Jaaat

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बेधङक का हवाई जहाज
लेखक
पृथ्वीसिंह बेधङक



जाट


जब बजा युद्ध का बाजा कौन आया मैदान में


सारे जामाने भर में तेरा जिक्र ही चलता है

तेरी ताकत को देखकर अम्बर भी हिलता है


जो तेरी ओर लखता वह जाता शमशान में


तेरे बच्चों को ना मिलती पेट भर रोटियाँ

तेरी बदौलत बन रहीं शहरों में कोठियाँ


तेरा हो रहा हुक्का ताजा टूटी सी छान में


हानि नहीं पहुँचाई तुझ को किसी भी गैर ने

दूर दूर की भीख मंगवाई आपस के बैर ने


भुगत रही खमियाजा तू अपने मकान में


होना था जो हो गया बस अब तो मेल कर

उस मेल की बदौलत कोई रंगीला खेल कर


नहीं छूट जागा तेरा सागा हिन्दूस्तान में


सारी दुनियाँ में घूम कर अन्दाजा लाया है

तेरी भलाई चाहने वाला कोई ना पाया है


सेठ पादरी पंडित मुल्ला सब तेरे नुकसान में


जाति की जाती आबरू जिन्दगानी दे दिये

जाति पर पृथ्वीसिंह तू कुरबानी दे दिये


फ़िर हो बच्चा-बच्चा राजा सारे जहान में



Digital text (Wiki version) of the printed book prepared by - Vijay Singh विजय सिंह

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