Baksa Ram Mahria

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Baksha Ram Kudan (चौधरी बक्शा राम कूदन), from village Kudan Dist:Sikar Rajasthan, was a leading Freedom Fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan.

Variants of name

कूदन के महरिया

सीकर वाटी में राव राजा के प्रिय चौधरी नाथाराम महरिया थे। इसी परंपरा को उनके बेटे शिवबक्स महरिया ने निभाया। शिवबक्स कूदन के बेताज बादशाह थे। गांव में सुण्डा गोत्र के जाट अधिक संख्या में हैं। महरिया और सुंडा में हमेशा प्रतिस्पर्धा चलती रही है। लेकिन शिवबक्स महरिया के ऊंचे रसूख के कारण वे सुंडा लोगों पर भारी पड़ रहे थे। महरिया एक पोळी (दरवाजा) के भीतर रहते थे, जिसे मेहरिया पोली कहा जाता था। आज भी इस पोली के विशेष स्मारक के रुप में सुरक्षित हैं। विशेष रुप से नाथाराम महरिया गढों और महलों में प्रसिद्धि प्राप्त करते रहे हैं। किसान वर्ग में रहते हुए भी मेहरिया परिवार किसानों से अलग रहते एवं उनमें उच्च वर्ग की भावना थी। [1]

महरिया परिवारों का आदि पुरुष किसना मेहरिया थे, जिनकी छतरी अभी भी कूदन में मौजूद है। किसना राम के दो बेटे थे - 1. भीमाराम और 2.बोयत राम। भींवाराम के चार पुत्र थे जिनके नाम भानाराम, मोटाराम, गुमानाराम और न्योला राम थे। इन चारों ने 25-25 रुपये खर्च कर किसनाराम की छतरी बनाई थी। चारों भाइयों की चार हवेलियां काफी पुरानी हैं जिससे इस परिवार की समृद्धि का पता लगता है। कूदन के महरिया उन्हीं की वंशबेल हैं।[2]

शिवबक्स महरिया कूदन का मुख्य चौधरी था। 1935 ई. में सीकर आंदोलन के समय कूदन गाँव में करीब दस हवेलियाँ थी। शिवबक्स राव राजा सीकर के अति विश्वसनीय व्यक्तियों में से थे। गोली काण्ड के बाद गाँव की हालत गंभीर होगाई थी। शिवबक्स महरिया ने स्वयं ही पूरे गाँव का लगान चुका दिया था। शिवबक्स के कोई संतान नहीं थी। उन्होने अपने भाई के बेटे रामदेव सिंह को गोद लिया जो आगे चलकर राजस्थान सरकार में मंत्री बने। [3]


जीवन परिचय

सन 1938 में सीकर रावराजा के सीकर से निर्वासन प्रकरण में सीकर व पंचपना शेखावाटी के सारे ठिकानेदार व राजपूत पहले से ही रावराजा सीकर के पक्ष में थे. रावराजा सीकर ने सीकरवाटी जाट किसान पंचायत के सदस्यों को देवीपुरा की कोठी में बुलाया. जो पंच गए उन में आप भी सम्मिलित थे.[4]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[5] ने लिखा है ....चौधरी बक्सा राम कुदन - [पृ.308]: सीकर के जाटों का कूदन पेरिस है। उसी में चौधरी नाथाराम सबसे बड़े चौधरी थे। सीकर के राव राजाओं के साथ अच्छे तालुक कायम करके उन्होंने और उनके पूर्वजों अच्छी माया पैदा की थी। उन्होंने अपने समय में अच्छे चमकदार मकान बनवाए और पैसे के लिहाज से अपने को खूब ऊंचा बना लिया। वे कौमी सेवा के टंटों से दूर रहना पसंद करते थे। बिरादरी का जीवन उन्हें पसंद नहीं था। उनके बड़े लड़के बक्षा राम जी ने सीकर के यज्ञ में काफी सहयोग दिया।

मि. वेब जिस समय कुदन पर चढ़ कर गए थे उस समय भी बक्शा राम जी ने कहा था कि यदि बकाया लगान ही लेने आए हो तो जितने भी बाकी हो मुझसे ले जाओ। यह फौज फर्रा किस लिए लाए। किंतु मि. वेब तो जाटों को सबक सिखाने पर तुले हुए थे।


[पृ.309]: गांव की लूट हुई और उसमें बक्सा राम जी भी अछूता नहीं रहे।

शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह

शेखावाटी किसान आन्दोलन पर रणमल सिंह[6] लिखते हैं कि [पृष्ठ-113]: सन् 1934 के प्रजापत महायज्ञ के एक वर्ष पश्चात सन् 1935 (संवत 1991) में खुड़ी छोटी में फगेडिया परिवार की सात वर्ष की मुन्नी देवी का विवाह ग्राम जसरासर के ढाका परिवार के 8 वर्षीय जीवनराम के साथ धुलण्डी संवत 1991 का तय हुआ, ढाका परिवार घोड़े पर तोरण मारना चाहता था, परंतु राजपूतों ने मना कर दिया। इस पर जाट-राजपूत आपस में तन गए। दोनों जातियों के लोग एकत्र होने लगे। विवाह आगे सरक गया। कैप्टन वेब जो सीकर ठिकाने के सीनियर अफसर थे , ने हमारे गाँव के चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल जो उस समय जाट पंचायत के मंत्री थे, को बुलाकर कहा कि जाटों को समझा दो कि वे जिद न करें। चौधरी गोरूसिंह की बात जाटों ने नहीं मानी, पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। इस संघर्ष में दो जाने शहीद हो गए – चौधरी रत्नाराम बाजिया ग्राम फकीरपुरा एवं चौधरी शिम्भूराम भूकर ग्राम गोठड़ा भूकरान । हमारे गाँव के चौधरी मूनाराम का एक हाथ टूट गया और हमारे परिवार के मेरे ताऊजी चौधरी किसनारम डोरवाल के पीठ व पैरों पर बत्तीस लठियों की चोट के निशान थे। चौधरी गोरूसिंह गढ़वाल के भी पैरों में खूब चोटें आई, पर वे बच गए।

चैत्र सुदी प्रथमा को संवत बदल गया और विक्रम संवत 1992 प्रारम्भ हो गया। सीकर ठिकाने के जाटों ने लगान बंदी की घोषणा करदी, जबरदस्ती लगान वसूली शुरू की। पहले भैरुपुरा गए। मर्द गाँव खाली कर गए और चौधरी ईश्वरसिंह भामू की धर्मपत्नी जो चौधरी धन्नाराम बुरड़क, पलथना की बहिन थी, ने ग्राम की महिलाओं को इकट्ठा करके सामना किया तो कैप्टेन वेब ने लगान वसूली रोकदी। चौधरी बक्साराम महरिया ने ठिकाने को समाचार भिजवा दिया कि हम कूदन में लगान वसूली करवा लेंगे।

References

  1. Rajendra Kaswan: Mera Gaon Mera Desh, Jaipur, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p.144
  2. Rajendra Kaswan: Mera Gaon Mera Desh, Jaipur, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p.144-145
  3. Rajendra Kaswan: Mera Gaon Mera Desh, Jaipur, 2012, ISBN 978-81-89681-21-0, p.143
  4. डॉ पेमाराम: शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p.158
  5. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.308-309
  6. रणमल सिंह के जीवन पर प्रकाशित पुस्तक - 'शताब्दी पुरुष - रणबंका रणमल सिंह' द्वितीय संस्करण 2015, ISBN 978-81-89681-74-0 पृष्ठ 113-114

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