Bilyoowas Mahiyan

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Location of Villages around Churu

Bilyoowas Mahiyan (बिल्यूंबास महियान) is a small village in Sardarshahar Tehsil of Churu district in Rajasthan.

Location

Founders

Jat Gotras

Population

As per Census-2011 statistics, Bilyoobas Mahiyan village has the total population of 942 (of which 489 are males while 453 are females).[1]

History

पुराना बिल्यूबास गाँव का नाम जैसंग सारण के पुत्र बड़ार की पत्नी बिल्ला के नाम पर पड़ा। पुराना बास अब थेह के रूप में है। वहाँ कोई आबादी नहीं है। जैसंग सारण के दूसरी पत्नी का पुत्र बड़ार का पुत्र था देवा। देवा ने देवासर गाँव (देवानिया) बसाया। बड़ार ने बड़ासार जो रतनगढ़ सरदारशहर मेगा-हाईवे पर स्थित है। यह गाँव चारण-भाटों को दान कर दिया था। जैसंग सारण की पहली पत्नी का पुत्र भोजराज था। [2]

दादा खिराज भक्त की धरती

चुरू जिला मुख्यालय से 115 किमी दूर सरदारशहर से साहवा मार्ग पर एक गोगामेड़ी स्थित है जिसे खिराज भक्त की गोगामेड़ी के नाम से जाना जाता है। इस परिक्षेत्र में आनेवाले ग्राम बोघेरा, बिल्यूं बास रामपुरा, बिल्यूं बास महियान, देवाणिया, सहजासर, बिल्यूं बास डूमाणी, डालमाण आदि आते हैं। इस क्षेत्र को खिराज भक्त की धरती नाम से पुकारा जाता है। यह गोगामेड़ी बिल्यूं बास महियान की रोही में स्थित है। इस गोगामेड़ी की सर्प दंश को ठीक करने के बारे में बहुत मान्यता है।

जनश्रुति के अनुसार लगभग 150 वर्ष पूर्व यहाँ भयंकर अकाल पड़ा। यहाँ रहने वाले लोगों ने दिसावर की तरफ प्रस्थान किया। उस समय ग्राम देवसर का खिराजा राम सारण आजीविका की तलास में पशु चराने के लिए पंजाब गया। वहाँ उसे नारवा की बीमारी हो गई तो वह चल नहीं पाता था। खिराज बैठा पैरों में नारवा की पीड़ा को सहला रहा था कि तभी उधर से एक घुड़सवार गुजरा। घुड़सवार की छड़ी धरती पर गिर गई। घुड़सवार ने खिराज को छड़ी देने के लिए कहा। खिराज दर्द से कराह रहा था सो उसने असमर्थता व्यक्त की। घुड़सवार ने आदेशात्मक लहजे में कहा - खड़े हो जावो और मुझे छड़ी दो। घुड़सवार पल में ही खड़ा हुआ और छड़ी दे दी। कहते हैं कि घुड़सवार ने खिराज को आदेश दिया कि अपने गाँव जाओ और मेरी मेड़ी बनाओ और पूजा करो। ऐसी जनमान्यता है कि खिराज भक्त को गोगाजी ने स्वयं दर्शन दिये थे।

खिराजा राम सारण वापस गाँव आ गया और बिल्यूं बास महियान के पास आकर गोगाजी की पूजा आराधना करने लग गया। तबसे उसे गोगाजी का भक्त कहा जाने लगा। भादवा महीने में गोगाजी के गाए जाने वाले लोक गीतों में खिराज भक्त गोगाजी भक्तों के शीर्ष पर हैं। वर्तमान में उनके वंशजों को भी भक्त के उपनाम से पुकारा जाता है। यह गोगामेड़ी बिल्यू की गोगामेड़ी के नाम से जानी जाती है। यहाँ पर भादवा महीने की शुक्ल पक्ष में 5 और 6 को मेला भरता है।

स्रोत - ओमप्रकाश शर्मा, भू-अभिलेख निरीक्षक, M: 9414676552

Jat Monuments

Temples

Notable persons

External Links

References


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