Devi Baks Saraf

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Devi Baks Saraf was a social worker, reformer, a Freedom fighter and hero of Shekhawati farmers movement.

इतर जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ...देवीबक्स जी सराफ़ - [पृ.536]: मंडावा में एक अत्यंत दुबले पतले मारवाड़ी सज्जन थे- सेठ देवी बक्स जी सराफ़। शेखावाटी के वैश्यों में वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने ठिकाना शाही के कोप के सामने सिर उठाया और कानूनी तरीकों से उनके नाकों चने चबवा दिए।

उन्होंने जाटों में आर्य समाज के द्वारा जीवन पैदा किया। कुछ पाठशालाएं भी गांव में कायम कराई। वह एक निर्भीक आदमी थे। पक्के आर्य समाजी थे। उनके सुपुत्र श्री वासुदेव जी सराफ हैं जो कोलकाता में अपना व्यवसाय करते हैं। वह एक लंबे अरसे तक जिन्होंने विधवा विवाह का प्रचलन मारवाड़ी समाज में करने की कोशिश की है।

ठाकुर देशराज से परिचय

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ...लाला देवीबक्ष सराफ मंडावा के एक प्रतिष्ठित वैश्य थे। शेखावाटी में यही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होने कानूनी तरीके से ठिकानाशाही का सामना करने की हिम्मत की थी। उन्होने ठाकुर देशराज और कुँवर रतन सिंह दोनों को आर्य समाज के जलसे में आमंत्रित किया। इस जलसे में जाट और जाटनियाँ भरी संख्या में शामिल हुये। यहाँ हरलाल सिंह, गोविंद राम, चिमना राम आदि से नया परिचय इन दोनों नेताओं का हुआ।

मंडावा में आर्य समाज का जलसा

गणेश बेरवाल[3] ने लिखा है....सन् 1917 में उन दिनों मंडावा के जागीरदार ने मंडावा के आर्य समाज (चौधरी जीवनराम, देवी बक्स के गांवों में खुली आर्य समाज मंडावा में कविता भजन 1927) के मंदिर के ताले लगा दिये। सेठ देवी बक्स सराफ़ के सानिध्य में आर्य समाज का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा था। जागीरदार देवीबक्स सर्राफ के बहुत खिलाफ था। 1927 में आर्य समाज का जलसा मंडावा में रखा। 5000 ग्रामीण जनता इसमें सम्मिलित हुई। गाँव जैतपुरा में छतुसिंह शेखावत जलसे में चौधरी जीवन राम पूनीया को साथ लेकर पहुंचे। आर्य समाज के मंडावा मंदिर का ताला जनता द्वारा तोड़ दिया गया। मंडावा में बड़ा जबर्दस्त जलसा हुआ जिससे सारे शेखावाटी और बीकानेर क्षेत्र में रोशनी फ़ैल गई।


मंडवा के सेठ देवीबक्स जी इस क्षेत्र में आर्य समाज के प्राण थे। उन्होंने अनेक कर्मठ युवकों को तैयार किया। कुछ कर्मठ लोगों को बाहर से बुलवाया ताकि इस क्षेत्र की सोई जनता को जागृत करें। पंडित कालीचरण जी शर्मा और पंडित क्षेमराज जी शर्मा उनके साथी थे। वे गांव गांव में जाकर लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे। चूरू जिले के चौधरी जीवन रामजी अपने भजनों से हजारों लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। श्री सूरजमल गोठड़ा भी लोकप्रिय भजनीक थे। सरदार हरलाल सिंह ने राजनैतिक शिक्षा सेठ देवीबक्स जी से ही प्राप्त की थी। वे उन्हें अपना राजनैतिक गुरु मानते थे। [4]

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.536
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.2
  3. Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.42
  4. Shekhawati Ke Gandhi Amar Shahid Karni Ram/Janm, Shaishav Aur Shiksha,p.11

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