Khanda Kheri

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Khanda Kheri (खांडा खेड़ी) is a big village in Hansi Tehsil of Hisar district of Haryana.

Location

Population

Khanda Kheri village has population of 7719 of which 4190 are males while 3529 are females as per Population Census 2011.

Origin

The Founders

History

सर छाजूराम ने अपनी निजी जमींदारी बनाकर अलग स्टेट बनाने का विचार किया। इसी उद्देश्य से अतुल धनराशि लगाकर शेखपुरा, अलिपुरा, अलखपुरा, कुम्हारों की ढ़ाणी, कागसर, जामणी, मोठ गढी आदि गांवों की जमींदारी का विशाल भू-भाग खरीदकर विशाल जमींदारी बनाई। जामणी गांव खाण्डा खेड़ी से दो मील पर स्थित है। यहां 2600 बीघे जमीन सेठ छाजूराम जी ने खरीदी थी। इसका मालिक हिस्टानली नामक अंग्रेज था। यह ठेके का गांव था।

सेठ चौ० छाजूराम जी ने अपनी जामणी की जमीन की पैदावार को सम्भालने के लिए खाण्डा खेड़ी में ही एक कोठी बनाई जो बाद में आर्य कन्या पाठशाला के लिए दानार्थ दे दी तथा सन् 1916 से लेकर आज तक यह आर्य कन्या पाठशाला इसी कोठी में चली आ रही है।[2]

इतिहास

जयपुर रियासत के शेखावाटी भाग में गूगौर और बागौर नाम के दो गाँव थे। इनके स्वामी जयपरतनामी चौहान थे। जयपरतनामी के 4 पुत्र हुये 1. जाटू, 2. सतरोल, 3. राघू, और 4. जरावता. जाटू का विवाह सिरसा नगर के सरोहा गोत्री ठाकुर की पुत्री के साथ हुआ। जाटू के दो पुत्र हुये पाड़ और हरपाल। पाड़ ने राजली ग्राम बसाया जो अब जिला हिसार में पड़ता है। [p.11] राजली सारा जाटों का गाँव है जिसके स्वामी भी जाट हैं। हरपाल ने गुराणा गाँव बसाया जो राजली के पास ही है। यह ग्राम भी जाटों का है। [3]

चेतंग नदी, जो यमुना से निकलती है, के किनारे पर जाटों के अनेक गाँव हैं। इन गांवों को सतरोला ने बसाया इसीलिए इनको सतरौले बोलते हैं जिनमें सामिल हैं – नार नाद, भैनी, पाली, खांडा, बास, पेट वाड़, सुलचाणी, राजथल आदि प्रसिद्ध गाँव हैं। यहाँ सतरोला का खेड़ा भी है। इसीसे यह प्रमाणित होता है कि ये सारे गाँव सतरोला ने बसाये। इन सारे ग्रामों का स्वामी सतरौला था। [4]

Jat Gotras

The majority having of Sindhu's in Khanda Kheri, but some other gotra also found in this village i.e. Lohan , Chahal , Nindania, Dalal and also 1 family of Sihag.

Population

Population of Khanda Kheri according to Census 2001 is 7139, including males 3838 and females numbering 3301.

Notable Persons

External Links

References

  1. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, p.11
  2. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter X (Page 889)>
  3. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.10-11
  4. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.10-11
  5. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 268)

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