Khariya Jhunjhunu

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Khariya (खारिया/ खड़िया) is a village in Jhunjhunu tahsil & district in Rajasthan.

Jat Gotras

Population

According to Census-2011 data, Khariya village has the total population of 721 persons only (of which 380 are males while 341 are females).[1]

History

चौधरी घासीराम का जन्म झुंझुनू जिले के बासडी गाँव में सन 1903 हुआ. इनकी माँ का नाम भानी और पिता का नाम चेतराम था. बासडी गाँव नवलगढ़ ठिकाने के अधीन था. घासीराम के पूर्वज भी ठिकानेदार के चौधरी थे. यही कारण है की सवासौ साल पहले भी इनके पूर्वज हवेली में रहते थे. यह हवेली अब भी कालती हवेली के नाम से मौजूद है. पूरे गाँव में यह आकर्षण का केंद्र थी. घासी राम के पिता ठिकानेदार के चौधरी थे परन्तु वे मानवीय गुणों से भरपूर थे. सभी ग्रामीण उनकी इज्जत करते थे. वे दुखी और बेसहारा किसानों की सहायता करते थे.

नवलगढ़ के ठिकानेदार की क्रूरता और ग्रामीणों की बदहाली ने चौधरी को मौन नहीं रहने दिया. चौधराहट की परवाह किये बिना नवलगढ़ ठिकाने को चुनौती देने का निश्चय किया. गढ़-महलों के कारिंदों की मनमानी और लूट उन्होंने बंद करवादी. इसके लिए उन्होंने ग्रामीणों को लाम-बंद किया. ग्रामीणों को संगठित कर सलाह दी कि वे लाग-बाग़, बेगार और क्रूरता का विरोध करें. इस पर जागीरदार बौखला उठे. सन 1914 में जागीरदार के लोग दल-बल सहित चेतराम के गाँव बासडी पहुंचे. उन्होंने चेतराम को हवेली से बेदखल कर दिया. घासीराम उस समय 11 वर्ष का था. जागीरदार की मनमानी का उस पर इतना प्रभाव पड़ा की वह आजीवन विद्रोही बन गया.

बासडी से निष्कासित

चेत राम का परिवार बासडी से निष्कासित होकर निकट के गाँव खारिया में आ गया जो मंडावा ठिकाने के अधीन था. सन 1916 में चेत राम चल बसे. परिवार का भार बड़े बेटे घासीराम पर आ गया. घासी राम की माँ साहसी एवं निडर महिला थी. उसने परिवार को संभाला. कुछ वर्षों पश्चात् जब घासी राम बालिग हो गया तब खारिया की रोही में एक ढाणी बसाई , जिसे अब बास घासीराम के नाम से जाना जाता है. घासी राम का विवाह मालीगांव की समाकौर के साथ हुआ.

घासी राम आर्य समाज की विचार धारा से प्रभावित थे. उन्होंने अनेक रुढ़िवादी परम्पराओं को नकार दिया. स्वयं और भी बहिनों के विवाह बिना दहेज़ किये और विवाह पूर्व बान भी नहीं बिठाया. बास घासीराम अलसीसर कसबे के निकट पड़ता है. घासी राम ने वैद्य ओंकारमल मिस्र से आयुर्वेद का कार्य सिखा और अक्षर ज्ञान प्राप्त किया. अध्ययन की प्रवृति होने से अनेक ग्रन्थ पढ़ डाले. आयुर्वेद से अपने घर पर और आस-पास गांवों में ऊंट पर जाकर उपचार करने लगे. रामगढ़ और मंडावा आर्य समाज की बैठकों में जाने लगे जहाँ उनकी मुलाकात अन्य क्रांतिकारियों से हुई. 1921 में भिवानी में गाँधी जी से मिलने वाले जत्थे में घासी राम भी थे.

Notable persons

External links

References


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