Bhaarat

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search
परमाणु बम
लेखक
पृथ्वीसिंह बेधङक



भारत


लूट लिया तेरा डाग भारत

फ़ल खा रहे हैं काग भारत

मुद्दत हो गई जाग भारत


नींद में नाश हुआ


विदेशी विद्या पढने आते

तेरे आकर चरण दबाते


गाते तेरे राग भारत

पूजे तेरी पाग भारत

अब हो गया निर्भाग भारत


गैर का दास हुआ


यहाँ पर ऎसे ऎसे होंगे

तेरी शान पर सब कुछ खोंगे


धोंगे तेरे दाग भारत

भगतसिंह से बाघ भारत

गुल हो गया चिराग भारत


बन्द प्रकाश हुआ


बचत का सच्चा वीर सिपाही

जिससे कुछ आजादी आई


जिसने लाई आग भारत

अपने घर से भाग भारत

कर तुमसे अनुराग भारत


गुप्त वो सुभाष हुआ


पृथ्वीसिंह निसदिन चिल्लाता

कोई ना इसकी धीर बंधाता


माता गऊ आज छाग भारत

मार के खा गये जाग भारत

सुना खावन लागे डाग भारत


अब पर्दा फ़ाश हुआ



Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह

Back to परमाणु बम


Back to Prithvi Singh Bedharak