Badavamukha

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Badavamukha (बड़वामुख) is name of a ocean mentioned by traders of Bharukachchha in Shurparakajataka.

Origin

Variants

History

बड़वामुख

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है .....बड़वामुख (AS, p.602): सुप्पारकजातक में वर्णित एक समुद्र-- 'तत्य उदकं कड़ि्ढत्वा कड़ि्ढत्वा सब्बतो भागेन उग्गच्छति। तस्मिं सब्बतो भागेन उग्गतोदकं सब्बतो भागेन [p.603]: छिन्नतट महा सोब्भोविय पंचायति, ऊमिया उग्गताय एकतो पपात सदिसं होति भय-जननो सद्दो उपजति सोतानि भिन्दन्तो विय हृदयं फालेन्तो विय'-- अर्थात वहाँ जल निकलकर सब ओर से ऊपर आ रहा था. सब और से जल ऊपर उठने के कारण किनारे की ओर बड़ा गर्त सा दिखाई देता था. लहरें उठकर एक प्रपात की तरह जान पड़ती थी. बड़ा भय उत्पन्न करने वाला शब्द वहां हो रहा था जो हृदय को वेध सा रहा था. यह समुद्र भरूकच्छ से जहाज पर व्यापार के लिए निकले हुए धनार्थी वणिकों को अपनी लंबी यात्रा के दौरान में मिला था. (देखें नलमाली, अग्निमाली, दधिमाली,क्षुरमाली). शूर्पारकजातक में वर्णित समुद्रों का वृतांत अधिकांश में प्राचीन काल के देश-विदेश में घूमने वाले नाविकों की कल्पना रंजीत कथाओं पर आधारित है. डॉक्टर मोतीचंद के मत में यह समुद्र भूमध्य सागर का कोई भाग हो सकता है. (देखें सार्थवाह,पृ.59)

बड़वामुख महर्षि

बड़वामुख प्राचीन काल के एक महर्षि थे, जिन्होंने समुद्र को बुलाने के लिए उसका आह्वान किया था। आह्वान किये जाने पर भी समुद्र नहीं आया। इस पर क्रोधित ऋषि ने सागर को चंचल कर दिया। प्रस्वेदवत उसे खारा (नमकीन) होने का भी शाप दिया। बड़वामुख (समुद्र की अग्नि) जो अश्वमुख भी कहलाता है, बार-बार समुद्र के जलपान करता है। इसको 'बड़वानल' भी कहते हैं। (महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय 342)

External links

References