Santram Deswal

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Dr. Santram Deswal is an academician, literateur and author of many many books.

व्यक्तिगत परिचय

  • नाम - डॉ. सन्तराम देशवाल 'सौम्य'
  • जन्म - 24 अप्रैल 1955
  • शैक्षिक योग्यता - पी.एच.डी., एम.फिल., एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (अंग्रेजी), एल.एल.बी.।
  • अनुभव - छोटूराम कालेज सोनीपत में हिन्दी के असोशिएट प्रोफेसर के पर अध्यापन किया।

Education, Awards and Honours

Books by Dr. Santram Deswal.jpg
अनुभव - 28 वर्ष कॉलेज में अध्यापन एवं प्रभारी, साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियाँ, एसोशियेट प्रोफेसर (हिन्दी) के पद से सेवा निवृत्त
पुस्तक-प्रकाशन - (1). हरियाणा: संस्कृति एवं कला (अकादमी प्रकाशन), (2). लोक आलोक, (3). आंगन में मोर नाचा किसने देखा, (4). संस्कृति: स्वरूप एवं भूमंडलीकरण, (5). संस्कृति दर्पण, (6). लोक पथ, (7). इक्कीसवीं सदी के ललित निबन्ध (ललित निबंध संग्रह), (8). अनकहे दर्द (हरियाणवी कविता), (9). फौजी मेहर सिंह ग्रंथावली, (10). हिन्दी ललित निबन्ध: स्वरूप एवं मूल्यांकन (समीक्षा), (11). स्मृतियों के सोपान, (12). लोक साहित्य में कड़का विधा, (13). यायावरी की अनुभूतियाँ, (14). हरियाणवी नवगीत, (15). बातां बातां म्हं ।
पुस्तक-पुरस्कार - 1. लोक आलोक (2005), 2. अनकहे दर्द (2010) हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ।
सम्मान-अवार्ड - 1. महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान (2018), 2. जनकवि मेहरसिंह पुरस्कार (2014), 3. बाल मुकुन्द साहित्य सम्मान, 4. लोक साहित्य शिरोमणि सम्मान, 5. लोक साहित्य अनुवाद पुरस्कार (केन्द्रीय साहित्य अकादमी, दिल्ली), 6. पंचवटी सम्मान, 7. काव्य कलश सम्मान, 8. हिन्दी सहस्त्राब्दी सम्मान, 9. सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, 10. सर्वोत्तम पत्रकारिता अवार्ड, 11. हादी-हरियाणा सम्मान, 12. सोनीपत रत्न अवार्ड, 13. कई निबन्ध-लेखन पुरस्कार, 14. शतशः सांस्कृतिक पुरस्कार ।
समाज-सेवा सम्मान - 1. सर्वोत्तम कार्यक्रम अधिकारी सम्मान - तीन बार एम.डी.यू. के द्वारा, 2. भारत सरकार का प्रशंसा-पत्र, 3. हरियाणा के राज्यपाल के द्वारा प्रशंसा-पत्र, 4. उच्चतर शिक्षा विभाग, हरियाणा का प्रशंसा-पत्र ।
सम्पादन - 1. हरिगंधा के ‘निबंध विशेषांक’ और ‘सन्त साहित्य विशेषांक’ का अतिथि सम्पादन, 2. उप-सम्पादक जगत-महान पत्रिका, 3. प्रधान सम्पादक आर्य प्रदीपिका (चार वर्ष), 4. छात्र सम्पादक - सम्प्रेषिका (एम.डी.यू., रोहतक), 5. छात्र सम्पादक - युग वाहक पत्रिका।
स्तंभ-लेखन/पत्रकार - 1. संस्कृति दर्पण, समाज दर्शन कॉलम में स्तंभकार, 2. लोक धारा, मुद्दे की बात, नव साक्षर कोना, म्हारा हरियाणा, सागर में गागर आदि विभिन्न अखबारों के स्तंभों में लेखन, 3. शतश: आलेख प्रकाशित।
शोध-निर्देशन - 1. पी.एच.डी. और एम.फिल का शोध-निर्देशन (एम.डी.यू. रोहतक और अन्य विश्वविद्यालयों के दर्जनों शोध-छात्र), 2. मेरे व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध-कार्य
शोध-पत्र - एक दर्जन शोध-पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित ।
व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर ग्रंथ - ललित लोक निबन्धकार: सन्तराम देशवाल
दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर वार्ताएँ - 1. दूरदर्शन पर वार्ताएँ प्रसारित, 2. आकाशवाणी पर लगभग सौ वार्ताएँ प्रसारित।
व्याख्यान - विभिन्न संस्थाओं में शतशः व्याख्यान ।
संचालन - अनेक आयोजनों का संयोजन-संचालन।
वर्तमान दायित्व - 1. साहित्य-सृजन, 2. सम्पादन, 3. विभिन्न संस्थाओं/कंपनियों में हिन्दी विशेषज्ञ, 4. एडवोकेट (पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय)
जन्म - 24 अप्रैल, 1955, गाँव खेड़का गुज्जर, जिला झज्जर (हरियाणा)
सम्पर्क पता - 116, सैक्टर-15, सोनीपत-131001 (हरियाणा)
मोबाईल नं. - 9812296226
ई-मेल - srdeshwal@gmail.com

Awards/Recognitions received

साहित्य के बिना जीवन को समझना असंभव (डॉ. संतराम देशवाल का लेख) - हरिभूमि दैनिक (रोहतक) में 17 मई 2021 को छपा

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल 'सौम्य' का मानना है कि जीवन को समझने के किए साहित्य के मार्ग से जाना जरूरी है। यही कारण है कि इस परिवर्तनशील युग में भी साहित्य की महत्ता को कभी कम नहीं किया जा सकता। आज के इस आधुनिक युग में खासकर नई युवा पीढी के बीच साहित्य सृजन की जरूरत को देखते हुए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए, जो इंटरनेट को ही अपना सबसे बड़ा सहारा मानकर चल रहे हैं। इसी बदली सोच के कारण संवेदनशीलता कम हो रही है। इसी सोच को बदलने के प्रयास में साहित्य की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए वे खुद सेवानिवृत्ति के बाद से देशभर में भ्रमण कर युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति जागरूक करने का अभियान चला रहे हैं। साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई बातचीत के दौरान साहित्य के क्षेत्र के ऐसे पहलुओं को साझा किया।

प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक डॉ. संतराम देशवाल ने साहित्य के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति के साथ हरियाणवी भाषा को भी सर्वोपरि रखते हुए अपनी लिखी दो दर्जन से ज्यादा पुस्तकों का लेखन करने के अलावा वे लंबे समय से पत्रकारिेता के क्षेत्र में स्वतंत्र लेखन करते रहे। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। खासकर साहित्य अकादमी की हरिगंधा नामक प्रतिष्ठित पत्रिका के अतिथि संपादक रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह इसके अलावा वे कई अन्य पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी कर चुके हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी पर कई वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं, तो वहीं विभिन्न संस्थाओं में शतश. व्याख्यान और संयोजन व संचालन भी करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में संपादन और विभिन्न संस्थाओं में हिन्दी विशेषज्ञ तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अधिवक्ता का दायित्व निभा रहे हैं। डॉ. संतराम देशवाल के 80 के दशक से विभिन्न समाचार पत्रों में अलग से कॉलम छपते रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सोनीपत के जिस छोटूराम सी.आर.ए. कॉलेज में 1987 में उन्होंने हिंदी के सहायक प्रोफेसर के पद पर करीब 30 साल तक अध्यापन किया, सन् 1976 से वे इसी कॉलेज में पढ़े। शिक्षक की भूमिका के साथ-साथ वे लेखन का कार्य भी करते रहे हैं। सन् 2005 में आंगन में मोर नाचा, किसने देखा पुस्तक लिखी। वर्ष 2014 में वह सेवानिवृत हो गए।

पुरस्कार व सम्मान

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में विशेष स्थान रखने वाले साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल को पांच लाख रुपये के महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार-2018 से सम्मानित करने का फैसला किया गया। इससे पहले अकादमी ने डॉ. देशवाल को हरियाणवी भाषा में उकेरी गई कविता व गजल पर लिखी पुस्तक अनकहे दर्द को वर्ष 2010 तथा 2004 में लिखी गई उनकी पुस्तक लोक आलोक को सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में पुरस्कृत करते हुए जनकवि मेहर सिंह सम्मान 2014 से नवाजा है। केन्द्रिय साहित्य अकादमी दिल्ली भी डॉ. देशवाल को लोक साहित्य अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। उन्हें बाल मुकुन्द साहित्य सम्मान, लोक साहित्य शिरोमणि सम्मान, पंचवटी सम्मान, काव्य कलश सम्मान, हिन्दी सहस्राब्दी सम्मान, सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, सर्वोत्तम पत्रकारिता पुरस्कार, हादी-हरियाणा सम्मान, सोनीपत रत्न अवार्ड, शतश: सांस्कृतिक पुरस्कार के साथ कई निबंध और लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें समाज सेवा सम्मान पाने का भी सौभाग्य मिला है, जिसमें एम.डी.यू. द्वारा तीन बार सर्वोत्तम कार्यक्रम अधिकारी सम्मान दिया गया। उन्हें भारत सरकार से भी प्रशंसा पत्र का सम्मान मिला है।

महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान

(दैनिक भास्कर, 27 फरवरी 2022)

आज चण्डीगढ़ के टैगोर थियेटर में हरियाणा साहित्य पर्व का आयोजन किया जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल जी ने डा. सन्तराम देशवाल को हरियाणा साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित पुरस्कार महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान से नवाज़ा। इस सम्मान में उन्हें पाँच लाख रुपये की राशि के साथ प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न ,शाल और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

इस प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी के समस्त स्टाफ और विशेषतःअकादमी के निदेशक

डा. चन्द्र त्रिखा जी का दिल की गहराइयों से आभार! आप सभी के प्रेम एवं दुआओं से ही मिला है यह सम्मान ! (डा. सन्तराम देशवाल)

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पहले जाट रत्न साहित्यकार - हरियाणा के झज्जर जिला के गांव खेड़का-दुल्हेड़ा के देशवाल गौत्रीय एक साधारण जाट किसान परिवार में चौधरी सदाराम देशवाल और श्रीमती दड़का देवी के घर पैदा हुए बालक सन्तराम ने अपनी प्रतिभा, परिश्रम और पूर्वजों के शुभाशीष से डा.सन्तराम देशवाल बनकर, न केवल उच्चतम शिक्षा ग्रहण करके प्रोफेसर का पद प्राप्त किया बल्कि, साहित्य के क्षेत्र में 26 पुस्तकें लिखकर हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का पांच लाख रुपए का सर्वोच्च सूर साहित्य-साधना सम्मान प्राप्त करके जाट कौम का मान-सम्मान बढ़ाया है। यही नहीं, इन्हें हरियाणा साहित्य अकादमी के दो लाख रुपए के जनकवि फ़ौजी जाट मेहरसिंह सम्मान से भी नवाजा गया है तथा इनकी दो पुस्तकों को इकत्तीस-इकत्तीस हजार रुपए के पुस्तक पुरस्कार देकर इन पुस्तकों को श्रेष्ठ कृति घोषित किया जा चुका है। जाट सूचना मंच के माध्यम से ऐसे जाट-रत्न को सार्वजनिक तौर से सम्मानित करके आशीर्वाद दिया जाना चाहिए ताकि जाट युवाओं को प्रेरणा मिल सके। ज्ञातव्य है कि पहली बार किसी जाट साहित्यकार को इतने बड़े पुरस्कार मिले हैं और डा.देशवाल यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले जाट रत्न हैं। जाट कौम का गौरव हैं डा.सन्तराम देशवाल।

(Message posted at a Group Chat on 20 January 2024)

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