Janjira

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Janjira (जंजीरा) was a pre-1948 princely state of the erstwhile British Raj and located in the modern day Raigad district, Maharashtra.

Origin

Variants

  • Janjira (जंजीरा) (महा.) (AS, p.350)

History

जंजीरा

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...जंजीरा: (AS, p.350) यह द्वीप कोंकण के तट पर शिवाजी की राजधानी रायगढ़ से पश्चिम की और 20 मील पर स्थित है. शिवाजी के समय यहां अधिकतर अबीसीनिया के हब्सी लोग रहते थे जिन्हें सीदी कहते थे. जंजीरा का सूबेदार फतहखां था जो बीजापुर रियासत की ओर से नियुक्त था. शिवाजी ने इस द्वीप पर 1659 ई. तथा उसके पश्चात कई बार आक्रमण किए थे किंतु विशेष सफलता नहीं मिली थी. 1670 ई. में उन्होंने इस पर फिर चढाई की. फतेहखां ने तंग होकर शिवाजी से संधि कर ली. यह देख कर हब्सियों ने उसे मार डाला और मुगलों से शिवाजी के विरुद्ध सहायता मांगी. मुगल सेनाओं के आने के कारण शिवाजी उधर से हटकर सूरत की ओर चले गए और उन्होंने दोबारा सूरत को लूटा. जंजीरा फारसी शब्द जजीरा (द्वीप) का रूपांतर है.

जंजीरा क़िला

जंजीरा क़िला महाराष्ट्र के कोंकण में रायगढ़ के निकट स्थित है। जंजीरा अरबी शब्द 'जजीरा' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है- टापू। 1490 ई, में अहमदनगर के निजामशाह ने जंजीरा में अपने लिए नौ सेना की स्थापना की थी और उसे नाविक कला में निपुण एक वीर हब्शी 'सिद्दी याकूत ख़ाँ' को सौंप दिया था। उसके दो कार्य थे - प्रथम तटीय व्यापार की रक्षा करना और द्वितीय, मुस्लिम हज यात्रियों को सुरक्षित मक्का ले जाना और लाना। इस प्रकार जंजीरा का एक छोटा-सा राज्य स्थापित हो गया, जो दीर्घकाल तक राजनीतिक परिवर्तनों में भी सुरक्षित रहा।

जब शिवाजी ने 1657 ई. में कल्याण पर आक्रमण करके उत्तरी कोंकण के बीजापुर भाग को हस्तगत कर लिया, तो सिद्दी सरदार ने अपने वीर नाविकों के विशाल दल द्वांरा उनका डटकर मुकाबला किया। अतः शिवाजी के लिए आवश्यक हो गया कि वे अपने लिए नौ-सेना का निर्माण करें, जिससे सिद्दी शक्ति को रोका जा सके, साथ ही पश्चिमी तट पर अपनी सत्ता को प्रबल भी बना सके। सिद्दियों से शिवाजी का युद्ध 1657 ई. में आरम्भ हुआ और मृत्युपर्यंत चलता रहा। बीच-बीच में कुछ भीषण लड़ाइयाँ भी हुईं। एक बार ऐसा भी हुआ कि जंजीरा को छोड़कर सिद्दी के समस्त प्रदेशों पर शिवाजी का अधिकार हो गया। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में शिवाजी की यह जीत क्षणिक रही। मुग़लों की सहायता से और उनके प्रोत्साहन से सिद्दियों की शक्ति निरंतर बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों में संघर्ष चलता रहा।

मराठों के नौसेनाध्यक्ष 'सरदार आंग्रे' ने 1734-35 ई. में जंजीरा के कई भागों पर अधिकार कर लिया। सिद्दी द्वारा कोलाबा पर भयंकर आक्रमण से शाहू बहुत क्रुद्ध हुआ। उसने 1736 ई. में 'चिमनाजी अप्पा' को सिद्दियों के विरुद्ध भेजा। उसने इस मामले को पूरी गम्भीरता से लिया और शीघ्र आक्रमण करके सिद्दी शक्ति का दमन किया। कालांतर में तुलोजी आंग्रे ने सिद्दियों का लगभग पूर्ण दमन किया।

संदर्भ: भारतकोश-जंजीरा क़िला

External links

References