Bhairon Singh Bhadu

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Bhairon Singh Bhadu (बाबू भैरोंसिंह भादू), from Tiloniya, Kishangarh, Ajmer, Rajasthan, was a social worker and freedom fighter in Jaipur, Rajasthan. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....बाबू भैरोसिंह जी जयपुर - [पृ.483]: अजमेर मेरवाडा में तिलौनिया एक चहल-पहल का गांव है। यहीं के भादू गोत्र के जाट सरदार बाबू लालाराम जी अत्यंत प्रसिद्ध पुरुष हुये हैं। उनके ही 3 पुत्रों में से बाबू भैरोसिंह जी सबसे छोटे थे। जयपुर का साही ढंग का न्यू होटल जयपुर में लालाराम जी के होटल के नाम से मशहूर हैं। जिन लोगों ने बाबू मूलसिंह जी का पहनावा और रहन-सहन तथा खाने पिने का ढंग देखा है वे कह सकते हैं कि यह घराना आधुनिक सभ्यता रहने-सहने में जाटों में पहला स्थान रखता है। खेद है कि अब बाबू मूलसिंह जी भी हमारे बीच में नहीं है। गत वर्ष ह्रदय की गति रुक जाने से मुंबई में उनका स्वर्गवास हो गया। उनकी एकमात्र प्रिय पुत्री देवी चिरंजीबाई से तमाम जाट जगत परिचित है। वह कौम की एक महिला रत्न है।

बाबू भैरोंसिंह जी आजादी पसंद व्यक्ति थे। इसलिए वे अपनी जवानी के दिनों में जयपुर से उदयपुर चले गए और वहां उन्होंने राज होटल का ठेका ले लिया। महाराणा उदयपुर के बड़े-बड़े अतिथि इस होटल में उतरते थे। तत्कालीन वायसराय जब उदयपुर आए और उसी होटल में ठहरे तो आपने ही उनके खाने-पीने का प्रबंध किया। वायसराय ने खुश होकर आप को उपहार स्वरूप स्वर्ण लेखनी भेंट की। महाराणा भूपालसिंह जी


[पृ.484]: उदयपुर नरेश आप से खूब प्रेम करते थे। जब आप वापस जयपुर आने लगे तो महाराणा साहब ने बहुत रोका किंतु वे नहीं रुके।

सन् 1932 से आप जाट सभा की हलचलों में भाग लेने लगे। आपके बड़े भाई बाबू मूलसिंह जी तो आरंभ से ही जाट सभा के रथियों में रहे थे और कई वर्ष तक वे जाट महासभा के खजांची भी रहे थे।

झुञ्झुणु महोत्सव के बाद बाबू भारोंसिंह जी ने राजस्थान जाट सभा में सक्रिय भाग लेना आरंभ कर दिया। वे सभा के 2-4 मीटिंगो में भी शामिल हुए थे।

किन्तु खेद है की उनका असमय स्वर्गवास हो गया। उन्होंने तीन पुत्र छोड़े जिनमें बड़े अमरसिंह जी हैं।

जीवन परिचय

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.483-484
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.483-484

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