Galta

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Galta (गलता) is an ancient Hindu pilgrimage about 10 km away from Jaipur, in the Indian state of Rajasthan. The site consists of a series of temples built into a narrow crevice in the ring of hills that surrounds Jaipur. A natural spring emerges high on the hill and flows downward, filling a series of sacred kunds (water tanks) in which pilgrims bathe. It is believed that a Saint named Galava lived here, practiced meditation, and did penance.[1]

Origin

Variants

  • Galava Ashrama (गालव-आश्रम) (दे. Galata गलता) (AS, p.284)
  • Galata (गलता) (जिला जयपुर, राज.) (p.281)

History

गलता

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...गलता (AS, p.284) जयपुर के निकट सूरजपोल के बाहर, पहाड़ी की घाटी में स्थित एक रमणीक स्थान है, जहाँ किवदंती के अनुसार प्राचीन समय में गालव ऋषि का आश्रम था, जिनके नाम पर यह स्थान 'गलता' कहलाता है। पहाड़ी के ऊपर 'गालवी गंगा' का झरना है।

गलता मन्दिर

गलता मन्दिर राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह पवित्र स्थल राजस्थान के जयपुर शहर की पूर्वी अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित पवित्र तीर्थ स्थान है। गलता धाम 'सात कुण्ड' और अनेक मंदिरों के साथ-साथ प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है। माना जाता है कि गलता तीर्थ ऋषि गालव की तपोस्थली थी। किंवदंती के अनुसार यहाँ ऋषि गालव ने साठ हज़ार वर्षों तक तपस्या की थी। शहर की पूर्वी पहाडियों पर अवस्थित गलता के कुण्‍ड में गोमुख से निरन्‍तर पानी बहता रहता है, जो सूरज कुण्ड में गिरता है। इस पवित्र कुण्ड में स्नान करने के लिए दूर-दराज से लोग यहाँ आते हैं। अठारहवीं सदी में दीवान कृपाराम ने यहाँ अनेक निर्माण कार्य कराए और तीर्थ स्थल पर अनेक मंदिरों तथा कुंडों का निर्माण कराया। वर्तमान में यहाँ दो प्रमुख कुण्ड और हवेलीनुमा कई मंदिर आकर्षण का केंद्र हैं। पर्वत की सर्वोच्‍च ऊँचाई पर 'सूर्य मंदिर' अवस्थित है। गलता मन्दिर के रास्‍ते में पर्वत शृंखलाओं के बीच घाट की गूणी और आमागढ़ स्थित है। घाट की गूणी क्षेत्रों में ही सवाई जयसिंह तृतीय की महारानी सिसोदिया द्वारा सन 1779 ई. में निर्मित सिसोदिया रानी का महल एवं बाग़ है। इस बाग़ में आकर्षक फव्‍वारे एवं भव्‍य महल बना हुआ है। रानी के महल के समीप ही जयपुर के मुख्‍य वास्‍तुविद एवं नगर नियोजक 'विद्याधर' के नाम से अनेक फव्‍वारों एवं कुण्‍डों से आच्‍छादित विद्याधर का बाग़ भी पर्यटकों के आकर्षक का केन्‍द्र है। मंदिर का एक रास्ता गलता द्वार से है। यह लगभग दो कि.मी. का पैदल रास्ता है। दूसरा मार्ग आगरा रोड से जामडोली होते हुए है। इस मार्ग पर वाहन से गलता पहुंचा जा सकता है। सावन और कार्तिक मास में यहाँ पवित्र कुण्डों में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं।[3]

External links

References

  1. Vibhuti Sachdev; Giles Henry Rupert Tillotson (2002). Building Jaipur: The Making of an Indian City. Reaktion Books. pp. 39–. ISBN 978-1-86189-137-2
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.284
  3. भारतकोश-गलता मन्दिर