Bakhtawar Pur

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search

For Bakhtawarpur village in Sonipat, please see Bakhtawarpur



Bakhtawar pur (बख्तावरपुर) village is near Alipur in north Delhi.

Population

Total Population of this village is 2966 with 515 households.

Jat Gotras

History

Three Janghu brothers came from Dhola Khera descendents of Bhal Singh Janghu of (Bhaloth) in Rajasthan

  • Daulat Singh Janghu founded Daulatabad in Gurgaon,
  • Bakhtawar Singh Janghu founded Bakhtawar Pur in North Delhi near Alipur and
  • Raj Singh Janghu founded Rajpura North Delhi
  • The history of forming Daultabad is also very interesting when Chaudhary Daulta Singh's wife asked her brother in law Chaudhary Bakhtawar Singh (the younger brother of Daulat Singh) to move his cart little away as there was a bit chaos. He suddenly got angry at this and left them behind in Daulatabd and founded a new village i.e. "Bakhtawar Pur" in Western Delhi. Then Daulat Singh stayed here and laid the foundation of village Daulatabad.

भालोठ गांव के भालोठिया (जांगू)

1100 ई. के लगभग ग्यासुद्दीन तुगलक दिल्ली का बादशाह था। नारनौल के पास जिला झुंझुनूं के तत्कालीन रियासत खेतड़ी में धोलाखेड़ा नाम का एक बड़ा गांव जांगू गोत्र के जाटों का था। दिल्ली के शासक ने अलग अलग ठिकाने बना रखे थे। शासक ने राजस्थान के कुछ ठिकानों का कर उगाहने के लिये कुछ सैनिकों के साथ अपने हाकिम को भेजा। हाकिम ने खेतड़ी से आगे चल कर सीकर एरिया के कुछ ठिकानों का कर उघाया एवं वापिस दिल्ली के लिये रवाना हो गये। वापिस जाते समय किसी जगह से उन्होंने एक सुन्दर लड़की को उठा लिया। सुबह पांच बजे धोलाखेड़ा गांव के पास से गुजरे तो उस लड़की ने गांव के आदमियों की आवाज सुनकर रोना शुरू कर दिया। लड़की के रोने की आवाज सुन कर गांव वाले दौड़ कर आये एवं हाकिम की सेना पर हमला कर दिया। कुछ सैनिकों को मार दिया व कुछ सैनिक भाग गये और लड़की को वहीं छुड़वा लिया लेकिन हाकिम बच निकला। लड़की का गांव पूछ कर उसके घर भिजवा दी । इस मुठभेड़ का बदला लेने के लिये हाकिम ने योजना बनानी शुरू कर दी। उसके गुप्तचरों ने बताया कि गांव पर हमला करने के लिए फलेरा दूज सही दिन होगा चूंकि उस दिन गांव से बावन (52) बारात शादी के लिए जानी थी। उस समय बारात तीन दिन तक रूकती थी। योजनानुसार फलेरा दूज की रात को धोलाखेड़ा गांव पर हमला बोला। आदमी बारातों में गये हुए थे अतः औरतें लड़ी। गांव में आग लगा दी और बारात जैसे जैसे आती गई बारातियों को खत्म करते रहे व पूरे गांव को तबाह कर दिया। जो कुछ बचे वे धोलाखेड़ा उजड़ने के बाद दिल्ली की तरफ पलायन कर गये।

उस समय के बसे गुड़गावां व दिल्ली के आसपास जांगू गोत्र के जाटों के 12 बड़े गांव आज भी हैं उनमें एक दौलताबाद भी है। धोलाखेड़ा उजड़ा उस समय एक लड़की अपने पीहर चांदगोठी गई हुई थी एवं गर्भवती थी। उसने पीहर में पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम भाल रखा। लड़का बड़ा शरारती था। लड़के की शरारत को उसके मामा मामी बरदास्त नही कर सके और उन्होंने कहा कि हमारी छाती क्यों फूंकते हो अपने घर जाओ। लड़की के पिता ने अपनी लड़की को जीवनबसर करने के लिये भाईयों से अलग जमीन दे दी। लड़की उस जमीन पर अपने पुत्र भाल के साथ खेत में रहने लगी। भाल खेत की रखवाली करता था। वह खेत में डामचे पर चढ़कर गोफीये से गोले फेंक कर जानवर, पक्षी उड़ाता था। खेत के पास में एक बहुत बड़ी बणी (जोहड़) थी। एकबार ग्यासुद्दीन दिल्ली का बादशाह उस बणी में आ पहुंचा, उसके साथी उससे बिछुड़ गये थे। वह बणी में जब घोड़े पर चढ़कर आया तो उसकी आवाज भाल के कानों में पड़ी। भाल ने सोचा की कोई जानवर है अतः उसको भगाने के लिये गोफीये से गोला मारा जो घोड़े की टांग पर लगा जिससे घोड़े की टांग टूट गई। बादशाह चिल्लाया तो उसकी आवाज सुनकर भाल वहां देखने गया कि कौन है। भाल उसको खेत पर ले आया और उसको ककड़ी मतीरे खिलाये। भाल ने अपनी जानकारी दी एवं बादशाह की जानकारी ली । भाल को बादशाह के बारे में जानकारी मिली की उसी ने मेरे गांव को उजाड़ा है तो भाल ने कहा कि बादशाह मैं अब आपको मारूंगा छोडूंगा नहीं चूंकि आपने मेरे गांव को उजाड़ा है । बादशाह ने कहा कि मेरे को मत मारो मेरी जानकारी के बगैर हाकिम ने वह काम किया था। अतः अब आप मेरे साथ धोलाखेड़ा चलो ताकि आपको पुनः बसा सकूं । भाल इसके लिये तैयार हो गया ।

भाल बादशाह के साथ उजड़े हुए धोलाखेड़ा की जगह आये, वहां बादशाह ने भाल को 52000 बीघा जमीन दी एवं वहां धोलाखेड़ा के पास में भाल ने भालोठ गांव बसाया जो आज भी नारनौल के पास जिला झुंझुनूं, तहसील बुहाना, राजस्थान में आबाद है। उसके बाद बादशाह ग्यासुद्दीन दिल्ली चला गया । धोलाखेड़ा से तीन भाई दौलत, बख्तावर और एक तीसरा भाई दिल्ली की तरफ जा कर बस गये| उनके नाम से आज भी गुडगाँव के पास दौलताबाद, बख्तावरपुर (दिल्ली के पास) आदि जांगू गोत्र के तीन बड़े गाँव अब भी आबाद हैं।

लेखक - स्वतंत्रता सेनानी स्व. धर्मपालसिंह भालोठिया

Notable persons

External links

References


Back to Jat Villages