Achalpur

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Map of Amravati district

Achalpur, formerly known as Ellichpur and Illychpur, is a city and a municipal council in Amravati District in Maharashtra. It is the second most populous city in Amravati District after Amravati and seventh most populous city in Vidarbha. It has a twin city known as Paratwada.

Variants

Geography

Achalpur and Paratwada as a twin city is located at an average elevation of 369 metres. This twin city is surrounded by rivers named Sapan and Bichan, the tributaries of Chandrabhaga river. There is hilly area that acts like a fence to this city. This city is at the boundary of Maharashtra and Madhya Pradesh. Even Madhya Pradesh is so close to this city that travelling of (about) 10 km changes the state region.

History

अचलपुर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...अचलपुर (AS, p.11) महाराष्ट्र राज्य के अमरावती ज़िले में स्थित एक नगर है। मध्यकाल में विशेषत: 9वीं शती से 12वीं शती ई. तक अचलपुर जैन संस्कृति के केन्द्र के रूप में विख्यात था। जैन विद्वान् धनपाल ने अचलपुर में ही अपना ग्रन्थ 'धम्म परिक्खा' समाप्त किया था। आचार्य हेमचंद्रसूरि ने भी अपने व्याकरण में (व्याकरण 2,118) अचलपुर का उल्लेख किया है- 'अचलपुरेचकारलकारयोर्व्यत्ययो भवति' अर्थात् अचलपुर के निवासियों के उच्चारण में और का व्यत्यय (उलटफेर) हो जाता है। आचार्य जयसिंहसूरि ने 9वीं शती ई. में अपनी धर्मोपदेशमाला में अयलपुर या अचलपुर के अरिकेसरी नामक जैन नरेश का उल्लेख किया है- 'अयलपुरे दिगंबर भत्तो अरिकेसरी राजा'। अचलपुर से 7वीं शती ई. का एक ताभ्रपट्ट भी प्राप्त हुआ है।

एलजिपुर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...एलजिपुर (AS, p.112) जैन ग्रंथों में एलिचपुर को एलजिपुर कहा है- 'एलजिपुर कारंजा नयर धनवन्त लोक वसति'।[3] ( देखें:- एलिचपुर)

एलिचपुर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ... एलिचपुर (AS, p.112): महाराष्ट्र के बरार ज़िले में अमरावती के उत्तर में स्थित एलिचपुर मध्यकाल का जाना पहचाना नगर था। 1294 ई. में अलाउद्दीन ख़िलजी ने देवगिरि पर आक्रमण करते समय 8000 घुड़सवारों के साथ के एलिचपुर को घेर लिया था। एलिचपुर उसा समय [p.113]: देवगिरि के राजा रामचन्द्र देव के राज्य में था और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित था। देवगिरि के विश्वासघातियों की सहायता से जीतने के पश्चात् देवगिरि नरेश से जो अलाउद्दीन ने संधि की उसमें एलिचपुर को उसने अपनी वहाँ रखी जाने वाली सेना के व्यय के लिए मांग लिया था.


राजा को पराजित करके एलिचपुर प्रांत को वार्षिक आय देने की संधि पर हस्ताक्षर करने को बाध्य किया था। बाद में रामचन्द्र देव ने एलिचपुर से होने वाली नियमित आमदनी भेजना बन्द कर दिया, तो 1307 ई. में देवगिरि पर फिर आक्रमण किया गया। जैन ग्रंथों में एलिचपुर को एलजिपुर कहा है। बंबई जानेवाले प्रधान रेलमार्ग पर मुर्तिजापुर से एक छोटी रेलवे लाइन यहाँ तक गई है। मेलघाट और बेतूल जिलों की इमारती लकड़ी का यह एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। यह अमरावती और चिकल्दा से अच्छी सड़कों द्वारा मिला हुआ है। यहाँ रुई से बिनौला निकालने के कई कारखाने हैं और पास में परतवाड़ा है जहाँ पहले फौजी छावनी थी।एलिच नगर की समृद्धि इमारती लकड़ी और कपास पर निर्भर करती है।[5]

External links

References