Chuna Ram Dhatarwal

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Chuna Ram Dhatarwal is scientist in ISRO.

जीवन परिचय

गरीबी और अभावों को मात देकर किसान का बेटा बना ISRO में वैज्ञानिक:चुनाराम जाट

“मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे”। सच में अगर आप ईमानदारी से मेहनत करें और आपने लक्ष्य प्राप्ति को लेकर जुनून हो तो कोई भी आपके सफलता की बुलंदियां छूने से कोई नहीं रोक सकता। हमारे राह में काई रोड़े जरूर आते हैं, कभी हमें पर्याप्त संसाधन नहीं मिल पता, कभी हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती, तो कभी सामाजिक परिस्थितियाँ हमें आगे बढ़ने नहीं देती। पर इन्हीं अड़चनों को जो पार कर लेता वही पूरी दुनिया के लिए मिसाल कायम करता है। आज हम एक ऐसे ही शख्स की बात करने जा रहे हैं जो ग्रामीण क्षेत्र में सुविधाओं से महरूम और आर्थिक चुनौतियों को मात देकर अपने दम पर इसरो का वैज्ञानिक बनकर अपने पिता के सपनो को साकार तो किया साथ ही पुरे भारत में 12वीं रैंक हासिल कर बाड़मेर जिले का पहला इसरो का वैज्ञानिक बनने की सफलता अपने नाम की !

इन परिस्थितियों में चुनाराम ने की शिक्षा अर्जित

अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए रोजाना 4 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाने वाले चूनाराम जाट का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में बतौर वैज्ञानिक हुआ है। उन्होंने ऑल इंडिया स्तर पर 12वीं रैंक हासिल कर सीमावर्ती बाड़मेर जिले का नाम रोशन किया। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े चूनाराम के पिता भोलाराम धतरवाल पेशे से किसान हैं, जो स्वयं 8वीं कक्षा तक पढ़े हुए हैं। उसकी माता रामूदेवी गृहिणी हैं, जो अनपढ़ हैं। चूनाराम की प्रारम्भिक शिक्षा ढाणी से करीब 4 किमी दूर स्थित राउप्रावि नरेवा बेरा खट्टु में हुई। 8वीं के बाद वर्ष 2008 में नवोदय विद्यालय पचपदरा में चयन हो गया। वर्ष 2012 मे 12वीं में टॉप रैंक हासिल कर विद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट बने। इसी साल चूनाराम का चयन एनआईआईटी सूरत में हो गया। वहां 4 साल का कोर्स करने के साथ अपनी तैयारी जारी रखी और अब इसरो में चयन हुआ है।

सरहदी बाड़मेर जिले के खट्टू गाँव में किसान श्री भोलाराम धत्तरवाल के घर में जन्मे प्रतिभा चुनाराम जाट जो कि बहुत विकट परिस्थितियों में अपनी प्रारंभिक शिक्षा खट्टू नरेवा बेरा के सरकारी विद्यालय में व कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई नवोदय विद्यालय पचपदरा में पूरी की। फिर सूरत से इंजीनियरिंग करने के बाद पिछले वर्ष एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करते हुए आज (March 2018) घोषित हुए परिणाम में भारत के सबसे बड़े अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो के वैज्ञानिक पद पर पूरे भारत में 12 वीं रैंक हासिल की है।

अपने बड़े भाई ने दिया आर्थिक संबल

किसान परिवार में जन्मे चूनाराम की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर रही। खेती पर निर्भरता के कारण परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हुआ तो पिता ने दिहाड़ी मजदूरी भी की। बड़े भाई किशन कुमार ने पढ़ाई बीच में छोड़ बालोतरा में कपड़े की फैक्ट्रियों में जाकर काम शुरू किया, ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरे और चूनाराम पढ़ सके। बड़े भाई ने कड़ी मेहनत कर चूनाराम की आर्थिक जरूरतें पूरी करने के साथ ही हर समय आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। अब उनकी मेहनत भी रंग लाई।

मिट्टी के तेल की चिमनी की रोशनी में की पढ़ाई: चूनाराम ने अपनी पूरी शिक्षा घर में मिट्टी के तेल से तैयार कर बनी चिमनी से पढ़ाई लिखाई कर इस मंजिल को हासिल किया है ! इनकी ढाणी में आज भी बिजली का कनेक्शन नहीं है। उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई गांव में ही की। इस दौरान उन्होंने चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की।

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। ये वाकया इसरो वैज्ञानिक चुनाराम के लिए सटीक बैठता है ! वैज्ञा. चुनाराम जाट का मानना है कि परिस्थितियां कितनी भी ख़राब क्यों न हो लेकिन लक्ष्य के प्रति समर्पण हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले जाते हैं।

संदर्भ - http://www.rajkhojkhabar.com/scientists-from-isro-made-charmaram-of-barmer-by-writing-chimney-light/

चंद्रयान-3 की टीम में

बहुत बड़ा गौरव का विषय है कि किसान पुत्र मालाणी के रत्न युवाओं के प्रेरणा और संघर्षशील युवा इसरो वैज्ञानिक ISRO द्वारा लांच chandrayaan-3 की टीम में बाड़मेर जिले के पचपदरा गांव खट्टू (धतरवालो की ढाणी) के श्री चुनाराम धतरवाल ISRO भी शामिल है। ISRO टीम को सफल लॉन्चिंग के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.

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References


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