से बलात्कार किया। ब्राहमण बाला के करूण क्रंदन को कुंवर के आतंक से सबने अनसुना कर दिया। घटना की जानकारी धन्ना राम खीचड़ ने तहसील मुख्यालय तक पहुंचाई। उन दिनों चौधरी कुम्भाराम आर्य राजस्थान के गृहमंत्री थे। चौधरी लादूराम खीचड़ ने सूचना उनतक पहुंचाई।

तहसील कांग्रेस सुजानगढ़ के तत्वाधान में एक किसान सम्मलेन आयोजित किया गया। निश्चित तारीख पर असरासर गाँव का एक भी किसान नहीं आया। एक हजार नारनोत सरदार तलवारों और बंदूकों से लैस होकर अवश्य आये। और वे आये थे प्रदेश के गृह-मंत्री कुम्भा राम को नेस्तनाबूद करने। किसान सम्मलेन के दिन गाँव में बसने वाला न तो एक ही जाट किसान था और न ही कोई ब्राहमण। सब गाँव छोड़ कर पलायन कर गए थे। अत्याचारी जागीरी दरिंदों ने पलायन करने वाले किसानों के घर लूट लिए और घरों में आग लगा दी। चौधरी कुम्भाराम को असरासर गाँव में जाने से पहले सांडवा में चाडवास के खंगा राम बीरडा ने अवगत कराया कि मैं अपने आपको दारोगा जाती का बताकर गाँव जाकर आया हूँ। गाँव में एक हजार जागीरदार आपको मारने पर उतारू हैं। सब सशस्त्र हैं। संभलकर जाना चाहिए । चौधरी कुम्भ राम ने उन्ही एकत्र जुल्मी जागीरदारों को संबोधित करके क्षात्र-धर्म को ब्राहमण कन्याओं की इज्जत लूटने पर गौरवान्वित होने पर धिक्कार के दो शब्द कहे और रवाना। पता नहीं किसी सामंत की एक भी तलवार अपनी चमक क्यों नहीं दिखा सकी। एक भी बन्दूक से गोली क्यों नहीं चली। अपराधी पर बलात्कार का मुक़दमा चला, सजा हुई। जो आसरासर गाँव कभी भरा पूरा रौनक वाला गाँव था आज वह उजड़ा सा गाँव है। सुनसान सा गाँव है। पृथ्वी सिंह बेधड़क के शब्दों में "धर्म हारने वाले बर्बाद होकर चले गए।"

सन्दर्भ - भीमसिंह आर्य:जुल्म की कहानी किसान की जबानी (2006),p.56-57

Notable person

External Links

References


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