Jajan Singh Kuntal
Jajan Singh Kuntal Tomar was Kuntal (Tomar) Gotra ruler of Mathura.
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Genealogy
अनंगपाल तोमर → सोहनपाल → मेघसिंह → जाजन सिंह
राजा जाजन सिंह का वंश परिचय
राजा जाजन सिंह(जज्ज) कुंतल (तोमर) ने भगवान कृष्ण जन्म भूमि मदिर का पुनः निर्माण(ग़ज़नवी द्वारा विध्वंस के बाद)सन 1150 ईस्वी में करवाया था।
राजा जाजन सिंह दिल्लीपति जाट सम्राट अनंगपाल तोमर के प्रपौत्र थे।दिल्लीपति जाट सम्राट अनंगपाल तोमर का 1081 में मथुरा में निधन हो गया था। सम्राट अनगपाल की समाधि गोपालपुर और सोनोठ मध्य माँ मंशा देवी मंदिर के प्रांगण स्थित है।
महाराजा अनंगपाल देव के दो पुत्र थे 1. सोहनपाल और 2. जुरारदेव
इनके बड़े पुत्र आजीवन ब्रह्मचारी रहे और तेजपाल नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठे जबकि छोटे पुत्र को सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र का अधिकार मिला
महाराजा अनगपाल के आठ पौत्र हुए थे।इनको आठो अलग अलग कुल आठ किले(प्रत्येक को एक किला) का क्षेत्र पूर्वजो से जागीर में प्राप्त हुआ था। यह किले इन्हीं के नाम से जाने जाते थे। वर्तमान में इनकी संतति ही यहां निवास करती है।
1. सोनपाल देव तोमर - इन्होंने सोनोठ पर राज्य किया
2. मेघसिंह तोमर - इन्होंने मगोर्रा गढ़ पर राज्य किया
3. फोन्दा सिंह तोमर ने फोन्डर गढ़ पर राज्य किया
4. गन्नेशा (ज्ञानपाल) तोमर ने गुनसारा गढ़ पर राज्य किया
5. अजयपाल तोमर ने अजान अजानगढ़(अजयगढ) राज्य किया था
6. सुखराम तोमर ने सोंख पर राज्य किया था
7. चेतराम तोमर ने चेतोखेरा (चेतनगढ़) पर राज्य किया था।
8. बत्छराज ने बछगांव (बत्सगढ़) पर राज्य किया था
इनके दूसरे पुत्र मेघसिंह हुए उनके चार पुत्र हुए- 1. अजित सिंह (अज्जा ), 2. रामसिंह (रामा), 3. जाजन सिंह (जण्ण/जज्ज), 4. घाटम सिंह
जाजन सिंह द्वारा मंदिर निर्माण का इतिहास
जब जाजनसिंह मगोर्रा गढ़ के शासक थे उस समय दिल्ली पर इनके ही रक्त भाई विजयपाल तोमर का शासन था। मोहम्मद ग़ज़नवी ने सन 1017 ई. में मथुरा पर हमला किया था।उस समय इस क्षेत्र पर तोमरो के प्रतिनिधि यदुवंशी जाट राजा कुलीचंद हगा का शासन था। कुलीचंद की मृत्यु के बाद मथुरा में कृष्ण के मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था। ग़ज़नवी के साथ आये इतिहासकार अलबरूनी ने भगवान श्रीकृष्ण और मथुरा, दिल्ली के राजा को जाट लिखा है। कुलीचंद के वंशज बिसावर ग्राम में निवास करते है उनके किले के अवशेष आज भी बिसावर में मौजूद हैं।
ग़ज़नवी के समय दिल्ली के राजा जयपाल देव तोमर (सुलक्षणपाल तोमर के भाई) थे। दिल्ली के जाट राजा विजयपाल के समय में जाट शासक जाजन सिंह तोमर (कुंतल) ने 1150 ईस्वी में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का भव्य निर्माण करवाया था। स्थानीय इतिहासकारो ने राजा जाजन सिंह को जण्ण और जज्ज नाम से भी सम्बोधित किया गया है। इनके वंशज आज जाजन पट्टी , नगला झींगा, नगला कटैलिया में निवास करते है।
खुदाई में मिले संस्कृत के एक शिलालेख से भी जाजन सिंह (जज्ज) के मंदिर बनाने का पता चलता है। शिलालेख के अनुसार मंदिर के व्यय के लिए दो मकान, छः दूकान और एक वाटिका भी दान दी गई दिल्ली के राजा के परामर्श से 14 व्यक्तियों का एक समूह बनाया गया जिसके प्रधान जाजन सिंह था।
वर्तमान में राजा जाजनसिंह के नाम पर जाजन पट्टी रेलवे स्टेशन है। जिसका चित्र नीचे गैलरी में दिया गया है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण संबंधित अन्य तथ्य
यहां प्रथम मंदिर का निर्माण यदुवंशी जाट राजा ब्रजनाम ने ईसा पूर्व 80 में कराया था। कालक्रम में इस मंदिर के ध्वस्त होने के बाद गुप्तकाल के सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने सन् 400 ई. में दूसरे वृहद् मंदिर का निर्माण करवाया। परंतु इस मंदिर को महमूद गजनवी ने ध्वस्त कर दिया। तत्पश्चात जाट महाराज विजयपाल देव के शासन काल में जाट शासक जाजन सिंह ने तीसरे मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर भी 16 वीं सदी में सिकंदर लोधी द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। सम्राट जहांगीर के शासनकाल में एक बार पुनः मंदिर का निर्माण करवाया गया। इस मंदिर को भी मुगल शासक औरंगजेब ने सन् 1669 में नष्ट कर दिया। फिर पुनः इसका निर्माण यहां के जाट शासक महाराजा सूरजमल ने करवाया जिसका विस्तार महाराजा जवाहर सिंह ने किया।
बिड़ला ने 21 फरवरी 1951 को कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की। तब यह मंदिर ट्रस्ट में चला गया इस पहले इसकी जिम्मेदारी भरतपुर नरेशों के पास थी क़ानूनी मुकदमो में जीतने के बाद यहां गर्भ गृह और भव्य भागवत भवन के पुनर्रुद्धार और निर्माण कार्य आरंभ हुआ, जो फरवरी 1982 में पूरा हुआ।
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बाहरी कड़ियाँ
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर इतिहास---- [1]