Bhirani

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Bhirani (भिराणी/ भिरानी) is a village in Bhadra tahsil of District Hanumangarh in the Indian state of Rajasthan. PIN Code-335503.

Founder

Bhirani (Bhadra, Hanumangarh) was founded by Shripal Nain in 1253 AD. [1]

Jat Gotras

History

In 8th generation of Prithvi Raj, Raja Anandpal’s descendant Bachhal came from Bhirani in Rajasthan to Litani (Hisar) in 1387 AD and after staying one night over here made his permanent settlement at Danauda (Jind).

इतिहास

इंद्रप्रस्थ से प्रस्थान: ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....नैण गोत्र के कुछ लोगों ने इंद्रप्रस्थ से चलकर सरवरपुर बसाया और फिर भिराणी को आबाद किया। सरवरपुर जिसे अब सरूरपुर कहते बागपत तहसील में भिराणी बीकानेर की तहसील भादरा में है। कुछ समय पश्चात उन्हें भिराणी छोडकर जाना पड़ा।

भिराणी छोडकर जाना: ठाकुर देशराज[3] ने लिखा है ....भिराणी छोडकर जाने का कारण इस प्रकार बयान किया जाता है कि एक नैण युवक बालासर (बीकानेर इलाका) में ब्याहा गया था। वह अपने ससुराल गया। कुछ तरुण युवतियों ने मज़ाक में उसको सौते हुये चारपाई से बांध दिया। पाँवों में रस्सी डालकर रस्सी एक भैंसे की पूंछ में बांध दी और कांटेदार छड़ी से भैंसे को बिदका दिया। भैंसा भाग खड़ा हुआ। युवक घिसटता हुआ मर गया। बहुत दिनों के बाद भिराणी का एक नैण उसी गाँव होकर कहीं जा रहा था। तो उस युवक की विधवा ने ताना दिया कि नैण तो सब मुर्दा हैं वरना अपने लड़के का बदला क्यों छोड़ते। वह नैण वापस लौट गया और नैण लोगों को लाकर बालासर पर चढ़ाई करदी। उन्होने बालासर में खूब मार-काट की। जब वे लौट गए तो बालासर के बचे-खुचे लोग पड़ौसियों को लेकर भिराणी पर चढ़ाई करदी। उन्होने भिराणी को तहस-नहस कर दिया। तभी की यह लोकोक्ति मशहूर है – “छिम-छिम मेहा बरसा, छीलर-छीलर पाणी, नैण-नैण उडी गए, खाली रहगई भिराणी”।

इसी भांति बालासर पर एक लोकोक्ति है – “माहियाँ आवे रिड़कदी, लस्सी हो गई खट्टी। शीश न गूंथावदी, बालासर की जट्टी।:

अर्थात बालासर की जाटनियों ने मांग निकालना बंद कर दिया। तात्पर्य यह है कि वे सब विधवा हो गई।

यह घटना 14वीं शताब्दी की है। बचे-खुचे नैण भिराणी को छोडकर अनेक स्थानों पर जा बसे। चौधरी हरिश्चंद्र जी का कहना है कि उनके पूर्वजों में से राजू लधासर, दूला बछरारा, कालू मालूपुरा, हुकमा केऊ, और लालू बींझासर में आबाद हुये। इन गांवों मे केऊ तहसील डूंगरगढ़ (बीकानेर डिवीजन) और बाकी तीनों गाँव रतनगढ़ तहसील (बीकानेर डिवीजन) में हैं।


ठाकुर देशराज [4] ने लिखा है कि....नैणसी के चुहड़ हुआ, चुहड़ के चोखा और लालू दो पुत्र हुये, चोखा के फत्ता और मूला दो लड़के हुये। इनमें फत्ता ने ही सरवरपुर (अब सरूरपुर) की नींव डाली। इस वंश में किशनपाल से 5वीं पीढ़ी में श्रीपाल नाम के एक प्रसिद्ध व्यक्ति हुये उसने संवत 1310 अर्थात 1253 ई. में भिराणी गाँव बसाया। यह गाँव बीकानेर डिवीजन की भादरा तहसील में अवस्थित है।


भिराणी के विकास में बेनीवालों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. चौधरी रामसा जी बेनीवाल की पांचवी पीढ़ी में जन्मे चौधरी मोमनराम जी बेनीवाल ने अपने जीवन काल में अनगिनत विकास कार्य करवाए. जिसमें राजा रतन सिंह के द्वारा गिरफ्तारी पर संपूर्ण भाईचारे के लिए एक रात में पक्के जोहड़ का निर्माण करवाया जाना भी सामिल है, जो कि आज तक गौशाला में स्थित है. भिराणी के विकास में संपूर्ण जाट भाईचारे का योगदान और महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भिराणी सदैव जाटों की एकता और अखंडता का प्रतीक रहा है.

Notable persons

  • Capt. (Retd) Mahavir Singh (Dhandu) - Capt. (Retd.), Date of Birth : 1-September-1957, VPO- Bhirani, Teh.- Bhadra, Distt. -Hanumangarh, Rajasthan, Present Address : 73, Rajendra Nagar, Sirsi Road, Jaipur, Phone: 0141-2358619, Mob: 9413347775, Email Address : capmsingh@gmail.com
  • Dr. Bharat Ola - School Lecturer, Date of Birth : 6-August-1963, Vill.- Bhirani, Teh.- Bhadra, Distt. - Hanumangarh, Rajasthan, Present Address : 37, Sector 5,Nohar ,Hanuman Garh, Rajasthan, Phone : 01555-221893, Mob: 9414503130

External Links

References


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