Gurukul Bhaiyapur-Ladhot

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Gurukul Ladhot (also known as Gurukul Bhaiyapur-Ladhot) is an institute found in the territory of Ladhaut village, just on the outskirts of Rohtak city. The gurukul was established by Acharya Haridatt (Deswal) on Sunday, 3 March 1991 (VS 2047, Chaitra Krishna Tritiya). Acharya Haridatt donated his 4-acre ancestral land and Rs. 1,50000 (Rupees one lakh and fifty thousand). He remains the life-time protector of the Gurukul and resides there itself.

The Gurukul is affiliated with CBSE, New Delhi and students have to reside inside the Gurukul hostel. This institution is a nice example of rendering both modern and ancient Indian education.

Coordinates

Address: 3 K.M. Stone from Bus Stand, Ladhot Road, Rohtak (Haryana). PIN 124001.
Contact Phones: 7027700947, 7027700949, 7027700950, 7027700941, 01262-217550.
Website: gurukulbhaiyapur.org
E-mail: gurukulbhaiyapur@yahoo.com

गुरुकुल में उपलब्ध सुविधाएं

  • लिखित परीक्षा द्वारा २ अप्रैल को मैरिट के आधार पर प्रवेश। तत्पश्चात् प्राचार्य की विशेष अनुमति से ही किसी छात्र को प्रवेश परीक्षा की अनुमति मिल सकती है।
  • प्रविष्ट छात्रों का हॉस्टल में रहना आवश्यक है।
  • संध्या-हवन, योगासन, प्राणायाम, खेल, समन्वित नियमित दिनचर्या और धर्म शिक्षा द्वारा संस्कारित वातावरण।
  • 10+2 में आर्ट तथा नॉन मैडिकल संकाय।
  • पुस्तकालय, वाचनालय, कम्प्यूटर तथा विज्ञान की सभी आधुनिक प्रयोगशालाएं।
  • सी.सी.टी.वी. कैमरों द्वारा निरीक्षण।
  • विशाल क्रीडा स्थल एवं खेलों की समुचित व्यवस्था। शुद्ध दूध के लिए निजी गोशाला तथा स्वच्छ रमणीय परिसर।
  • स्टेशनरी तथा खाद्य पदार्थों के लिए कैन्टीन की सुविधा।

निःशुल्क प्रवेश

  • प्रवेश परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक प्राप्तकर्त्ता छात्रों का प्रवेश निःशुल्क होगा।
  • दसवीं पास 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हुए छात्र का प्रवेश भी निःशुल्क होगा।

उद्देश्य - आधुनिक एवं प्राचीन शिक्षा का समन्वय करते हुए गुरुकुल की शिक्षा पद्धति का प्रमुख उद्देश्य शहरों के दूषित वातावरण से परे प्रकृति की नैसर्गिक गोद में बैठकर सुकुमार मति विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना, स्वास्थ्य एवं चरित्र निर्माण और शिष्टाचार की शिक्षा के साथ योग्य शिक्षक, इंजीनियर एवं अफसर तैयार करना है।

मान्यता - विद्यार्थियों की सुप्त प्रतिभा को जागृत करने हेतु शिक्षा की सही सार्थकता के लिए शिशु-मनोविज्ञान का सर्वोपरि ध्यान रखते हुए सी.बी.एस.ई. बोर्ड दिल्ली (मान्यता कोड 531114) द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम्स्थाई मान्यता प्राप्त है। आप इस संस्था में शिक्षा की प्राचीन व अर्वाचीन प्रणाली की सभी अनुपम विशेषताओं का एक अद्भुत सामञ्जस्य पाएंगे।

योग्यतम आचार्यों द्वारा पितृतुल्य कड़ी निगरानी - गुरुकुल के सभी छात्रों का गहन निरीक्षण एवं सर्वविध सर्वोत्तम व्यवस्था के लिए अनुभवी प्राचार्य डॉ० जयवीर आर्य एवं मुख्याधिष्ठाता यशवीर शास्त्री का संरक्षण गुरुकुल के छात्रों को प्राप्त है। यह सभी छात्रों का सौभाग्य है। अभिभावक निश्चिन्त होकर छात्रों को प्रविष्ट करा सकते हैं।

समरसता - सभी छात्रों को बिना किसी वर्ग, प्रान्त व जातीय भेदभाव के समान सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। जिससे कि वे अपने देश के परिवेश में अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं भारतीय जीवन शैली को अपनाकर सदा राष्ट्र के प्रति निष्ठावान बने रहें और देश के गौरव व गरिमा को बढ़ाएं।

ब्रह्मचर्य व्रत - छात्रों को अल्पायु से ही ब्रह्मचर्य-व्रत पालन के लिए अनिवार्य रूप से 'आश्रम' में रखा जाता है, जहां पर छात्र अहर्निश आचार्य व संरक्षकों की देख-रेख में अन्तेवासी बनकर एक आदर्श चरित्र का निर्माण करते हैं।

संस्थापक एवं संचालक - आचार्य हरिदत्त

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इस वेब-पेज के संपादक - Dayanand Deswal (talk) 11:49, 5 December 2017 (EST)



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