Humorous Jokes in Haryanavi/पंचायत के चुनाव, आम चुनाव, नेता, सरपंच आदि

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लुगाई प्रधानमंत्री

बात 1966 के शुरू की है, तब तक हरयाणा और पंजाब एक ही प्रान्त थे । लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद इन्दिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी । प्रसिद्ध पत्रकार खुशवन्त सिंह ने एक हरयाणा के जाट से पूछ लिया - चौधरी साहब, पहली बार एक महिला देश की प्रधानमंत्री बनी है, आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे ?

चौधरी ने जवाब दिया - "अरै भाई, यो तै नाश हो-ग्या - एक लुगाई देश नै चलावैगी ?"

खुशवंत सिंह ने फिर पूछा - "क्यों चौधरी साहब, ऐसा क्या गजब हो गया ? आपके घर को भी तो एक लुगाई ही चलाती होगी न !"

चौधरी ने पलट कर जवाब दिया - "सरदार जी, बात तै तेरी ठीक सै अक मेरे घर नै एक लुगाई चलावै सै । पर उसतैं कोए गलती हो-ज्या सै तै हम उसकै थप्पड़ भी मार देवां सां । इस भूआ कै कूण मारैगा ?" !!


"कुछ तुम भी कर ल्यो"

एक बै एक गाम में कुम्हार मर-ग्या, तै सारे गाम आळे अफसोस करण लागे । कुम्हारी जोर-जोर तैं रोवै थी, गाम का सरपंच बोल्या - कुम्हारी, तू क्यूं रोवै सै?

कुम्हारी बोल्ली - कुम्हार तीन दिन पहल्यां ऐं घोड़ी ल्याया था, ईब उस-पै कूण सवारी करैगा?

सरपंच बोल्या - मैं गाम का सरपंच सूं, मैं सवारी कर ल्यूंगा ।

कुम्हारी फिर जोर-जोर तैं रोवण लागी । सरपंच बोल्या - ईब के होया ?

कुम्हारी बोल्ली - कुम्हार दस दिन पहल्यां ऐं नया रेडियो ल्याया था, ईब उसनै कूण सुणैगा ?

सरपंच बोल्या - मैं गाम का सरपंच सूं, मैं सुण ल्यूंगा ।

कुम्हारी फिर रोवण लागी । सरपंच बोल्या - ईब के होया ?

कुम्हारी बोल्ली - कुम्हार के सिर पै दस हजार रुपय्ये का कर्जा सै, उसनै कूण तारैगा ?

सरपंच बोल्या - अरै गाम आळो, सब कुछ मैं ऐं करूंगा के, कुछ तुम भी कर ल्यो !!


भूंड-फूक

एम. एल. ए. का चुनाव चल रहा था । एक नेता जो चुनाव में खड़ा था, कई ईंट भट्टों का मालिक था ।

एक गांव में गया वोट मांगने । एक ताऊ उस तैं बोल्या - "अरै पापी, तू किस मुंह तैं वोट मांगै सै ? तन्नैं चोवे ताहीं के भूंड फूक दिये !!"


इलैक्शन

एक नाई एक लीडर के बाळ काटै था अर खूब इलैक्शन की बात करै था । लीडर दुखी हो-ग्या अर बोला - "तेरै इलैक्शन की इतणी क्यूं लाग रही सै ?

नाई बोला - "अरै, मन्नैं इलैक्शन का के करणा सै ? इलैक्शन का नाम लेण तैं तेरे सिर के बाळ खड़े हो-ज्यां सैं अर मन्नैं काटण में आसानी हो ज्या सै !!


"मैं हार-ग्या तै के करूँगा ?"

रामफळ कै इलैक्शन लड़न का भूत सवार हो-ग्या । तीन कीले धरती थी, वा गहणै (गिरवी) धर दी, तीन-चार लाख रुपय्ये थे, वे भी ला दिये ।

एक दिन एक गाम में वोट मांगण गया । गाम आळे बोल्ले - रामफळ, तू जीत-ग्या तै के करैगा ?

रामफल बोल्या -- मन्नैं इस बात की चिंता कोनी अक जीत-ग्या तै के करूंगा । मन्नै तै यो फिकर लाग रहया सै अक हार-ग्या तै के करूंगा !!

चीफ मिनिस्टर का दौरा

एक बै गाम मै मुख्यमंत्री नै आणा था । गाम का सरपंच बोल्या गाम आळां तैं अक गाम नै कत्ती चमका दो अर सारी नाळी साफ कर दो ।

लीलू बोल्या - के बात, चीफ मिनिस्टर के नाळियां म्हां कै घिसड़ता आवैगा ???


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