Bharat Ola

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Dr. Bharat Ola

Dr. Bharat Ola (डॉ. भरत ओला) is a renowned name in Rajasthani literature. He writes poetry, short fiction and novels in Rajasthani.

Early life and Career

He was born on 6 August 1963 at Village Bhirani, Tehsil Bhadra, Distt. - Hanumangarh, Rajasthan. He is School Lecturer in Rajasthan.

One of his short stories – Jiv Ri Jaat (जीव री जात) – is part of the senior secondary school curriculum. He received the prestigious Sahitya Akademi Award for this short story titled fiction collection in 2002. His works have been translated into several Indian languages like Punjabi and Urdu. With this book in Rajasthani language his name is among all those writers who had been awarded for their first book.

Awards

  • Choudhary Randhir Singh Prathiba Award – 1994
  • Murlidhar Vyas Rajasthani Katha Sahitya Award – 2000
  • Sahitya Academy Award-2002
  • Rawat Saraswat Sahitya Award – 2006
  • Sanwar Daiya Katha Sahitya Puraskar-2010
  • Ram Kumar Ojha Sahitya Puraskar-2010
  • Mahendra Jajodiya Sahitya Puraskar-2011
  • Rajya Stariya Shikshak Puraskar-2012
  • Rashhriya Shikshak Puraskar-2013
  • Matushri Kamla Goinka Rajasthani Sahitya Puraskar-2015
  • Manni Dewi Brajmohan Joshi Sahitya Puraskar-2017
  • Kamla Dewi Pahadia Upanyas Puraskar-2017
  • Kanhaiya Lal Sethia Rajasthani Sahitya Puraskar-2019

Achievements

  • “Jeev Ri Jaat” Rajasthani short story collection translated in Punjabi titled “Jeev Di Jaat”
  • Research on “Rani Laxmikumari Chundawat’s Narrative Literature.”
  • Founder President of Rajasthani Bhasha Manyata Sangarsh Samiti
  • Founder President of Rajasthani Lok Sansthan (Lok Sanskriti Centre),Nohar.
  • Member of Rajasthani Paramarsh Mandal Sahitya Academy, New Delhi(2008-2012)

Publications

  • Jeev Ri Jaat – (Rajasthani short stories collection):'जीव री जात' (राजस्थानी कहानी संग्रह)
  • Sector No.5 – (Rajasthani short stories collection) :(सेक्टर नं.5) (राजस्थानी कहानी संग्रह)
  • Sarhad ke aar par – (Hindi poetry collection) सरहद के आर पार (हिंदी कविता संग्रह )
  • Ghulgaanth – (Rajasthani Novel): घुळगांठ (राजस्‍थानी उपन्‍यास)
  • Rajasthani Language Recognition Issue – (Ideological essays) : राजस्‍थानी भाषा : मान्‍यता का मुद्दा (वैचारिक निबंध)
  • Khardpancha Ro Nyav: खरड्पंचा रो न्‍याव
  • Bhidan Ri Jarh : बिघन री जड़
  • Saroj ki Samajdhari : सरोज की समझदारी
  • Khoobsurat Rishta: खूबसूरत रिश्‍ता
  • Uttar ki Talash – (Children’s and adult educative Literature): उत्‍तर की तलाश (सभी बाल साहित्‍य एवं नवसाक्षर साहित्‍य)

Contact details

  • Address: Village - Bhirani, Teh.- Bhadra, Distt. - Hanumangarh, Rajasthan, Present Address : 37, Sector 5,Nohar ,Hanuman Garh, Rajasthan,
  • Phone : 01555-221893, Mob: 9414503130
  • Email: Bharat Ola<bharatola@gmail.com>

भरत ओला का संक्षिप्त परिचय

नाम - डाॅ.भरत ओला

पिता - चौ. देवकरण ओला

जन्म - 06अगस्त,1963,गांव भिरानी,त.भादरा,जिला -हनुमानगढ़      शिक्षा - पीएच.डी.

प्रकाशित पुस्तकें - 1. जीव री जात, 2. सेक्टर नं.पांच, 3. भूत, 4. कित्ती कहाणी खतम, 5. घुळगांठ, 6. घुळगांठ माथै घुळगांठ, 7. सरहद के आर - पार, 8. भरत ओला की चुनींदा कहानियां, 9. आपणो राजस्थान, 10. राजस्थानी भाषा मान्यता का मुद्दा, 11. गोगा गाथा, 13. साखीणी कथावां, 14. खरड़पंचां रो न्याव, 15. बिघन की जड़, 16. सरोज की समझदारी, 17. खूबसूरत रिश्ता, 18. उत्तर की तलाश, 19. राजस्थानी साहित्य के पुरोधा कुंवर चन्द्रसिंह, 20 आवाज का राज, 21. वहम की दवा. 22. बेलिंगी, 23. नॉट रिचेबल, 24. मैं शूद्र बोल रहा हूं, 25. बेहतर जिंदगी, 26. मंटो इक्कीस, 27. पंजाबी कहाणी री पसम, 28. केसराराम री कहाणियां, 29. सूजन सोपान

अनेक राजस्थानी रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित। कहानी "जीव री जात" माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान एवं "उंडी आग" महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय बीकानेर के पाठ्यक्रम का हिस्सा।

शोधप्रबन्ध - रानी लक्ष्मीकुमारी चूड़ावत के राजस्थानी कथा साहित्य का आलोचनात्मक अध्ययन।

सम्पादन - "हथाई" (राजस्थानी तिमाही पत्रिका)

पुरस्कार -

  • राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार (2000),
  • साहित्य अकादेमी पुरस्कार (2002),
  • रावत सारस्वत साहित्य पुरस्कार (2006),
  • सांवर दइया कथा साहित्य पुरस्कार (2010),
  • रामकुमार ओझा साहित्य पुरस्कार (2010),
  • महेन्द्र जाजोदिया साहित्य पुरस्कार (2011),
  • राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार (2012),
  • राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार(2013),
  • मातुश्री कमला गोइंका राजस्थानी साहित्य पुरस्कार (2015),
  • मन्नीदेवी ब्रजमोहन जोशी साहित्य पुरस्कार, (2015),
  • कमलादेवी पहाड़िया उपन्यास पुरस्कार (2017),
  • कन्हैयालाल सेठिया राजस्थानी साहित्य पुरस्कार (2019),
  • जिला प्रशासन एवं पचासों स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा समय समय पर पुरस्कृत एवं अभिनन्दित।

विशेष - सदस्य,राजस्थानी भाषा,साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर (2002-2005 एवं 2010-2013),

सदस्य, राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल,साहित्य अकादमी नई दिल्ली(2008-13),हनुमानगढ़ स्वीप ब्रांडएम्बेसडर, लोकसभा चुनाव 2018

संस्थापक अध्यक्ष, राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति।अध्यक्ष,राजस्थानी लोक संस्थान,नोहर।

सम्पर्क - सम्पादक "हथाई",37,सेक्टर -5 नोहर 335523,जिला- हनुमानगढ़ (राज.)

डाॅ. भरत ओला: शख्सियत

साहित्यकार डाॅ. भरत ओला को कौन नहीं जानता लेकिन फिर भी उनके जीवन के अनेक पहलू हैं,जिनसे हम परिचित नहीं हैं , जो समाज के लिए प्रेरणादायी हैं। डाॅ.भरत ओला  राजस्थान के पहले शिक्षक साहित्यकार हैं, जिन्हें शिक्षा का शीर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार एवं साहित्य का शीर्ष साहित्य अकादेमी पुरस्कार से नवाजा गया है। दो दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक भरत ओला ने अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व दोनों में ही नई पहचान कायम की है। साहित्य में जहां अनेक नवाचार किए वहीं प्रगतिशील लेखक होने के नाते सामाजिक विद्रुपताओं के खिलाफ भी डटकर खड़े हो गए। उनका लेखन और कर्म हम सबके के लिए प्रेरणादायी है।

भरत ओला की पहली ही पुस्तक " जीव री जात " पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा ने सबको चमकृत किया। नब्बे के दशक में कन्या भ्रुण हत्या के बरखिलाफ लिखी उनकी यह कहानी काफी सराही गई और फिर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम का हिस्सा रही।भूत जैसे विषय पर एक साथ दस मनोवैज्ञानिक कहानियां लिखकर साहित्य व समाज को भूत के असली वजूद से रू-ब-रू करवाया।जातिवाद पर प्रहार करता उनका उपन्यास " घुळगांठ " कई भारतीय भाषाओं में अनदित होकर भारतीय भाषाओं के पांच चर्चित उपन्यासों में शामिल हुआ।

अभी हाल ही में उनका ट्रांसजेंडर पर लिखा राजस्थानी का पहला उपन्यास "बेलिंगी" फिर चर्चा में है।इस उपन्यास पर टिप्पणी करते हुए फिल्म लेखक,समीक्षक डाॅ. दुष्यन्त ने लिखा है कि सन् 1892 में  "चित्रागंदा" नृत्य नाटिका लिखकर जो काम टैगोर ने किया,उसे ही आगे बढ़ाने का काम सन् 2020 में इस उपन्यास के मार्फत भरत ओला ने किया है।

भरत ओला ने जो कुछ साहित्य में लिखा उसे अपने जीवन में भी अपनाया। गांधी जी के "सत्य के प्रयोग" की तरह उन्होंने भी साहित्य के प्रयोग अपने जीवन में लागू किए। महज सत्रह वर्ष की उम्र में मृत्युभोज खाना छोड़कर इस कुप्रथा के प्रति विरोध दर्ज करवाया तो सन् 2000 में मां की मृत्यु पर मृत्युभोज न कर समाज को प्रेरित किया। 35 वर्ष पूर्व , 23 साल की उम्र में विवाह हुआ तो पर्दाप्रथा का जमकर विरोध किया। परिवार के विरोध के बावजूद उन्होंने इस कुरीति पर विजय पायी।  भारत निर्वाचन आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव 2018 में हनुमानगढ़ जिले के स्वीप ब्रांडएंबेसडर रहे भरत ओला ने पिछले दिनों अपने बेटे सौरभ के विवाह में किसी भी प्रकार का दिखावा और दान-दहेज न लेकर लेखकीय कर्म का निर्वहन करते हुए ब्रांडएम्बेसडरीय कार्य किया।      

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