Hari Ram Godara

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Hari Ram Godara

Hari Ram Godara (1901-1999) was a great Social worker from village Makkasar (मक्कासर) district Hanumangarh, Rajasthan. [1]

Career

Makkasar had won the Lok Sabha election in 1977 from Bikaner on a Bharatiya Lok Dal ticket and later joined the Janata Party. He then joined the CPI-M and worked tirelessly for the farmers of the region, a party release said here. [2]

His family

Death

Choudhary Hari Ram Makkasar (Godara) died on 11 September 1999 after prolonged illness at village Makkasar, his native place in Hanumangarh district. He was 98.

जीवन परिचय

चौधरी हरीराम जी गोदारा हनुमानगढ़ जिले के मक्कासर गाँव में रहते थे। 1977 में बीकानेर से सांसद चुने गये थे।इनके पुत्र कामरेड शोपत सिंह मक्कासर राजस्थान के बड़े कम्युनिस्ट नेता थे। हनुमानगढ़ से 4 बार विधायक बने, एक बार बीकानेर से सांसद बने थे। हरी राम जी को गुजरे एक अर्सा हो गया, शोपत सिंह जी का देहांत 27 मार्च 2006 को हुआ था। यूँ तो चौधरी साब के बारे में आम जन में तरह 2 के किस्से प्रचलित हैं। 1977 में ही गंगा नगर से बेगा राम जी चौहान सांसद बने थे। चौधरी साब का बेगा राम जी का आपस में बड़ा प्यार था। दोनों खास पढ़े लिखे नहीं थे।संसद में बेगा राम जी के लिये सीट रोकने का किस्सा बड़ा प्रचलित है। मेरा शोपत सिंह जी के कारण इस परिवार ओर चौधरी साहब से लंबे समय का जुड़ाव है।चौधरी साब ओर शोपत सिंह जी दोनों ही मेरी शादी में भी आये थे। इलाके में चौधरी साब का बड़ा सम्मान रहा है।औपचारिक शिक्षा चाहे ना मिली हो, चौधरी साब की समझ ओर हाजिर जवाबी कमाल की थी। तीव्र बुद्धि थी। सरल ओर मजाकिया स्वभाव के थे। बड़ी से बड़ी भीड़ की मानसिकता तुरंत समझ जाते थे।

यह पोस्ट उनके परिवार की मेहमान नवाजी पर है। मक्कासर में उनके घर पर मेला लगा रहता था। धनी किसान थे, रोजाना 20 -30 मेहमान उनके यहाँ भोजन करते थे। इनकी मेहमाननवाजी के किस्से भी ओर अकाल में पशुधन बचाने के किस्से पुरे बीकानेर डिवीजन में मैंने लोगों से सुने हैं। इस परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा में मेहमान नवाजी का भी बड़ा योगदान है। इनके पिताजी मेहमान को भगवान का दर्जा देते थे। चौधरी साब ने एक बार मुझे बतायाकि जिस दिन कोई मेहमान नहीं होता था, घरवाले ही भोजन अकेले करते थे, तो उनके पिताजी कहते थे " थे आज कोई पाप करयो हैं, कोई पावणों कोनी आयो,एकला जीमो हो,पावणों तो भगवान को रूप हुवे"।ऐसी मेहमाननवाजी में सबसे बड़ी भूमिका महिलाओं की होती है।खाना बनाना उनका ही काम है। परिवार की इतनी बड़ी इज्जत बनाने वाली महिलाओं को कोई क्रेडिट नहीं मिलता। 50 -60 लोगों का खाना रोज बनाना बहुत बड़ा काम है।

एक बार सर्दी की रात में 11 -12 बजे डॉ चंद्र भान, विद्याधर ओलखा, डॉ अंतर सिंह ओर मैं उनके घर गये। रात के 12 बजे उन्होंने अपने बेटे बलराम को जगाया ओर कहा पावणा आया हैं, खीर , सीरो बनाओ, दूध जमा दिया खीर नहीं बनी, हलुवा बना। तो चौधरी साब ने कहा सारे दूध में जावण मत दिया करो, पावणों कद भी आसक है। नींद से उठकर रोटी तो महिलाओं ने ही बनायीं।

किस्सा तो अब है ,हनुमान गढ़ में चौधरी साब नेअपने पोते राजेंद्र के घर पर चौपाल लगा रखी थी। वहां पर पक्का सहारणा के चौधरी भियांराम जी बिस्सू भी वहां बैठे थे। मैं वहां किसी काम से गया,मैं भियां राम जी को भी जानता था।दोनों के चरण स्पर्श किये।चौधरी साब ने मुझे कहा कँवर साब भियां राम जी ने जानो हो के। मैंने कहा जी जनता हूँ इनके 3 पोते मेरे साथ कॉलेज में पढ़ते थे,इनके दो बेटे थानेदार हैं। इनकी दो पोती गंगा नगर में चौधरी प्रेम सुख जी घिंटाला के बेटों राजेंद्र ओर विजय को ब्याही हैं,जो दोनों ही मेरे दोस्त हैं, राजेन्द्र जी अब इस दुनियां में नहीं रहे, मेरे हमउम्र थे। मर्मकी बात अब है, इतना सुनते ही चौधरी हरी राम जी ने भियां राम जी को कहा, "चौधरी एक लड़की तो म्हाने ई देदे।" भियां राम जी जवाब दिया "चौधरी तेर घर में छोरी देर भाग फोड़नू है,सारी उम्र चूल्हे के आँख फोड़ती रह"। इतनी सी बात में सारा कुछ आजाता है। थी तो ये मजाक पर सच्चाई थी,राजेंद्र ने इसका जवाब भी दिया,चौधरी साब डरो मत,अब नोकर हैं, राजेंद्र के यहाँ एक नेपाली नोकर चाय पिला रहा था । चौधरी साब, भियां राम जी, शोपत सिंह जी तीनों ही अब दुनिया में नहीं रहे।

स्रोत: नवरंग चौधरी की फेसबुक पोस्ट, 31.08.2020

Gallery

External links

References

  1. Dr Mahendra Singh Arya etc, : Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 364
  2. Dr Mahendra Singh Arya etc, : Ādhunik Jat Itihas, Agra 1998, p. 364

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