Denok

From Jatland Wiki
Jump to navigation Jump to search
Location of Denok in Jodhpur district

Denok (देनोक) is a Village in Phalaudi tahsil of Jodhpur district in Rajasthan.

Location

It is located 119 KM towards north, from district headquarters Jodhpur, and 41 KM from Phalaudi town.

Jat Gotras

History

जोधपुर जिले में एक गांव हैं देणोक। वहां पर आज से करीब 350 साल पहले ऊदाजी मायला हुए । जिनके लिए कहावत है - "घङी घङी रो दातार ऊदो मायलो " उस समय देणोक में ऊदाजी मायला व उनके मामा लाखाजी डूडी की गिनती मुखिया लोगों में होती थी । दोनों के माल-मवेशी, अन्न-धन की कोई कमी नहीं थी। दोनों स्वाभिमानी तो थे ही किन्तु एक गुण दोनों को अलग करता था, वह था दान । हालांकि दानी तो दोनों थे किंतु ऊदाजी खुले हाथ से दान करते थे जबकि लाखोजी का हाथ थोड़ा सा बंद रहता था । एक बार बीकानेर रियायत के किसी गांव से ऊदाजी के बेटे के लिए नारेळ लग्न लेकर ब्राह्मण आया। संयोग से गांव की सीमा मे उस ब्राह्मण की भेंट लाखाजी से हो गयी। बात-बात में लाखाजी ने जान लिया कि ब्राह्मण ऊदाजी के बेटे है के लिए नारेळ लाया है । लाखाजी ने यह सोचकर अपना परिचय ऊदाजी के रूप में दिया कि अच्छे घर से नारेळ है। लाखाजी ने अपने गुट के 2-4 लोगों की उपस्थिति में नारेळ अपने बेटे के लिए ले लिया । बाद में उस ब्राह्मण को वास्तविकता का मालूम हुआ । लेकिन अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। उसने वापस जाकर सियोलों को हकीकत सुना दी। सियोलों ने छोटी बेटी का नारेळ देकर दुबारा उस ब्राह्मण को ऊदाजी के वहां भेजा । नियत दिन को दोनों बारातें आ गयी । लाखाजी व ऊदाजी ने कवियों को बढ़त-चढकर दान देना शुरू किया । 6 माह तक बारातें वहां रुक गयी कि दान देने में कौन जीतता हैं । सियोलों ने सेंस भुज यानि 100 प्रकार के भोजन ख्लाये। आखिर दोनों के पास धन खत्म होने लगा तब ऊदाजी ने लाखाजी के ग्रुप के लोगों को सुनाते हुए अपने बेटे को कहा कि सुबह गांव जाकर "कराई" के नीचे गाङे गए सोने के सिक्कों से भरे 5 घङे ले आना। यह सुनकर लाखाजी ने सोचा अब बराबरी करना मुश्किल है इसलिए वह वापस गांव आ गये । उसी दरमियान भंयकर अकाल पङा ।ढाढी कवि अपना पेट पालने के लिए सिंध जा रहे थे । 100 परिवार थे । सबको ऊदाजी व लाखाजी ने खाना खिलाया । 99 परिवार तो सुबह आगे के लिए रवाना हो गये किंतु एक बुजुर्ग व कमजोर आदमी की वजह से एक परिवार वहीं रुक गया। उस परिवार को एक ऊदाजी व एक दिन लाखाजी खाने के लिए बाजरा देते थे। एक बार लाखाजी की बारी के दिन दी हुई बाजरी पशु खा गए । वह ढाढ़ी दुबारा लाने गया तो लाखाजी ने उसे दुत्कार कर भगा दिया । फिर वह ऊदाजी के वहां गया तो ऊदाजी ने बाजरा डाल दिया । तब ढाढ़ी कवि ने कहा -"घङी घङी रो दातार ऊदो मायलो ।" अर्थात बार बार दान देने वाला ऊदाजी मायला । एक बार कुछ लङके दोपा दङी (क्रिकेट ) खेल रहे थे। एक खिलाड़ी बार बार दोहरा रहा था- घङी घङी रो दातार ऊदो मायलो । जीत उसी के पक्ष की होती थी। यह माजरा महल में बैठी राणी देख रही थी । शाम को राजा व रानी चौपङ खेल रहे थे तब रानी बार बार यह पंक्ति दोहरा रही थी और जीत रानी के पक्ष में । हालांकि इसके पहले हमेशा रानी हारती थी। राजा को आज रानी की जीत पर अचम्भा हुआ । उसने गौर से वह पंक्ति सुनी । तब हकीकत पूछी । रानी ने पूरा वाकया सुनाया । राजा ने हरकारा भेज कर ऊदाजी को महल बुलाया । उन्हें कुछ भी मांगने को कहा तो ऊदाजी ने कहा मैं मांगने वालों में नहीं हूँ। हां यदि आप देना ही चाहते हो तो 84 गांवों की पान चराई लाग( पशु चराने पर लगने वाला कर) माफ कर दो। राजा ने वचन के मुताबिक यह कर माफ कर दिया । ( कहानी बहुत लम्बी है किंतु शोर्ट कर बताई हैं ) कहानी जनश्रुति पर आधारित है किस राजा के समय की घटना है और किस प्रकार कर माफ किया, यह शोध का विषय है । जोगाराम सारण श्री किसान शोध संस्थान लायब्रेरी

Population

Denok village has a population of 3924, of which 2098 are males, while 1826 are females, as per Population Census 2011.

Notable persons

External links

References


Back to Jat Villages