Jayachandra Vidyalankar

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Author: Dayanand Deswal दयानन्द देसवाल
Itihas Pravesh by Jayachandra Vidyalankar.jpg

Jayachandra Vidyalankar (Born: 5 December 1898, Death: ----) was a prominent Indian historian. He was the disciple of Swami Shradhanand, Gaurishankar Hirachand Ojha and Kashi Prasad Jayaswal. He had established an institution named Indian History Council in the year 1937. In this endeavour, he also got the assistance of Dr. Rajendra Prasad, the first President of India.

Jayachandra got his education at Gurukul Kangri at Haridwar. After getting the degree of 'Vidyalankar', he teached at Haridwar, Gujarat and Lahore. He was of the firm view that to dig out the correct history of Indian Subcontinent, it was necessary to do the research in Indian languages, especially Hindi. So, he wrote all his history books in Hindi.

हिन्दी में परिचय

जयचन्द्र विद्यालंकार (५ दिसंबर, १८९८ - ) भारत के महान इतिहासकार एवं लेखक थे। वे स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती, गौरीशंकर हीराचन्द ओझा और काशीप्रसाद जायसवाल के शिष्य थे। उन्होने भारतीय इतिहास परिषद नामक संस्था खड़ी की थी। उनका उद्देश्य भारतीय दृष्टि से समस्त अध्ययन को आयोजित करना और भारत की सभी भाषाओं में ऊंचे साहित्य का विकास करना था। जयचन्द्र विद्यालंकार ही भगत सिंह के राजनीतिक गुरु थे।

जयचन्द्र विद्यालंकार भारत में इतिहास की ऐसी प्रतिभा माने जाते हैं कि लोगों ने इतिहास की उनकी मूल धारणाओं तक पहुँचने के लिये विधिवत हिन्दी का अध्ययन किया। उन्हें अपनी धारणाएं हिन्दी में ही सामने रखने की जिद थी।

एक महान् इतिहासद्रष्टा

उनकी शिक्षा गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार में हुई। 'विद्यालंकार' की उपाधि प्राप्त करने के बाद वे कुछ समय तक गुरुकुल कांगड़ी में, गुजरात विद्यापीठ में तथा कौमी महाविद्यालय, लाहौर में अध्यापक रहे। इतिहास में शोध के प्रति आरम्भ से ही उनकी रूचि थी। १९३७ में उन्होने भारतीय इतिहास परिषद की स्थापना की जिसमें डॉ राजेन्द्र प्रसाद का भी सहयोग था। जयचन्द्र विदेशियों द्वारा लिखे गये भारतीय इतिहास की एकांगी दृष्टि को परिमार्जित करने के लिए कटिबद्ध थे। इसके लिए व्यापक शोध के आधार पर उन्होंने प्राचीन भारत के इतिहास पर विशेष रूप से ग्रन्थों की रचना की। उनके ग्रन्थों में उनके ज्ञान, मौलिक विचारधारा एवं आलोचनात्मक दृष्टि के दर्शन होते हैं। उन्हें हिन्दी के तत्कालीन मंगलाप्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया था।

उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया और तीन वर्ष तक जेल में बन्द रहे।

मुख्य कृतियाँ

जयचन्द्र विद्यालंकार की प्रमुख ऐतिहासिक कृतियाँ हैं-

  • भारतीय इतिहास का भौगोलिक आधार
  • भारतभूमि और उसके निवासी
  • भारतीय इतिहास की रूपरेखा
  • इतिहास प्रवेश
  • पुरुखों का चरित्र
  • भारतीय इतिहास की मीमांसा
  • भारतीय इतिहास का क ख ग
  • भारतीय इतिहास का उन्मिलन

External Links

References



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