Haryana Ke Vir Youdheya/आवरण पृष्ठ

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Haryana Ke Vir Youdheya Title Page



इतिहास विषयक आवश्यक सूचना

हरयाणे के वीर यौधेय नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ का प्रथम खण्ड पाठकों के सम्मुख उपस्थित है । इस प्रकार के चार खण्डों में यह ग्रन्थ पूरा होगा । इसके 'द्वितीय खण्ड के प्रकाशन की भी शीघ्र ही व्यवस्था कर रहे हैं । इसी प्रकार तृतीय और चतुर्थ खण्ड भी निकट भविष्य में पाठकों की सेवा में पहुँच सकेंगे ।


शिवरात्रि २०२५ वि० तक अगाऊ मूल्य देकर ग्राहक बनने वालों को चारों खण्ड १५) रुपयों में मिल सकेंगे ।


-व्यवस्थापक


इस ग्रन्थ के सब अधिकार प्रकाशक के अधीन हैं ।


समर्पणम्

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समग्रवेदागममर्मवेदिनां
विनिर्मलज्ञानसुधाप्रवर्षिणाम् ।
वनीश्वराणांफलकन्दभोजिनां
गतैषणानामृषिवर्ययोगिनाम् ॥१॥


महात्मनां विष्णुमहेश्वरादीनां
क्व सिन्धुगम्भीरमितिह्यमुत्तमम् ।
तरंगिणीसन्तरणैकहेतुका
क्व चाल्पनौके व मदीयशेमुषी ॥२॥


बुधैकगम्ये 'इतिहे' पुरातने
ममाबुधस्येह गिरामगोचरे ।
अयं प्रयासो विबुधैर्विबुध्यतां
जनस्य पंगोरिव शैललंघने ॥३॥


तथापि लब्धैर्मणकादिसाधनैः
पाषाणमूर्त्यायसधातुवस्तुभिः ।
मुद्राविशेषैः खनिजैः पुरातनैः
ग्रन्थो व्यलेखि जनताहितैषिणा ॥४॥


त्वत्कृपया मयालम्भि ज्ञानमैतिह्यमुत्तमम् ।
त्वदीयं वस्तु देवर्षे तुभ्यमेव समर्पये ॥५॥


- भगवान् देवः


समर्पण

जीवन के अनेक वर्षों का मूल्यवान समय और जनता का लाखों रुपया इस इतिहास के शोध तथा खोज में लगा दिया । यह सब देवपुरुष महर्षि दयानन्द की देन और महती कृपा का ही फल है । इसलिये उनकी दया से जो कुछ थोड़ा बहुत सीखा उसे जनता की सेवार्थ समर्पित करने का यत्‍न किया । इसमें मेरा कुछ नहीं, सब कुछ देव दयानन्द का ही है । इसलिये हरयाणे के वीर यौधेय पुस्तक उनकी स्मृति उन्हीं के चरणारविन्दों में सादर समर्पित है ।


त्वदीयं वस्तु देवर्षे ! तुभ्यमेव समर्पये ।

तेरा तुझ को सौंपते क्या लागत है मोर ।


ऋषि के चरण-कमलों में श्रद्धा सुमनों की यह भेंट सादर समर्पित करता हूँ ।


- भगवान् देव



मुद्रक - वेदव्रत शास्‍त्री, आचार्य प्रिंटिंग प्रैस, दयानन्द मठ, रोहतक



Conversion of the text of original book into Unicode supported electronic format by Dayanand Deswal दयानन्द देसवाल



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