Dhruv Singh Sinsinwar

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Dhruv Singh Thakur (ठाकुर ध्रुवसिंह), Pathena (पथेना), Wair, Bharatpur was a Social worker in Bharatpur, Rajasthan.[1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....ठाकुर ध्रुवसिंह - [पृ.61]: मेरे अनेकों साथी रहे हैं। सार्वजनिक जीवन ऐसा है जिसमें आज जो साथी है कल वह दूसरी कतार में दिखाई देता है। मैंने अनेकों कार्यकर्ता ढाले जिनमें से कई तो आज


[पृ.62]: सरदार हरलाल सिंह की तरह महा नेता (!) हैं। भरतपुर की प्रजापरिषद के नेता उपनेताओं में आधे दर्जन से ऊपर आदमी ऐसे हैं जिनको मैं ढालने का दावा कर सकता हूं। किंतु अपने आप ढला हुआ हमें जो एक साथी मिला है उस पर मुझे अत्यंत गर्व है। वह पहाड़ की चट्टान की तरह मजबूत और संतरी की भांति अनुशासन पसंद आदमी है ठाकुर ध्रुवसिंह

भरतपुर की किसान सभा का वह स्तंभ है। निर्भीकता उसका गुण है। ठाकुर ध्रुवसिंह का जन्म अब से 30-32 साल पहले पथेना में ठाकुर जीवनसिंह जी के घर में हुआ था। गांव के स्कूल में शिक्षा पाई और फिर अपने स्वभाव के अनुकूल अलवर के मंगल रिसाले में नौकरी कर ली। जहां रिसालदार के ओहदे पर अवस्थित हुए। मैं पहले से भी उन्हें जानता था किंतु गाढा परिचय सन् 1932 में झुंझुनू जाट महोत्सव के अवसर पर हुआ।

बत्राशाही के समय में पुलिस की उन पर कोप दृष्टि रही। और पुलिस के महान आदमियों ने उन्हें एक कत्ल केस में धर फाँसा। किंतु सांच को आंच कहां। वे हाईकोर्ट से बरी हुए। आप आत्मविश्वासी इतने हैं कि काल कोठरी में और सेशन जज के यहां से फांसी का हुक्म सुनने पर भी आपका वजन बढ़ा ही घटा नहीं।

वे हृदय से जाट हैं लेकिन इस बात को पसंद नहीं करते कि भरतपुरी जाटों का हिस्सा बाहरी जाट खा जाएँ। इसलिए उन्होने चौधरी जगरामसिंह आईजीपी का विरोध आरंभ किया। जिसका नतीजा हुआ कि उनको भरतपुर ऑर्डिनेंस के मातहत जेल की हवा खानी पड़ी।


[पृ.63]: सन् 1946 और 1947 में जब भरतपुर सरकार लगान में कंट्रोल रेट पर गल्ला खरीदना चाहती थी तो आपने आवाज बुलंद की और किसानों के गिरोह के साथ काउंसिल के सामने प्रदर्शन कराये जिसका नतीजा यह हुआ कि भरतपुर का किसान बच गया और लगान में गल्ला देने की आफत टल गई।

इस समय 4 महीने से उनके लिए वारंट हैं। जब मत्स्य में किसान राज्य होगा तब ध्रुवसिंह जी का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।

भगवानदास मारवाड़ा जिसने 17.3.1948 को किले के सत्याग्रह में माड़ापुरिया करण सिंह का जैसा नाम हासिल किया। पिछले महीने 2 बार जेल हो आए। ये आप ही के लेफ्टनेंट हैं।

जीवन परिचय

ठाकुर ध्रुवसिंह का जन्म 30-32 साल पहले गाँव पथेना, भरतपुर में ठाकुर जीवनसिंह के घर हुआ। गाँव के स्कूल में शिक्षा पाई और फिर अलवर के मंगल रिसाले में नौकरी कर ली। वहाँ रिसालदार के पद पर गए।

गैलरी

संदर्भ


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